PM Visit In Aligarh: मोदी की झलक तक नहीं दिखी, मगर आवाज ने ही दे दी तसल्लीAligarh News
PM Visit In Aligarh किसी की निगाहें प्रधानमंत्री के हेलीकाप्टर के इंतजार में आसमान की ओर टिकी थीं तो कोई मंच के पास पहुंचने की जुगत में लगा था। काले कपड़े के चलते कुछ लोग प्रवेश द्वार पर ही रोक दिए तो कुछ मेटल डिटेक्टर से आगे नहीं बढ़ सके।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। किसी की निगाहें प्रधानमंत्री के हेलीकाप्टर के इंतजार में आसमान की ओर टिकी थीं तो कोई मंच के पास पहुंचने की जुगत में लगा था। काले कपड़े के चलते कुछ लोग प्रवेश द्वार पर ही रोक दिए तो कुछ मेटल डिटेक्टर से आगे नहीं बढ़ सके। इसके बावजूद लोगों का जोश कम नहीं था। बच्चे हों या बुजुर्ग, जहां थे वहीं बैठ गए। मोदी की झलक तो नहीं देख पाए, मगर आवाज ने ही उन्हें तसल्ली दे दी।
भीड़ को देखकर लोग मैदान में ही डटे रहे
कार्यक्रम में अलीगढ़ के अलावा आसपास के जिलों के लोग भी शामिल हुए। पहले बसों से उतरकर उन्हें करीब आठ सौ मीटर पैदल चलना पड़ा। भीड़ को देखकर कुछ लोग मैदान में ही ठहर गए। मेटल डिटेक्टर पर बैग, कागज व अन्य आपत्तिजनक रखवा लिया गया। अंदर घुसते ही बारिश के चलते मिट्टी धंस गई थी। यहां कीचड़ में निकलने से लोगों को परेशानी हुई। पांडाल खचाखच भरा हुआ था। भीषण गर्मी में लोगों का जोश कम नहीं हुआ। जट्टारी से आए मनवीर ने कहा कि टीवी पर तो रोज प्रधानमंत्री को देख लेते हैं। लेकिन, उन्हें सौ मीटर दूर से ही सही, पास से देखना की काफी है। खैर के बांकनेर से जयप्रकाश अपने 12 वर्षीय नाती विजय के साथ पहुंचे थे। विजय को उन्होंने गोद में उठा लिया। कहने लगे, बच्चा आने की जिद कर रहा था तो ले आया। कार्यक्रम खत्म होकर लौट रहे खैर के सोफा के रहने वाले बुजुर्ग सूरजपाल व नेकसे ने कहा कि प्रधानमंत्री की आवाज सुनकर ही तसल्ली मिल गई।
20 फीसद लोग नहीं देख सके झलक
भीड़ में करीब 20 फीसद लोग ऐसे थे, जो प्रधानमंत्री की झलक तक नहीं देख पाए। वहीं सैकड़ों लोग पांडाल के बाहर ही डटे रहे। कुछ मैदान में बैठ गए तो कुछ पार्किंग में ही रहे। यहां से वे हेलीकाप्टर के आने-जाने और संबोधन की आवाज ही सुन पाए।
गर्मी में हालत बिगड़ी
11 बजे से एक बजे तक लगातार लोगों का पांडाल में आना लगा रहा। सारी कुर्सियां फुल हो गईं। वहीं पांडाल तक पहुंचने में कुछ बुजुर्ग परेशान हो गए। मेटल डिटेक्टर वाले गेट के पास गर्मी के चलते एक बुजुर्ग की हालत बिगड़ने लगी तो वह वहीं कुर्सी डालकर बैठ गए।