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Dainik Jagran Sarva Dharma Prayer: हम आपको कभी भुला न पाएंगे...

कोरोना संक्रमण के चलते काल के गाल समा गए। यह वक्त उनके शोकाकुल स्वजन को हिम्मत बंधाने का है। दैनिक जागरण सर्व धर्म प्रार्थना के जरिए ऐसे ही लोगों को नमन कर रहा है। आइए आपको शहर के प्रमुख लोगों के बारे में बताते हैैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 07:00 AM (IST)
Dainik Jagran Sarva Dharma Prayer: हम आपको कभी भुला न पाएंगे...
आपको शहर के प्रमुख लोगों के बारे में बताते हैैं, जो हमारे बीच अब नहीं रहे।

अलीगढ़, जेएनएन। यह वक्त दुख साझा करने का है। ऐसी शख्सियतों को याद करने का है, जो हमसे बहुत दूर चले गए। कोरोना संक्रमण के चलते काल के गाल समा गए। यह वक्त उनके शोकाकुल स्वजन को हिम्मत बंधाने का है। दैनिक जागरण सर्व धर्म प्रार्थना के जरिए ऐसे ही लोगों को नमन कर रहा है। आइए, आपको शहर के प्रमुख लोगों के बारे में बताते हैैं, जो हमारे बीच अब नहीं रहे।

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घर में व्यक्तिगत संग्रहालय बनाया

एएमयू की शान थे नवाब इब्ने छतारी मैरिस रोड निवासी नवाब इब्ने सईद छतारी एएमयू की शान थे। वो सबसे पुराने पूर्व छात्र भी थे। 98 वर्षीय छतारी का कोरोना काल में निधन हो गया। वह एएमयू के प्रो-चांसलर के अलावा यूनिवॢसटी कोर्ट , एग्जीक्यूटिव काउंसिल समेत कई बाडी के सदस्य थे। ट्रेजरार के अलावा वह ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन के सचिव भी रहे। यूनिवॢसटी को जब भी उनकी जरूरत होती थी वो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन जरूर करते थे। नवाब इब्ने सईद छतारी ने अपने घर में व्यक्तिगत संग्रहालय बनाया था। जिमसें आजादी से लेकर अब तक की बहुत से यादें संजोई हैं। उनके पिता नवाब अहमद सईद खान छतारी आजादी से पहले हैदराबाद के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के राजयपाल रहे। दादा नवाब लुत्फ अली खान उर्फ छतारी 1877 में मोहम्मडन एंग्लो कालेज की स्थापना के समय स्वागत समिति के सचिव थे।

मुस्कराता हुआ चेहरा कभी भुला नहीं पाएंगे

कोरोना ने एएमयू को बहुत क्षति पहुंचाई है। कई काबिल प्रोफेसरों को हमसे छीन लिया। कानून संकाय के डीन प्रो. शकील अहमद समदानी को कभीा भुला नहीं पाएंगे। हमेश हंस मुख रहने वाले प्रो. समदानी फैमिली ला, पब्लिक इंटरनेशनल ला, ह्यूमन राइट्स, इस्लामिक लीगल सिस्टम एंड कॉन्स्टीट्यूशनल ला आफ इंडिया के विशेषज्ञ थे। उन्होंने यूनिफार्म सिविल कोड और मुस्लिम तलाक के लिए निर्वाह भत्ता पर किताबें भी लिखीं। वह यूनिवॢसटी कोर्ट, एग्जीक्यूटिव काउंसिल, एकेडमिक काउंसिल के सदस्य रहे। विश्वविद्यालय के संपत्ति अधिकारी (राजपत्रित), सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र के समन्वयक भी रहे।

संस्कृत के ज्ञानी थे प्रो. युसूफ

एएमयू के संस्कृत विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. खालिद बिन युसूफ का जाना यूनिवॢसटी के लिए अपूरणीय क्षति है। प्रो. खालिद एएमयू के पहले ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने ऋग्वेद में पीएचडी की। संस्कृत के वह ज्ञाता थे। प्रो. खालिद संस्कृत विभाग में 30 साल से सेवारत थे। तीन साल चेयरमैन भी रहे। 2009-10 में यूनिवॢसटी के वीएम हाल के प्रोवोस्ट और एएमयू कोर्ट के सदस्य भी रहे। उन्होंने नौ किताबें लिखीं थीं। 991 में उन्हेंं ओपन दक्षेस राष्ट्रीय मौलाना अबुल कलाम आजाद निबंध लेखन प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने दिया था। 2005 में विजय रत्न अवार्ड उड़ीसा और असम के पूर्व राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह के हाथों मिला था।

शोध कार्य में रहा योगदान

कोरोना काल में एएमयू ने प्रो. मुहम्मद अली खान के रूप में बड़ा वैज्ञानिक खो दिया। यूनिवर्सिटी के पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी विभाग में कार्यरत प्रो. खान पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय की विभिन्न परियोजनाओं में प्रधान अन्वेषक थे। एएमयू में सेवाकाल के दौरान ही उन्होंने 2014 में पीएचडी की। पर्यावरण और वन मंत्रालय प्रायोजित कई परियोजनाओं पर भी उन्होंने काम किया। 1990 में उन्होंने रुड़की विश्वविद्यालय से कंप्यूटर एडेड प्रोसेस प्लांट डिज़ाइन में विशेषज्ञता के साथ केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर आफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

जरूरतमंदों के रहनुमा थे अनूप

विजडम पब्लिक स्कूल के निदेशक अनूप गुप्ता स्कूल संचालन के साथ उद्योगपति भी थे। दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाले अनूप जरूरमंदों के रहनुमा के तौर पर भी थे। निजी स्कूलों की ज्यादा फीस के चलते जरूरतमंद लोग वहां अपने बच्चों को पढ़ाने की सोचते भी नहीं हैं। मगर उन्होंने ऐसे बच्चों को फीस माफ कर सिर्फ पढऩे की अनुमति ही नहीं दी बल्कि उनको किताब, स्टेशनरी व ड्रेस आदि तक उपलब्ध कराने का काम भी किया। स्कूल संचालन हो या उद्योग प्रबंधन दोनों ही क्षेत्र में उनको महारथ हासिल थी।

हमेशा याद रहेंगे शिक्षकों के हिमायती तारिक

कंपोजिट इंग्लिश मीडियम स्कूल नगला मीरपुर जवां के प्रधानाध्यापक मोहम्मद तारिक शिक्षकों के सच्चे हिमायती थे। कोरोना संक्रमण से उनके निधन होने से शिक्षकों ने अपना हिमायती खो दिया। शिक्षकों की जायज समस्याओं के लिए बीईओ हो या बीएसए हर अधिकारी के सामने मजबूती से अपना पक्ष रखने में कभी पीछे नहीं हटे। सिद्धांतों के पक्के तारिक हमेशा शिक्षकों के लिए उपलब्ध रहते थे। शिक्षकों की वेतन संबंधी समस्या हो या गलत कार्रवाई की, वे स्कूल समय के बाद न्याय के लिए अफसरों के पास जरूर जाते थे।

याद रहेगा प्रशांत का समय प्रबंधन

प्राथमिक स्कूल भगौसा अकराबाद के सहायक अध्यापक प्रशांत उपाध्याय अपने समय प्रबंधन के लिए हमेशा शिक्षकों व विद्याॢथयों के बीच याद किए जाएंगे। बतौर शिक्षक वे खुद तो समय पर स्कूल पहुंचते ही थे। विद्याॢथयों में भी समय पर स्कूल आने की आदत उन्होंने विकसित कर दी थी। क्षेत्र के लोग व साथी शिक्षक बताते हैं कि समय प्रबंधन व पाबंदी को लेकर वे अपने अधीनस्थों को भी हमेशा टोका करते थे। कोरोना संक्रमण से निधन होने के बाद अब उनके इस बदलाव के कदम को हमेशा याद किया जाएगा।

गणित को आसान करने का फलसफां रहेगा याद

बाबूलाल जैन इंटर कालेज में गणित के शिक्षक संतोष कुमार जैन की खूबी थी कि गणित के मुश्किल से मुश्किल चैप्टर वे विद्याॢथयों को आसानी से तैयार कराते थे। अनुशासन प्रिय संतोष नौवीं कक्षा तक के विद्याॢथयों को गणित पढ़ाते थे। सिद्धांतवादी इतने थे कि परीक्षाओं में इनकी ड्यूटी इस उद्देश्य से लगाई जाती थी कि जिस कक्षा में ये होंगे वहां विद्यार्थी नकल नहीं कर सकते। गणित के कठिन सवालों को आसान फार्मूले के जरिए सिखाना इनकी खूबी थी। इनके निधन से विद्याॢथयों व कालेज को बड़ी क्षति हुई है।

शिक्षा के प्रति समर्पण हमेशा रहेगा याद

नौरंगीलाल राजकीय इंटर कालेज के सहायक अध्यापक राजकुमार सिंह का शिक्षा के प्रति समर्पण हमेशा याद किया जाएगा। सामाजिक विषय की कक्षाएं लेने के साथ ही वे विद्याॢथयों को एमडीएम, यूनिफार्म वितरण आदि योजनाओं का लाभ दिलाने में भी सक्रिय भूमिका निभाते थे। सभी शिक्षकों से उनका मधुर संबंध रहता था। कक्षाएं खत्म होने के बाद भी अगर किसी विद्यार्थी को शंका होती थी तो वे कक्षा में बैठकर पढ़ाते थे। शिक्षा के प्रति उनका ये समर्पण भाव कभी भुलाया नहीं जा सकता।

काम से बनाई पहचान

कोविड संक्रमण से प्रमुख समाजसेवी, सीबी गुप्ता सरस्वती विद्या पीठ के अध्यक्ष, राधारमण गोसेवा समिति के उपसचिव राजेश उप्पल को छीन लिया। उप्पल पैकेजिंग के मालिक व रामघाट रोड महावीर पार्क निवासी उप्पल के निधन से स्वजन गमजदा हैं। उप्पल अपने काम और व्यवहार के लिए जाने जाते थे। उन्होंने काम से ही अपनी पहचान बनाई।


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