दशहरा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, लोगों ने घरों में गंगाजल से किया स्नान
कुछ श्रद्धालु गंगा तटों पर भी पहुंचे थे लेकिन पुलिस सख्ती के कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। श्री गंगा सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने घरों पर दीपक जलाकर पर्व मनाया।
अलीगढ़ (जेएनएन)।. गंगा दशहरा पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। लॉकडाउन के चलते श्रद्धालुओं ने घर पर ही गंगाजल से स्नान कर मां गंगा की आरती और पूजन किया। हालांकि कुछ श्रद्धालु गंगा तटों पर भी पहुंचे थे, लेकिन पुलिस सख्ती के कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। श्री गंगा सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने घरों पर दीपक जलाकर पर्व मनाया।
लॉकडाउन के चलते लोग तीज-त्योहार,पर्व खुलकर नहीं मना पा रहे हैं। प्रत्येक वर्ष गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं का सैलाब एक दिन पहले ही गंगा तटों के लिए निकल पड़ता था। रामघाट, राजघाट, नरौरा, अनूपशहर, सांकरा आदि गंगा तटों पर श्रद्धालु स्नान करने के साथ ही दान-पुण्य करते थे। मगर, सोमवार को गंगा अवतरण के दिन श्रद्धालुओं को घरों पर ही गंगाजल से स्नान करना पड़ा। फिर मां गंगा का पूजन व आरती की। श्रद्धालुओं ने मां गंगा से रोग,दोष निवारण की प्रार्थना की। कुछ स्थानों पर लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए घड़े आदि की प्याऊ रखी गई। जीवन निर्माण साधना समिति के पदाधिकारियों ने चावल, गेहूं आदि राशन का वितरण किया और प्याऊ भी लगाई। डॉ. केवी उपाध्याय ने कहा कि गंगा मइया धरती पर उतरकर हम सभी के जीवन का कल्याण कर दिया। सीए अवन राघव, वीरेंद्र सिंह चौहान, जनकपाल सिंह, डॉ. एके तोमर, बंटी राघव आदि थे।
घर- घर जले दीप, भव्य आरती
श्री गंगा सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने शाम के वक्त घरों पर दीपक जलाए और आरती की। समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा. श्यौराज सिंह ने कहा कि उन्होंने सभी से पहले ही अपील की थी कि गंगा प्रदूषण मुक्त हो गई हैं इसलिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। ऐसा न हो कि नियमों को तोड़ते हुए फिर स्नान करने पहुंच जाएं। इस अपील का प्रभाव भी दिखाई पड़ा। संस्थापक किरन कुमार झा ने कहा कि 500 कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने घरों पर दीपक जलाए हैं। डॉ. आशा राठी ने कहा कि गंगा मां ने हमें इतना कुछ दिया है कि हम उनका ऋण कभी चुकता नहीं कर सकते हैं।
बिना जल ग्रहण किए रखेंगे उपवास, 24 एकादशी व्रत का फल देती है निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी मंगलवार को पूरे धार्मिक उल्लास के साथ मनाई जाएगी। 24 एकादशी में सबसे बड़ी एकादशी निर्जला एकादशी मानी जाती है। व्रत रखने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। सोमवार को व्रत के सामान के साथ ही दान-पुण्य के लिए बाजार में घड़ा-पंखा आदि खरीदे गए। तरबूज, खरबूज और आम आदि भी लोगों ने खरीदे। एटा चुंगी, नौरंगाबाद, दुबे का पड़ाव, सुदामापुरी, विष्णुपुरी, मसूदाबाद, सारसौल, खैर रोड आदि स्थानों पर घड़ा व हाथ वाले पंखे की जमकर बिक्री हुई। श्रद्धालु दीपिशिखा का कहना था कि मंगलवार को व्रत के दिन निकलना मुश्किल होता है इसलिए एक दिन पहले ही पूजन के सामान की खरीदारी कर ली, जिससे दान-पुण्य कर सकें।
यह है महत्व
वैदिक 'योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि वैदिक पंचाग में 11वीं तिथि एकादशी के नाम से जानी जाती है। एक माह में दो एकादशी पड़ती हैं। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। 'येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी भी कहा जाता है। इस बार यह मंगलवार को पड़ रही है। इसलिए व्रत रखने वाले जातक सूर्योदय से सूर्यास्त तक जल ग्रहण नहीं करते हैं। भगवान विष्णु को यह व्रत सबसे प्रिय है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी को जो भी व्रत रखता है उसे 24 एकादशी के व्रत के बराबर फल की प्राप्ति होती है। व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें। रोली, चंदन और माला अर्पित करें। नारियल, मिठाई आदि का भोग चढ़ाकर भगवान विष्णु का जाप करें। सभी मनोकामना फलित होंगी। जरूरतमंदों को मिट्टी का घड़ा, पंखा आदि दान करें। शर्बत, पानी, चीनी आदि का भी दान करना चाहिए।
यजमानों से अपील
तस्थातु 'योतिष संस्थान के प्रमुख आचार्य लवकुश शास्त्री ने कहा कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से यजमानों से दान- पुण्य की अपील करते रहे। उन्होंने यमजानों से कहा कि वह अधिक से अधिक कुम्हार के घर बना घड़ा खरीदें। साथ ही पंखा भी खरीदें, जिससे जरूरतमंदों की मदद हो सके। आचार्य ने कहा कि हमारे तीज-त्योहार हमें धर्म से तो जोड़ते ही हैं सामाजिक संरचना को भी बरकरार रखते हैं।
नहीं लगा मेला
दादों: सांकरा गंगा घाट पर सोमवार को गंगा दशहरा पर्व पर कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन का पूरा असर देखने को मिला। जनपद अलीगढ़ के इकलौते गंगा घाट पर प्रत्येक पूर्णिमा व अमावस्या पर लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए आते थे। लेकिन दशहरा पर्व पर पूरा घाट सूना-सूना दिखाई दिया। वही थाना पुलिस की ओर से कस्बा दादों, आलमपुर चौराहा, हजारा नहर पुल व अन्य सभी रास्तों पर बेरीकेटिंग लगाकर आने वाले श्रद्धालुओं को रोका गया।
हर्षोल्लास के साथ मनाया गंगा दशहरा का पर्व
अकराबाद क्षेत्र के गांव नानऊ, अकराबाद, कौडिय़ागंज, पिलखना, गोपी, पनेठी, गुदमई सहित विभिन्न गांवों व कस्बों में गंगा दशहरा का पर्व लोगों ने घरों पर हर्सोल्लास के साथ मनाया। नानऊ नहर पुल पर हर साल की तरह लगने वाला दशहरा का मेला नहीं लगा। मेले में जहां दूरदराज के गांवों से महिला-पुरुष व युवक-युवतियों की हजारों की तादाद में मेला व स्नान करने आते थे इस बार मेला न लगने के कारण सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि कि कुछ दुकानदारों ने परंपरा को निभाते हुए खेल खिलौने चाट पकोड़ी की दुकानें लगाईं तो वहीं कुछ युवाओं ने नहर में डुबकी लगाकर स्नान किया।