नौ करोड़ के टेंडर घोटाले में जिला क्षय रोग अधिकारी तलब
स्वास्थ्य विभाग में नौ करोड़ के चर्चित टेंडर घोटाले की 11 महीने से दबी हुई फाइल फिर बाहर आ गई है।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : स्वास्थ्य विभाग में नौ करोड़ के चर्चित टेंडर घोटाले की 11 महीने से दबी हुई फाइल फिर बाहर आ गई है। जांचाधिकारी निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) ने सीएमओ को पत्र भेजकर घोटाले में आरोपित अतरौली के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक व वर्तमान में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर को जांच से संबंधित अभिलेख व साक्ष्यों सहित बयान के लिए 27 अक्टूबर तक तलब किया है।
डॉ. भास्कर पर पूर्व में ही शासन की ओर से कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा जा चुका था, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अब निदेशालय का पत्र मिलते ही स्वास्थ्य विभाग में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। ये है मामला: वित्तीय वर्ष 2018-19 में दीनदयाल अस्पताल के लिए 5.40 करोड़ व अतरौली के 100 शैय्या अस्पताल के लिए 4.7 करोड़ रुपये का अलग-अलग बजट जारी किया था। 21 फरवरी 2019 को दीनदयाल अस्पताल की सीएमएस डॉ. याचना शर्मा ने दोनों जगह का टेंडर एक साथ निकाल दिए। टेंडर में 24 घंटे में सामान आपूर्ति, धरोहर राशि 50 हजार रुपये, सांसद विधायकों को भी सूचना मांगने पर एक लाख रुपये जमा करने समेत ऐसी शर्त जोड़ दी गईं, जिससे चहेती फर्म को ही टेंडर मिला। घोटाले में अलीगढ़ से लेकर लखनऊ तक के अधिकारियों की सांठगांठ सामने आई। फर्म पर निर्माताओं से अधिकृत पत्र न लेकर सीधे बाजार से घटिया सामान खरीदने का आरोप है। जिन उपकरणों का टेंडर हुआ, उनके स्पेशिफिकेशन तक नहीं दिए। यदि अलमारी या मेज खरीदनी है तो कीमत निर्धारित कर दी गई, किस साइज और कंपनी की यह होंगी, इसका कोई विवरण नहीं दिया। इससे घटिया सामान महंगे दामों पर खरीदा गया।
दैनिक जागरण ने किया भंडाफोड़ : इस महाघोटाले का भंडाफोड़ दैनिक जागरण ने ही किया था। इसके बाद डीएम ने सीडीओ की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच कराई। कमेटी को भी टेंडर में अनियमितता मिली। शासन को रिपोर्ट भेजी गई। कई माह तक मामला दबा रहा। कोल विधायक अनिल पाराशर के सक्रिय होने के बाद तत्कालीन सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल व सीएमएस डॉ. याचना शर्मा का गैर जनपद तबादला कर दिया गया। डॉ. अनुपम भास्कर पर कार्रवाई लंबित रही। 18 नवंबर 2019 को प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिख दिया। निदेशक को जांचाधिकारी नामित किया।
दब गई जांच : करीब 11 माह तक प्रमुख सचिव के आदेश निदेशालय में धूल फांकते रहे। किसी अधिकारी के बयान तक नहीं हो पाए। बुधवार को मामले की जांच कर रहे अपर निदेशक की ओर से सीएमओ को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। इसमें आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित अभिलेख व साक्ष्य सहित उपस्थित होने के लिए डॉ. भास्कर को आदेशित करने के निर्देश दिए गए हैं। इतने माह से दबी हुई फाइल अचानक बाहर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में फिर हलचल तेज हो गई है।