MLC Election: मतदाताओं का मूड भांपने में गच्चा खा गए डॉक्टर दिनेश Aligarh news
विधान परिषद शिक्षक चुनाव में डॉ. दिनेश वशिष्ठ स्थिति को भांप नहीं पाए। इसलिए पूरी टीम और सत्ता होने के बाद भी वह चुनाव हार गए। अनुभव खूब था मगर चुनावी माटी की तासीर वह समझ नहीं सकें। पहली बार चुनाव में वित्तविहीन शिक्षकों को मतदान का मौका मिला था।
अलीगढ़, जेएनएन : विधान परिषद शिक्षक चुनाव में डॉ. दिनेश वशिष्ठ स्थिति को भांप नहीं पाए। इसलिए पूरी टीम और सत्ता होने के बाद भी वह चुनाव हार गए। जबकि अनुभव खूब था, मगर चुनावी माटी की तासीर वह समझ नहीं सकें। पहली बार चुनाव में वित्तविहीन शिक्षकों को मतदान का मौका मिला था। भाजपा इससे खासी उत्साहित थी। आरएसएस से जुड़े विद्यालयों के शिक्षकों में उसकी अच्छी पकड़ है। इसलिए भाजपा ने सोचा की यह शिक्षक डॉ. दिनेश वशिष्ठ को मतदान जरूर करेंगे। साथ ही वित्तविहीन शिक्षकों को पहली बार मतदान का मौका मिला है तो उनका भी रूझान भाजपा की ओर स्वभाविक होगा। उनकी यह निश्चिंता ही आगरा खंड में डॉ. वशिष्ठ के लिए घातक साबित हो गई।
प्रतिदिन लगता था हुजूम
चुनाव में डॉ. दिनेश वशिष्ठ ने अलीगढ़ में भी काफी मेहनत की। कार्यकर्ताओं की भी पूरी टीम लगी हुई थी। जिला कार्यालय भी स्थापित किया गया था। प्रतिदिन भारी हुजूम लगता था। मगर, आगरा खंड की स्थिति को वह भांप नहीं पाएं। सूत्र बताते हैं कि इनसे जुड़े शिक्षकों ने साथ नहीं दिया। क्योंकि उनकी तमाम समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता है। वेतन वृद्धि और सुविधाओं के बारे में भी संगठन नहीं सुनता है। ऐसी चर्चा है कि इसको देखते हुए शिक्षकों ने भी इस चुनाव में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई। उनका कहना था कि जब हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता तो वह चुनाव में क्यों रुचि लें? वहीं, इस चुनाव में दस मतदाता पर कार्यकर्ताओं की टीम लगाई गई थी। इसमें जनप्रतिनिधि से लेकर संगठन के पदाधिकारी भी थे। उनकी जिम्मेदारी थी कि इन मतदाताओं को बूथ तक ले जाएं, मगर ऐसा भी नहीं किया गया। इसलिए अलीगढ़ समेत अन्य जिलों में भी शिक्षकों ने कम रुचि दिखाई। बहरहाल, भाजपा के लिए यह अच्छा मौका था, मगर वह हाथ से निकल गया । अलीगढ़ से डॉ. दिनेश वशिष्ठ का गहरा नाता होने के चलते वह उनके हारने का कार्यकर्ताओं को मलाल है ।