कांग्रेस-जनसंघ के प्रत्याशियों को निर्दलीय प्रत्याशियों ने दी थी मात, अपनाई थी खास रणनीति, जाने विस्तार से
1957 के चुनाव में अलीगढ़ से कांग्रेस से अनंत राम वर्मा विधायक बने। इनका मुकाबला निर्दल प्रत्याशी एलएन माहौर से हुआ था। गंगीरी से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीनिवास विधायक बने लेकिन दूसरे नंबर पर रहने वाले श्यामसुंदर निर्दलीय प्रत्याशी थे।

अलीगढ़, मनोज जादौन। विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी भी दिग्गजों के होश उड़ा चुके हैं। लगभग सभी चुनावों में निर्दलीय प्रत्यशियों ने ताल ठोकी थी। इनकी संख्या भी कम न थी। कई बार तो मुकाबले में ही निर्दलीीय थे। आजादी से लेकर अब तक तीन निर्दलीय विधायक बने। इनमें से दो इगलास से और एक टप्पल विधानसभा से जीते। इन्होंने कांग्रेस व जनसंघ के प्रत्याशियों को मात दी थी। इस चुनाव में भी सभी विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय प्रत्याशी हैं, जिनके अपने दावे और वोटों का गणित है।
ऐसे हुआ था पहले चुनाव
आजादी के बाद से अब तक हुए चुनावों में 1352 प्रत्याशी भाग्य आजमा चुके हैं। इनमें से 117 विधायक बने। निर्दलीय प्रत्याशियों का चुनाव में मैदान में आना वर्ष 1952 से ही शुरू हो गया था। यह पहला चुनाव था। इसमें इगलास विधानसभा क्षेत्र से राजा बहादुर किशोरी रमन सिंह निर्दलीय प्रत्याशी थे। इनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी सौदान सिंह से हुआ। हालांकि, सौदान सिंह की जीत हुई। दूसरे नंबर पर राजा बहादुर किशोरी रमन सिंह रहे। लेकिन इसके बाद यानी 1957 में हुए चुनाव में किशोरी रमन सिंह ने इगलास से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ लक्ष्मी सिंह को हरा दिया था। लक्ष्मी सिंह भी निर्दलीय प्रत्याशी थे। किशोरी रमन सिंह पहले विधायक रहे, जो निर्दलीय जीते थे। वर्ष 1962 में हुए चुनाव में इगलास से निर्दलीय विधायक सौदान सिंह बने। उन्होंने जनसंघ के सौरन सिंह को हराया था। कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा था। इसी चुनाव में टप्पल से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर महेंद्र सिंह विधायक बने। इन्होंने पीएसपी प्रत्याशी महावीर सिंह को हराया था। इसके बाद निर्दलीय प्रत्याशी मुकाबले में तो रहे, लेकिन विधायक नहीं बन पाए।
मुकाबले में निर्दलीय
1957 के चुनाव में टप्पल से कांग्रेस के देव दत्ता विधायक बने, इनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी किशोरी रमन सिंह हुआ था। 1957 के चुनाव में अलीगढ़ से कांग्रेस से अनंत राम वर्मा विधायक बने। इनका मुकाबला निर्दल प्रत्याशी एलएन माहौर से हुआ था। गंगीरी से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीनिवास विधायक बने, लेकिन दूसरे नंबर पर रहने वाले श्यामसुंदर निर्दलीय प्रत्याशी थे। 1967 के चुनाव में इगलास से कांग्रेस के एमएल गौतम जीते। इनके मुकाबले में एस सिंह निर्दलीय प्रत्याशी थे। इसी तरह खैर से विधायक बने कांग्रेस के प्यारे लाल का मुकाबले निर्दलीय प्रत्याशी एमसिंह से हुआ था। 1989 में बरौली से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह चौहान विधायक बने। इनका मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी दलवीर सिंह से रहा था।
1957 में अतरौली में सबसे कम दो प्रत्याशी
आजादी के बाद से अब तक हुए विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक और सबसे कम प्रत्याशियों का भी एक रिकार्ड है। 1993 के चुनाव में अलीगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 58 प्रत्याशी थे। यह रिकार्ड अभी तक नहीं टूटा है। इसी तरह 1957 में अतरौली में दो प्रत्याशी थे। यह अब तक के सर्वाधिक कम प्रत्याशी रहे।
निर्दलीय चुनाव लड़कर सिकंदराराऊ में जीते अमरसिंह
अलीगढ़ के देवी के नगला के अमर सिंह दो बार विधायक बन चुके हैं। दोनों बार वे हाथरस जिले के सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र से जीते। 1993 में वे सपा से चुनाव लड़े थे और भाजपा के सेक्रेटरी सिंह यादव को हराया था। 2002 में वे निर्दलीय प्रत्याशी थे। उन्होंने भाजपा के यशपाल सिंह को हराया था।
Edited By Sandeep Kumar Saxena