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अलीगढ़ पुलिस की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में क्यों हुई फजीहत?, जानिए सच

अलीगढ़ पुलिस की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में खूब फजीहत हुई है। मामला किसी एनकाउंटर का हो या फिर विवेचना से जुड़ा, पुलिस की कारगुजारी पर सवाल उठ रहे हैं।

By Edited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 09:10 AM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 09:41 AM (IST)
अलीगढ़ पुलिस की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में क्यों हुई फजीहत?, जानिए सच
अलीगढ़ पुलिस की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में क्यों हुई फजीहत?, जानिए सच

अलीगढ़ (लोकेश शर्मा)। अपराधियों पर लगाम कस रही पुलिस की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में खूब फजीहत हो रही है। मामला किसी एनकाउंटर का हो या फिर विवेचना से जुड़ा, पुलिस की कारगुजारी पर सवाल उठ रहे हैं। अलीगढ़ के ही कई ऐसे मामले हैं, जिनमें पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए न सिर्फ विभागीय कार्रवाई के आदेश हुए, बल्कि उनसे पीडि़त पक्ष को जुर्माना भी दिलाया गया। हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बरला के गांव परौरा निवासी हरिसिंह पुत्र बाबू सिंह के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के साथ 25,000 रुपये वसूल कर पीडि़त पक्ष को देने के निर्देश दिए हैं।

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अलीगढ़ में पुलिस अभिरक्षा में हुई थी मौत
 अलीगढ़ में विजयगढ़ के गांव शहबाजपुर निवासी नीलम पत्नी पंकज से जुड़े प्रकरण में भी पुलिसकर्मियों पर 10,000 रुपये जुर्माना लगाया है। गभाना के गांव पनिहावर निवासी श्यामू पुत्र रामरक्षपाल की पुलिस अभिरक्षा में मौत के मामले में आयोग ने दोषी पुलिसकर्मियों से एक लाख रुपये वसूल कर मृतक के परिजनों को दिलाने की संस्तुति की है। हरदुआगंज एनकाउंटर में जांच लंबित है। कई अन्य मामले भी हैं, जिनमें पुलिस घिरी हुई है।

मथुरा एनकाउंटर
खैर के नगला मुन्नीलाल निवासी योगेंद्र उर्फ कालू को मथुरा पुलिस ने 24 अक्टूबर 2011 को मुठभेड़ में ढेर किया था। मुठभेड़ फर्जी बताकर आयोग में शिकायत हुई। जांच में दोषी ठहराए गए पुलिसकर्मियों से पांच लाख रुपये वसूल कर मृतक के परिजनों को देने के आदेश आयोग ने पांच जुलाई को दिए। कालू पर दो सिपाहियों की हत्या कर राइफल लूटने का आरोप था। कालू के भाई संजय को क्वार्सी पुलिस ने 12 नवंबर- 08 को बामौती के राजू के साथ ढेर किया था।

बंदी की मौत
जेल में 13 जून 2014 को बंदी बहादुर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत पर आयोग ने एक लाख रुपये जुर्माना वसूलने के आदेश दिए। ये जुर्माना आरोपित पुलिसकर्मियों से मृतक आश्रितों को दिलाया गया।

मेरठ एनकाउंटर
दादों क्षेत्र के गांव नगला लाले निवासी सतेंद्र सिंह पुत्र वीरेंद्र का नाम 2006 में गांव कलाई हरदुआगंज के गिरीश हत्याकांड में आया था। राजमिस्त्री का ठेका दिलाने के बहाने गिरीश को ले जाया गया, फिर हत्या कर दी। तीन मार्च- 2010 को मेरठ में सतेंद्र के मुठभेड़ में ढेर होने की खबर परिजनों को लगी। मुठभेड़ पर सवाल उठे तो बीते साल 24 मार्च को आयोग ने ऑपरेशन में शामिल पुलिसकर्मियों से पांच लाख रुपये मृतक के परिजनों को दिलाने के साथ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए।

तथ्यों के आधार पर हुई कार्रवाई
एसएसपी अजय साहनी का कहना है कि पुलिस तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करती है। कुछ मामलों में शिकायतें होती हैं, जिनकी जांच चलती है। हम भी अपने स्तर से जांच कराते हैं और अनियमितता मिलने पर कार्रवाई करते हैं।


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