Victory of Truth : चौपालों पर चार हत्याओं की ही चर्चा, कलुआ के पिता बोले-देर से ही सही, सच की हुई जीत Aligarh News
तीन साल तक क्षेत्र के गांव नौगवां के कलुआ की हत्या का राज दबा रहा। लेकिन स्वजन ने उम्मीद नहीं छोड़ी। राजेंद्र के पिता ने कहा कि हमें ईश्वर पर पूरा भरोसा था कि न्याय मिलेगा। देर से ही सही पर सत्य की विजय हुई है।
अलीगढ़, जेएनएन। तीन साल तक क्षेत्र के गांव नौगवां के कलुआ की हत्या का राज दबा रहा। लेकिन, स्वजन ने उम्मीद नहीं छोड़ी। राजेंद्र के पिता ने कहा कि हमें ईश्वर पर पूरा भरोसा था कि न्याय मिलेगा। देर से ही सही पर, सत्य की विजय हुई है। रुपयों के बल पर आरोपित पक्ष ने दो बार डीएनए रिपोर्ट भी रुकवा दी थी। डीएनए रिपोर्ट पहले आ जाती तो शायद तभी घटना का पर्दाफाश हो जाता।
न्याय पर थी उम्मीद
गांव नौगवां में शुक्रवार को शांति थी। एक तरफ आरोपित राकेश का घर सुनसान था तो दूसरी तरफ जान गंवाने वाले कलुआ के घर पर लोगों का आना-जाना लगा था। गांव के लोगों में भी चार हत्याओं की ही चर्चा थी। जगह-जगह चौपालें लगी थीं और लोग पुलिस का धन्यवाद कर रहे थे। ग्रामीण भी अंदर ही अंदर इस बात को भांप गए थे कि जिस शव का अंतिम संस्कार हुआ था, वह कलुआ का था। राकेश के पिता बनवारी ने पुलिस विभाग में जान-पहचान होने का फायदा उठाकर किसी की एक न चलने दी। बनवारी की हेकड़ी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को भी उसके डर से गांव का कोई व्यक्ति कुछ बोलने को तैयार नहीं था। राजेंद्र के पिता दिलीप सिंह ने कहा कि शव मेरे बेटे राजेंद्र का ही था। तभी बेटे ने मुखाग्नि दी थी। हमें भरोसा था कि एक दिन न्याय जरूर मिलेगा। राजेंद्र की मां रामबेटी बिलखते हुए बोलीं कि सभी आरोपितों को फांसी की सजा दी जाए, तभी मेरे बेटे की आत्मा को शांति मिलेगी।
बनवारी ने घर से निकाल दी थी मौसी
राजेंद्र की मां रामबेटी व उसकी भाभी गुड्डो देवी बताती हैं कि राजेंद्र के अंतिम संस्कार के बाद घर पर सभी रस्में निभाई जा रही थीं। उसी समय बनवारी ने अपनी बुजुर्ग मौसी शांति देवी से भी रस्म निभाने की बात कही। इस पर एक मां का दर्द समझते हुए उन्होंने कहा था कि बेटा तेरा नहीं किसी और का मरा है। इस पर बनवारी ने शांति को घर से निकाल दिया था।