Move to Jagran APP

Corona Havoc: अपनाें की कब्र के पास दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं Aligarh News

कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में। भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने जब ये शेर लिखा था तब किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि अलीगढ़ में यह हकीकत बन जाएगा।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 08:34 AM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 08:34 AM (IST)
Corona Havoc: अपनाें की कब्र के पास दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं Aligarh News
शव पुरानी ईदगाह के पीछे नए ब्लाक में दफन किए जा रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन।  ''कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए, दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में''। भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने जब ये शेर लिखा था, तब किसी ने ये नहीं सोचा होगा कि अलीगढ़ में यह हकीकत बन जाएगा। कोरोना महामारी में हालात बदतर होते जा रहे हैं। श्मशान गृहों में कतार से चिताएं जल रहीं हैं तो वहीं, कब्रिस्तान में भी अब जगह कम पड़ने लगी है।आखिर वक्त में लोगों की ख्वाइश रहती है कि उन्हें भी किसी अपने की कब्र के पास दफनाया जाए। लेकिन, इस महामारी में ये ख्वाइशें भी दफन होकर रह गईं। दरगाह हजरत शाम्शुल अरफीन में ताले लगा दिए गए। यहां कब्र खाेदने की मनाही है। यहां आने वाले शव पुरानी ईदगाह के पीछे नए ब्लाक में दफन किए जा रहे हैं। पिछले चार माह में ये भी आधा भर चुका है।
कोरोना से हो रही मौतों का आंकड़ा सही नहीं बता रहा सरकारी महकमा 
जिला प्रशासन ने कोविड शवों के दाह-संस्कार और दफनाने के लिए नुमाइश मैदान स्थित श्मशाम गृह और शाहजमाल कब्रिस्तान में व्यवस्था की है। श्मशान में 15 से 20 शव प्रतिदिन आ रहे हैं। यही स्थिति कब्रिस्तान की है। यहां शवाें की कतार देखकर शंका होती है कि सरकारी महकमा वाकई कोरोना से हो रही मौतों का आंकड़ा सही नहीं बता रहा, या फिर होम आइसोलेशन में ही संक्रमित मरीज दम तोड़ रहे हैं। क्योकिं, होम आइसोलेशन में मरने वाले सरकारी रिकार्ड में दर्ज नहीं किए जाते। श्मशान और कब्रिस्तान के हालात देखकर यही लगता है। शाहजमाल में मुख्य कब्रिस्तान से अलग शव दफनाने के लिए 10 हजार वर्गगज का नया ब्लाक बनाया गया है, जो चार माह में आधा भर चुका है। यहां कब्र खोदने का काम सुबह आठ बजे शुरू होता है और रात 12 बजे तक चलता है। 10-12 कर्मचारी इसी काम में लगे हुए हैं। एक कब्र तैयार करने में दो घंटे लगते हैं। 15-20 शवाें की कब्र खाेदने के लिए कर्मचारी पूरे दिन लगे रहते हैं।
 
दरगाह में कब्र खाेदने की मनाही
शाहजमाल कब्रिस्तान वक्फ 63 के सचिव मुईन मोनू बताते हैं कि दरगाह हजरत शाम्शुल अरफीन में कब्र खोदना प्रतिबंधित कर दिया है। ये निर्णय कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लिया गया है। यहां शेख परिवार के शव दफन किए जाते थे। इनके स्वजन की कब्रें यहीं हैं। पिछले दिनों दिल्ली से शव यहां लाया गया था, लेकिन कोरोना का हवाला देकर स्वजन से शव दफनाने के लिए मना कर दिया। बाद में वे भी मान गए।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.