शहर में शोर मचा रहीं डेयरियां, कैटल कालोनी पर अफसर मौन Aligarh news
शहर के आबादी वाले इलाकों में डेयरियां मुसीबत बनी हुई हैं। दिनभर पशुओं के रंभाने की आवाज नालियों में बहता मल-मूत्र आए दिन होने वाले पशुओं के हमलों से लोग परेशान हैं। कुछ क्षेत्रों में तो सड़क पर ही पशु बांधे जा रहे हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता । शहर के आबादी वाले इलाकों में डेयरियां मुसीबत बनी हुई हैं। दिनभर पशुओं के रंभाने की आवाज, नालियों में बहता मल-मूत्र, आए दिन होने वाले पशुओं के हमलों से लोग परेशान हैं। कुछ क्षेत्रों में तो सड़क पर ही पशु बांधे जा रहे हैं, यहां से निकलना जोखिम भरा होता है। पशुओं को खुला भी छोड़ दिया जाता है। डेयरियाें से शहर को निजात दिलाने के लिए हाइकोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं। शहरों से इन्हें बाहर शिफ्ट करने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देश हुए थे। सरकार ने स्थानीय प्रशासन को कैटल कालोनियां विकसित करने के आदेश कर दिए। अलीगढ़ में पिछले साल कैटल कालोनी के लिए जगह चिह्नित कर ली गई, लेकिन निर्माण अब तक शुरू न हो सका।
नगर निगम के रिकार्ड में 555 डेयरियां
अलीगढ़ नगर निगम के रिकार्ड में 555 डेयरियां शहर में संचालित हैं। जबकि, इनकी संख्या 800 से ऊपर है। डेयरियाें को शिफ्ट करने के लिए गांव देवसैनी में अलीगढ़ विकास प्राधिकरण ने साढ़े आठ हेक्टेअर जमीन चिह्नित की थी। शासन को इसका प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया। हाईकोर्ट को भी जमीन चिह्नाकन की रिपोर्ट दे दी गई। लेकिन, अब तक कोई काम शुरू नहीं हो सका। योजना ये थी कैटल कालोनी बनने के बाद डेयरी संचालकों को प्लाट दिए जाएंगे। यहां पशुओं के चारे की व्यवस्था भी होगी। निराश्रित पशुओं को भी यहीं रखा जाएगा। चारा-पानी का खर्चा प्रशासन उठाएगा। लेकिन, इस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
प्रशासनिक हीलाहवाली के चलते मनमानी कर रहे डेयरी संचालक
प्रशासनिक हीलाहवाली के चलते डेयरी संचालक मनमानी कर रहे हैं। सुबह पशुओं को चराने के लिए मुख्य मार्गाें से ले जाते हैं, फिर शाम को वापस लेकर आते हैं। इससे दौरान राहगीरों को काफी परेशानी होती है। पशुओं को हटाने की कोशिश करो तो हमला कर देते हैं। सड़कों पर मल-मूत्र पड़ा रहता है, इससे वाहन फिसलते हैं। 2019 में नगर निगम ने डेयरियाें के खिलाफ अभियान चलाया था। भारी जुर्माना वसूला गया। आधा दर्जन डेयरियां हटाई भी गईं। फिर कोरोना संकट के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। अब कैटल कालोनी तैयार होने के बाद डेयरियां शिफ्ट कराने का हवाला देकर अफसर चुप्पी साध लेते हैं।