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Ram Temple Movement: 'बच्चा-बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का' के जयघोष से मुसलमानों में भर गया था जोश

1990 और 92 के आंदोलन में बच्चा-बच्चा राम का जन्म भूमि के काम काÓ जैसे नारों के साथ सैलाब उमड़ा तो वे भी खुद को रोक नहीं पाए थे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 12:28 PM (IST)
Ram Temple Movement: 'बच्चा-बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का' के जयघोष से मुसलमानों में भर गया था जोश
Ram Temple Movement: 'बच्चा-बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का' के जयघोष से मुसलमानों में भर गया था जोश

अलीगढ़ [राज नारायण सिंह]: 1990 और 92 के आंदोलन में 'बच्चा-बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम काÓ जैसे नारों के साथ सैलाब उमड़ा तो वे भी खुद को रोक नहीं पाए थे। उनका भी सपना था कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बने। पांच अगस्त को मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने का कार्यक्रम तय होने पर पुरानी यादें ताजा हो आईं। 

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अलीगढ़ की माटी की बड़ी भूमिका

अयोध्या में मंदिर आंदोलन को तेवर देने में अलीगढ़ की माटी की बड़ी भूमिका रही है। विश्व ङ्क्षहदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंहल अतरौली के बिजौली गांव के रहने वाले थे। इसी तहसील क्षेत्र के गांव मढ़ौली के पूर्व सीएम कल्याण सिंह हैं। आंदोलन में इसी माटी ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश की। अतरौली के रहने वाले छोटे कुरैशी छह दिसंबर 1992 के आंदोलन में अयोध्या जाने को सौभाग्य मानते हैं। उन्होंने बताया कि यहां से इदरीश सहित छह लोग जीप से छह दिसंबर की सुबह अयोध्या पहुंच गए थे। वहां हर तरफ मंदिर आंदोलन को लेकर उफान था। हर तरफ जयश्रीराम का जयघोष हो रहा था। ऐसा जोश अब तक नहीं देखा। अयोध्या घुसते ही गाड़ी रोक दी गई। हम लोग आगे नहीं बढ़ सके।  ढांचा ढह गया तो भगदड़ मच गई। वहां से लौटना पड़ा। हम लोग बाराबंकी आए। फिर दो दिन बाद अलीगढ़ पहुंचे थे।अतरौली के ही पुत्तन खां बताते हैं कि वे 1990 में कारसेवा में गए थे। कल्याण सिंह से उनका गहरा नाता है। कारसेवकों कीबस में वह भी सवार हो गए थे। साथ में टिल्लू खां थे, वह अब दुनिया में नहीं हैं। तब माहौल ऐसा नहीं था, हर तरफ श्रीराम की लहर थी। हम लोग भी चाहते थे कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण हो। 

सिंहल के गांव से भी गए थे मेहंदी हसन 

अशोक सिंहल के पैतृक गांव बिजौली से भी मेहंदी हसन समेत तमाम मुस्लिम अयोध्या गए थे। सिंहल के परिवार के भतीजे महाराणा प्रताप सिंहल बताते हैं कि मेहंदी हसन अब दुनिया में नहीं हैं। वह छह दिसंबर 1992 के आंदोलन में गांव के लोगों के साथ अयोध्या गए थे, वहां जोशीले नारे लगाए थे। 1993 में अशोक सिंहल परिवार के लोगों से मिलने आए थे तो मेहंदी हसन की पीठ थपथपाई थी। कहा था कि कुछ लोग भले ही विवाद खड़ा कर रहे हों, मगर गांव के मुस्लिमों में तो मंदिर के प्रति आस्था है। सिंहल के गांव में करीब 800 मुस्लिम हैं। 1992 में पूरे देश में कई जगह दंगा भड़का था, मगर बिजौली में कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। अब भी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। 


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