कम लक्ष्य के साथ साथा चीनी मिल का पेराई सत्र शुरू Aligarh news
जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने बताया अलीगढ में इस बार पांच हजार हेक्टेअर गन्ने की फसल होने के अनुमान के चलते 7 लाख कुुतंल गन्ना पेराई का लक्ष्य रखा गया जो पिछली बार सेे 5 लाख कुतंल कम है। पिछले सत्र में 12 लाख कुतंल का लक्ष्य निर्धारित रहा था।
अलीगढ़, जेएनएन : कासिमपुुर स्थित साथा चीनी मिल का इस साल का पेराई सत्र एड़ीएम वित्त विधान जायसवाल, सीडीओ अनुनय झा, एसडीएम कोल अनिता यादव की उपस्थिति में जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने फीता काट कर किया।
7 लाख कुंतल गन्ना पेराई का लक्ष्य
इस मौके पर जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने बताया अलीगढ जिले में इस बार पांच हजार हेक्टेअर गन्ने की फसल होने के अनुमान के चलते 7 लाख कुुतंल गन्ना पेराई का लक्ष्य रखा गया है जो पिछली बार सेे 5 लाख कुतंल कम है।पिछले साल के सत्र में 12 लाख कुतंल का लक्ष्य निर्धारित रहा था, लेकिन मिल आए दिन की तकनीकी खराबी व ईधन के अभाव से जूझती रहीं जिससे लक्ष्य पूरा न हो सकी जिसके चलते प्रबंधन को मिल से गन्ने को साबित गढ आदि मिलों को डायवर्ड करना पडा था।
अब नहीं होगी समस्या
इस बार की कार्य दायी कंपनी एटूजेड के इंजीनियर दावा कर रहें हैं इस बार मशीनों की तकनीकी पर बारीकी से काम किया गया है जिससे किसानोें को समस्या का सामना नहीं करना पड़े। इस दौरान साथा चीनी मिल के महाप्रबंधक राम शंकर, जिला गन्ना अधिकारी ड़ा सुभाष यादव ,महेश गर्ग व मिल के कर्मचारी व अधिकारियों केे साथ अन्य गन्ना किसान भी उपस्थित रहें।
साथा चीनी मिल के पिछले स़त्र 2019 के आंकड़े
23 नंबवर 2019 पेराई सत्र शुरू होने से पहले मिल की ओवर हांलिग पर करोडों रूपयें भी खर्च किया जा चुका था। इतनी बड़ी रकम खर्च के बाद माना गया कि मिल पूरी क्षमता से चलेगी और गन्ना किसानों को मिठास का एहसास करायेगी।लेकिन कंपनी के इंजीनियरों के दावे खोखले साबित हुए एवं सत्र गन्ना किसान के लिए कडवा साबित हुआ, क्योंकि 8.898 लाख हेक्टेअर के क्षेत्र फल में 65 लाख 97 हजार 840 कुंतल गन्ना उत्पादन का अनुमान को देखते हुए पहले से 4.5 लाख कुंतल अधिक का लक्ष्य दिया गया साथ ही कार्य दायी कंपनी कैस्टिक के इंजीनियरों के अनुसार मिल के गन्ना पेराई की क्षमता भी बढाने की भी बात कहीं गई थी। लेकिन हकीकत कुछ और ही थी। मिल 1.24 लाख कुतंल गन्ने की पेराई के बाद भी बिकने लायक चीनी नहीं बना सकीं थी क्योंकि बॉयलर प्रेशर ही नहीं बना पायें। लगातार एक माह मिल पूरी क्षमता से न चल पाने का खामियाजा मिल महाप्रबधंक पीके सिंह को तबादले के तौर पर भी चुकानी पड़ी थी।
साथा चीनी मिल को है दरकार
साथा चीनी मिल को 400 करोड़ रूपये की दरकार है जिससे क्षेत्रफल के हिसाब से पैदावार को देखते हुए वर्तमान में पैराई क्षमता 1250 टीसीड़ी है।जिससे इसे लाभदायक ईकाई नहीं माना जा रहा है। पैदावार व क्षेत्रफल को देखते हुए इसकी क्षमता 3500टीसीड़ी होनी चाहिए। मिल का अत्यंत पुराना होना और मशीनरी का जीर्णशीर्ण अवस्था में होना भी मिल का न चलना भी एक वजह है।पिछले सत्र की कार्य दायी कंपनी कैस्टिक के तकनीशियन भी मान चुके है। जबकि मिल के पास 40.62 हेक्टेअर भूमि भी मौजूद है।जिसमें नई मशीन स्थापित की जा सकेें जो आस पास के गन्ना किसानों में मिठास घोल सकें।