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राजनीति की बंजर धरती को उपजाऊ बनाने के लिए कांग्रेस ढूंढ़ रही किसान महापंचायत में संजीवनी Aligarh news

सूबे की बंजर धरती को उपजाऊ बनाने के लिए कांग्रेस की नेता व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा खुद मैदान में हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ राजनैतिक दलों में सबसे ज्यादा कांग्रेस ही मुखर रही है। हाईकमान के निर्देश पर गांव-गांव किसान चौपाल का आयोजन हुआ।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 08:43 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 08:45 AM (IST)
राजनीति की बंजर धरती को उपजाऊ बनाने के लिए कांग्रेस ढूंढ़ रही किसान महापंचायत में संजीवनी Aligarh news
कृषि कानूनों के खिलाफ राजनैतिक दलों में सबसे ज्यादा कांग्रेस ही मुखर रही है।

अलीगढ़, जेएनएन : सूबे की बंजर धरती को उपजाऊ बनाने के लिए कांग्रेस की नेता व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा खुद मैदान में हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ राजनैतिक दलों में सबसे ज्यादा कांग्रेस ही मुखर रही है। हाईकमान के निर्देश पर गांव-गांव किसान चौपाल का आयोजन हुआ। संगठन सृजन अभियान भी चलाया। कांग्रेसियों ने वास्तव में कितनी मेहनत जनपद में की है, इसका पता जल्द ही चलेगा। दरअसल, सपा की किसान महापंचायत के जवाब में कांग्रेस ने भी महापंचायत का ऐलानकिया है। इसमें प्रियंका वाड्रा आएंगी। हकीकत ये है कि किसान महापंचायत से ही कांग्रेस का भविष्य तय होगा। कांग्रेस को अपनी दिशा तय करने में मदद मिलेगी। 

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सम्मानजनक प्रदर्शन को तरसी कांग्रेस 

जनपद में कांग्रेस की स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है। अरसे से कोई विधायक, सांसद व अन्य जनप्रतिनिधि नहीं बन पाया है। नगर निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी पार्टी सम्मानजनक प्रदर्शन नहीं कर पाई है। मोदी लहर में तो कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया है। यूं कहें तो जनपद की धरती कांग्रेस के लिए बंजर जैसी हो गई है। यही स्थिति सूबे में भी है। ऐसे में राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा को प्रदेश में लगाया गया है। प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू व अन्य नेता भी जनपदों का दौरा कर रहे हैं। अलीगढ़ में भी तमाम नेताओं ने समय-समय पर डेरा डाला।

पार्टी में हावी रही गुटबाजी 

जिले में कांग्रेस की पतली हालत के लिए यहां के नेताओं के बीच हावी रही गुटबाजी मुख्य वजह रही है। वरिष्ठ नेता ही नहीं, युवा नेताओं के भी कई-कई गुट रहे हैं, जो किसी भी कार्यक्रम में एक-दूसरे का सहयोग नहीं करते। गुटबाजी को खत्म करने के लिए हाईकमान ने यहां बार-बार वरिष्ठ नेताअों को भेजा, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। गाहे-बगाहे गुटबाजी सतह पर आ जाती है। हालांकि, चौ. बिजेंद्र सिंह के सपा में जाने से एक गुट कम हो गया है, लेकिन अब भी कांग्रेसी एक नहीं हुए हैं।  

किसानों पर फोकस 

बंजर भूमि पर फसल उगाने के लिए कांग्रेस इस बार  कानून व्यवस्था के साथ किसानों-ग्रामीणों के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है। कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शुरू से ही कांग्रेस खुलकर साथ रही। यही नहीं, इसके समर्थन में गांव-गांव चौपाल का आयोजन भी किया। इसमें प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई पूर्व मंत्री तक आए। इससे पूर्व कई माह तक संगठन सृजन अभियान भी चला। दावा किया गया कि इससे कांग्रेस गांवों में मजबूत हुई है। प्रियंका वाड्रा की महापंचायत से तय हो जाएगा कि पार्टी में गुटबाजी से हुए नुकसान की कितनी भरपाई हुई और पार्टी के अभियानों का कितना असर रहा। महापंचायत ही तय करेगी कि कांग्रेस को कितनी और मेहनत की जरूरत है।  

इनका कहना है

किसानों को यह बात समझ में आ गई है कि केंद्र से जनविरोधी सरकार हटाने के लिए कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है। इसका असर विधानसभा व पंचायत चुनाव में निश्चित रूप से दिखा। इस बार परिणाम सभी को चौंकाएंगे। महापंचायत इतिहास रचेगी। जल्द ही महापंचायत की तिथि पर निर्णय लिया जाएगा। 

- सुरेंद्र सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष। 


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