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भाजपा के लिए मुश्किलें, अध्यक्ष की कुर्सी बनी चुनौतीपूर्ण Aligarh News

भाजपा सोच रही थी वैसा हुआ नहीं। जिला पंचायत सदस्य की मात्र नौ सीटें भाजपा ने जीत दर्ज की है। इससे भाजपा के लिए पहले से ही अध्यक्ष की कुर्सी की राह कठिन थी मगर चौधरी सुधीर सिंह के रालोद में शामिल होने से राह और कठिन हो गई है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 05:53 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 05:53 PM (IST)
भाजपा के लिए मुश्किलें, अध्यक्ष की कुर्सी बनी चुनौतीपूर्ण Aligarh News
जिला पंचायत सदस्य की मात्र नौ सीटें भाजपा ने जीत दर्ज की है।

अलीगढ़, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत में जिस प्रकार से भाजपा सोच रही थी, वैसा हुआ नहीं। जिला पंचायत सदस्य की मात्र नौ सीटें भाजपा ने जीत दर्ज की है। इससे भाजपा के लिए पहले से ही अध्यक्ष की कुर्सी की राह कठिन थी, मगर चौधरी सुधीर सिंह के रालोद में शामिल होने से राह और कठिन हो गई है।चौधरी सुधीर सिंह के जाने से भाजपा को दो नुकसान हुआ है। पहला यह कि भाजपा उन्हें पार्टी में शामिल करके जाट सदस्यों को अपनी ओर खींचना चाहती थी दूसरी सुधीर चौधरी के पार्टी में शामिल होने से जाटलैंड में भाजपा का एक बार फिर दबदबा कायम हो जाता है। ऐसे समय में चौधरी सुधीर सिंह ने रालोद का दामन थाम लिया है, जब भाजपा से किसान नाराज चल रहे हैं। ऐसे में भाजपा की खैर और इगलास बेल्ट की पकड़ कमजोर पड़ सकती है। 

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30 से अधिक सदस्यों का दावा कर रही थी भाजपा

भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष की प्रत्याशी कभी भी घोषित कर सकती है। शराब कांड के चलते पार्टी रुकी हुई है। क्योंकि पूरे प्रदेश में इसकी हलचल है। वरना जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हो जाता। अब दिन खिसकने से भाजपा के लिए मुसीबत और बढ़ गई। क्योंकि एक हफ्ते पहले चौधरी सुधीर सिंह ने रालोद का दामन थाम लिया। दरअसल, भाजपा के नौ सदस्य जीतकर आए थे। छह बागी चल रहे थे। भाजपा उन्हें भी अपने खाते में मान रही थी। इस प्रकार से वह 15 सदस्य पार्टी के पास हो जाते। इसके बाद पार्टी 16 के करीब निर्दलीयों पर निशाना साध रही थी। उन्हें अपने साथ मिलाकर पार्टी 30 से अधिक सदस्यों का दावा कर रही थी। अध्यक्ष पद के लिए पार्टी को 24 सदस्य चाहिए थे। भाजपा की रणनीति थी कि वार्ड 47 से विजयी प्रत्याशी विजय सिंह यदि अध्यक्ष नहीं बनती हैं तो चौधरी सुधीर सिंह की पत्नी को मैदान में उतारा ज सकता है। सुधीर की पत्नी के मैदान में उतरने से फिर भाजपा के लिए राह आसन हो सकती थी। जाट और निर्दलीय सदस्य एकजुट होकर भाजपा के साथ खड़े हो जाते। अब सुधीर सिंह के रालोद में जाने से विपक्ष मजबूत होगा। रालोद-सपा और हो सकता है कि बसपा भी साथ में आ जाए। तीनों दल यदि अध्यक्ष के लिए एकजुट हो गए तो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।


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