कोविड-19 वायरस स्वस्थ मरीजों को भी कर रहा बीमार, जानिए कैसे Aligarh News
क्या कोरोना वायरस दिमाग पर असर डालता है? यह सवाल हर किसी के जेहन में है। आप को जानकर हैरानी होगी कि यह सच है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस शरीर के अन्य अंगों के साथ दिमाग पर भी असर डालता है। इसका असर काफी गहरा पड़ सकता है।
अलीगढ़, जेएनएन। क्या कोरोना वायरस दिमाग पर असर डालता है? यह सवाल हर किसी के जेहन में है। आप को जानकर हैरानी होगी कि यह सच है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस शरीर के अन्य अंगों के साथ दिमाग पर भी असर डालता है। इसका असर काफी गहरा पड़ सकता है। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग को काफी मरीजों की डर, घबराहट व तनाव से घिरने पर काउंसलिंग तक करानी पड़ रही है। वहीं, ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ गई है, जो रोजमर्रा की जिंदगी में व्यतीत बातों को भूलने की समस्या से जूझ रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञ इसे भूलने की बीमारी (डिमेंशिया) की बजाय चीजों पर फोकस न करने पाने की समस्या बता रहे हैं। बहरहाल, ये समस्या बढ़ी है। और क्या कहते हैं विशेषज्ञ? आप भी पढ़िए...
मानसिक बीमारियों का खतरा मंडराया
जिला अस्पताल स्थित मन कक्ष की क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट पूजा कुलश्रेष्ठ एक शोध के हवाले से बताती हैं कि कोविड-19 के हमले से एक व्यक्ति का दिमाग 10 साल बूढ़ा हो सकता है। व्यक्ति को भ्रम, याददाश्त कमजोर होना और व्यवहार व स्वभाव में बदलाव आने जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। ऐसा कहा जा सकता है कि कोविड-19 के पांच में से लगभग एक मरीज अपने जीवन में मानसिक बीमारियों और जीवन में बदलाव का अनुभव कर सकता हैं। नए शोध में यह बात सामनेे आई है कि यह संक्रमण नाक के जरिए दिमाग तक पहुंच सकता है। वहां संक्रमण को फैला सकता है, लेकिन ऐसा तब हो सकता है जब व्यक्ति सही तरीके से मास्क न पहने और नाक खुली रखे। कुछ लोगों में भ्रम की स्थिति के तौर पर देखा गया है। जब कोविड-19 दिमाग और महत्वपूर्ण नर्सो पर हमला करता है, तोे इससे हिप्पोकैम्पस में सूजन आ जाती है तो स्मृति प्रतिधरण, सीखने में दिक्कत होना, भ्रम होने तथा सूंघने की शक्ति कम हो जाना आदि में परिवर्तन देखा जा रहा हैं। तीव्र स्मृति हानि से लेकर ध्यान केंद्रित करने में समस्या का सामना करना, बे्रन फाॅग कोविड-19 से संक्रमित लोगो के लिए मुश्किलें पैदा करता है। यह मास्तिष्क के ऊतकों पर हमला करना वाली प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया हो सकती है। शोध में यह भी देखा गया है कि याददाश्त जाना और ब्रेन फाॅग की वजह से कुछ मरीज डिमेेंशिया अनुभव करते हैै। इसलिए कोरोना संक्रमण से हाल में बचना है। ये नहीं सोचना है कि एक सप्ताह की दवा से यह ठीक हो जाता है।
न्यूरोलाॅजिकल चेंज से बढ़ेगी परेशानी
जिला अस्पताल स्थित मानसिक रोग विभाग की साइकोथेरेपिस्ट डाॅ. अंशु सोम बताती हैं कि कोरोना से मरीजों में न्यूरोलाॅजिकल चेंज आ रहे हैं। पिछले सप्ताह ही दीनदयाल अस्पताल में सात मरीजों की काउंसलिंग करनी पड़ी। ये मरीज इतने परेशान थे कि किसी के बाद करने पर भड़क उठते थे। काफी कोशिश के बाद वे सामान्य हो पाए। जो लोग संक्रमण से बचा हुए हैं, वे डर व तनाव के चलते चीजों पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। यह मैमोरी लाॅस की समस्या तो नहीं है, लेकिन समय के लिए जरूर वे कुछ न कुछ भूल जाते हैं। कई बार परिवार व घनिष्ठ लोगों का नाम भूल जाते हैं। फिर अचानक ही याद आ जाता है।
पहले से बीमार मरीजों को ज्यादा समस्या
जेएन मेडिकल काॅलेड के वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ प्रो. डाॅ. एसए आजमी का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को पहले से कोई मानसिक बीमारी है तो कोरोना से डर व घबराहट से दूसरी बीमारी आने की पूरी आशंका है। ऐसे लोग बहुत टेंशन में रहते हैं। सारे काम टेंशन में ही करते हैं। दिमाग एकाग्र नहीं रहता। ऐसे में छोटी-छोटी चीजों के बारे में भी भूल जाते हैं।