रचनात्मकता न भूले बंदी, बना डाले 40 हजार मास्क Aligarh news
लॉकडाउन के दौरान मई में कैदियों ने मास्क बनाना शुरू किया था। पेंटिग किताबें पढऩा योग से जहां मनोरंजन कर रहे हैं वहीं कोरोना से जंग लड़ते हुए 40 हजार 110 मास्क बना चुके हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना काल ने हर किसी का जीवन बदल दिया। जेल की दुनिया भी इससे अछूती नहीं रही। अपनों से दूर बंदियों ने रचनात्मकता को ताकत बना लिया है। पेंटिग, किताबें पढऩा, योग से जहां मनोरंजन कर रहे हैं, वहीं कोरोना से जंग लड़ते हुए 40 हजार 110 मास्क बना चुके हैं। बंदियों के बनाए मास्क पुलिस, बैंक, रोडवेज व सामाजिक संस्थाओं को भी बांटे गए हैं।
जेल अलीगढ़ ने यूं तो लाइब्रेरी, जिम, बंदियों की पढ़ाई आदि के मामले में प्रदेश भर में अलग जगह बना ली है। कोरोना काल में भी यहां के कैदी अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए फेस मास्क बना रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान मई में कैदियों ने मास्क बनाना शुरू किया था। इस काम में 10 बंदी जुटे हैं, जो सुबह आठ से शाम पांच बजे तक जुटे रहते हैं। इनके लिए आठ मशीन उपलब्ध कराई गई हैं। इनमें दो मशीन आधुनिक हैं। जेल में मास्क की गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सूती के कपड़े से बने ट्रिपल लेयर मास्क को दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
यहां दिए गए जेल में बने मास्क
कहां, कितने मास्क
उड़ान सोसायटी, 1500
जिला मजिस्ट्रेट, 2000
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, 2500
परिवहन निगम (अलीगढ़), 6100
परिवहन निगम (झांसी), 1000
वरिष्ठ जेल अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए बंदी जेल में ही मास्क बना रहे हैं। अब तक 40 हजार 110 मास्क बन चुके हैं। इनमें 18 हजार 300 मास्क बंदियों व 1730 मास्क कर्मचारियों को दिए गए हैं। कई सरकारी विभागों व सामाजिक संगठनों को मास्क उपलब्ध कराए गए हैं। मास्क बनाने का काम जारी है।