कोरोना काल ने सिखा दिया जीवन जीने का तरीका Aligarh news
अगर परिवार का साथ हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। लॉकडाउन होने से पहले जिन चीजों को करने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते थे वह हमने इस लॉकडाउन में कीं। जैसे कि ऑनलाइन क्लासेस। टेक्नोलॉजी का ऐसा सार्थक प्रयोग भी हो सकता हैं?
प्रिय मित्र राहुल, सादर स्नेह। आशा हैं? कि तुम ठीक होगे। मैं भी यहां कुशलपूर्वक हूं। इस कोरोना काल में दुनिया थम सी गई थी। अचानक सब कुछ रुक गया था। लॉकडाउन की वजह से हम भी बहुत दिनों से मिल नहीं पा रहे हैं। कोविड-19 के कारण सभी का बहुत नुकसान हुआ है। मगर हर बुरी चीज के साथ कई अच्छी चीजें भी होती हैं। कोविड दौर ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। कोरोना ने हमें जीने के नए तरीके सिखाए हैं। बंदिशों में रहकर भी हम कैसे खुश रह सकते हैं? यह हमें कोरोना ने सिखाया। अगर परिवार का साथ हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। लॉकडाउन होने से पहले जिन चीजों को करने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते थे वह हमने इस लॉकडाउन में कीं। जैसे कि ऑनलाइन क्लासेस। टेक्नोलॉजी का ऐसा सार्थक प्रयोग भी हो सकता हैं? और हम मोबाइल, लैपटॉप पर भी पढ़ाई कर सकते हैं? इसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। जहां मोबाइल और लैपटॉप को हम केवल वीडियो गेम और मनोरंजन का साधन मानते थे, वहीं हम आज इसका प्रयोग सही दिशा में कर रहे हैं। पहले जहां सभी लोग पास रहकर भी दूर थे, वही आज कोरोना के समय में लोग दूर रहकर भी पास आ गए हैं।कोरोना ने हमें रिश्तो की अहमियत बताई। कोरोना ने हमें बताया की परिवार का साथ कितना आवश्यक है। पहले जहां हम बाहर खाना पसंद करते थे, वहीं पर हम उन सब चीजों को घर पर ही बना कर खा रहे हैं। पहले जहां हम अपना समय घूमने में लगा देते थे अब हम उसी समय में कई अच्छी चीजें करना सीख रहे हैं। पहले हमें स्कूल जाना पसंद नहीं करते थे और अब हम अपने स्कूल को याद कर रहे हैं। पहले हम सफाई की कीमत नहीं जानते थे। खाना खाने से पहले कई बार हाथ नहीं होते थे तो कोरोना ने हमें सफाई की कीमत सिखाई। कोरोना ने हमें नियमों का पालन करना सिखाया। सबको साथ लेकर चलना सिखाया है। सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि दूसरे का विकास भी हमारी ही जिम्मेदारी है। इस कोविड-19 के दौर में इंसान को सबसे ज्यादा इंसान की ही आवश्यकता है। कोरोना ने जीवन को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। सुरक्षा नियमों का पालन करना, हाथ धोते रहना, सैनिटाइजर का उपयोग करना और बाहर जाते समय मास्क और शारीरिक दूरी के पालन का ध्यान रखना।
हिमांशु शर्मा, ब्रिलिएंट पब्लिक स्कूल
बुराई में भी अच्छाई ढूंढ़ने वाले ही होते सफल
बुराई व अच्छाई दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। बुराई कितनी भी हावी क्यों न हो अगर संयम व सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर चीजों को देखा जाए तो उसमें भी अच्छाई को ढूंढ़ा जा सकता है। इंटरनेट, मोबाइल व कंप्यूटर इन सब पर बच्चों का पढ़ाई से अलग समय बिताना अभिभावकों के लिए परेशानी बनता था। मगर कोविड-19 दौर आया तो यही उपकरण व आधुनिकता आनलाइन शिक्षा के रूप में हथियार भी बनी। बुराई के साथ इसकी अच्छाई भी इसमें निहित थी बस जरूरत थी इसको इस नजरिए से देखने व आत्मसात करने की। छात्र हिमांशु ने भी बताया कि, कोविड-19 दौर ने उनको जीवन जीने का तरीका सिखा दिया। पास रहकर दूर रहना, कुछ नया न करना आदि भावनाओं को समझते हुए उन्होंने इसमें बदलाव किया। परिजनों के साथ का अनुभव भी लिया व लॉकडाउन में नई गतिविधियां भी कीं। ऐसे ही विद्यार्थियों व युवाओं को विषम परिस्थितियों में सकारात्मक नजरिया रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। ये सच है कि बुराई में अच्छाई ढूंढ़ने वाले व्यक्ति ही सफलता की सीढ़ी चढ़ने में सफल होते हैं। विद्यार्थियों से यही कहना है कि अभी भी कोरोना का संक्रमण थमा नहीं है, इसलिए जरूरी है कि सुरक्षा उपायों का पालन कड़ाई से किया जाए। ऐसा करके वे सिर्फ खुद की ही नहीं बल्कि अपने परिजनों की सुरक्षा भी करेंगे। इसलिए मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग करते रहें। अनलॉक के दौर में शारीरिक दूरी के नियम का पालन जरूर अपनाएं। ये तीन से चार उपाय ही कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए पर्याप्त हैं।
- फादर सनी कोटूर, प्रिंसिपल, संत फिदेलिस सीनियर सेकेंडरी स्कूल