Derailment of Coolie Life: कोरोना ने कुलियों के जीवन की ट्रेन को कर दिया बेटपरी, जानिए विस्तार से
Derailment of Coolie Lifeलाल शर्ट और बाजू पर तांबे के बैंड के साथ भीड़भाड़ वाले रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आते ही सीढिय़ों पर कुली-कुली की आवाज और फिर सवारियों के बैग ब्रीफकेस को कंधे पर रखकर दौड़ते देखे जाने वाले कुली आज गरीबी व भुखमरी की कगार पर हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। लाल शर्ट और बाजू पर तांबे के बैंड के साथ भीड़भाड़ वाले रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आते ही सीढिय़ों पर कुली-कुली की आवाज और फिर सवारियों के बैग, ब्रीफकेस को कंधे पर रखकर दौड़ते देखे जाने वाले कुली आज गरीबी व भुखमरी की कगार पर हैं। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पहले लॉकडाउन फिर अनलॉक में रेलवे के थमे पहियों के चल पडऩे के बावजूद कुलियों के जीवन की ट्रेन अब भी बेटपरी है। काम न मिलने से जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लगा है। स्टेशन पर काम करने वाले करीब 25 कुली हैं। भले ही कोरोना का संक्रमण उनके रोजगार को लील चुका है, फिर भी उन्हें भविष्य से उम्मीद हैं कि जल्द ही सब कुछ ठीक होगा।
याद आती है फिल्म कुली
'सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं, लोग आते हैं, लोग जाते हैं, हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं, कुलियों का जिक्र होते ही 1983 में बनीं अमिताभ बच्चन की फिल्म कुली का यह गाना याद आ जाता है। इस फिल्म ने पहली बार यात्रियों का बोझ उठाने वाले इस तबके के संघर्ष को सबके सामने रखा, लेकिन इतने साल बाद भी कुलियों की जिंदगी नहीं बदल सकी।
नहीं मिल रहा काम
कुलियों ने अपने पैसे से कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क, सैनिटाइजर व दस्ताने खरीदेे हैं, लेकिन यात्रियों ने दूरी बनानी शुरू कर दी है। तमाम यात्री अपने सामान को खुद ही उठा लेते हैं, जिससे कुलियों को काम नहीं मिल रहा है।
कुलियों की पीड़ा
पांच लोगों के परिवार के साथ किराये के कमरे में रहकर किसी तरह गुजर-बसर कर पा रहा हूंं। ऐसा बुरा समय पूरी जिंदगी में कभी नहीं देखा। - हैदर अली
हम रोज मेहनत करते हैं, लेकिन सड़कों पर भीख नहीं मांग सकते। हम काम और सरकार से अन्य वर्गों की तरह आर्थिक मदद चाहते हैं। - महेश कुमार
दो माह से मकान का किराया तक नहीं दे पाए हैं। जब पैसे ही नहीं हैं तो भला वह मकान का किराया कहां से चुका पाएंगे। - राजकुमार
पहले कमाई से खर्च निकालकर जो बचता था, उसे घर भेज देते थे। उसी से परिवार का भरण-पोषण होता था। अब अपने पेट के ही लाले पड़े हैं। - देव कुमार
लॉकडाउन घोषित होने पर ट्रेनों का परिचालन ठप होने के बाद कुलियों को खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराई गई है।- केशव त्रिपाठी, पीआरओ, उत्तर-मध्य रेलवे