CBI Investigation In Hathras Case : छोटू की मां का नारको-पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से इंकार, CBI के लिए अहम है छोटू
उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस के बूलगढ़ी मामले मेें सीबीआइ के लिए महत्वपूूूर्ण मानेे जा रहे छोटू की मां ने नारको व पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से मना कर दिया है। मामले की जांच कर रही सीबीआइ के लिए गांव के छोटू का दावा अहम साबित होता दिख रहा था।
हाथरस, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के जनपद हाथरस के बूलगढ़ी मामले मेें सीबीआइ के लिए महत्वपूूूर्ण मानेे जा रहे छोटू की मां ने नारको व पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से मना कर दिया है। मामले की जांच कर रही सीबीआइ के लिए गांव के छोटू का दावा अहम साबित होता दिख रहा था। खास बात यह है कि सीबीआइ छोटू से कई बार पूछताछ कर चुकी है। अब सीबीआइ छाेटू का नारको टेस्ट करना चाहती है, लेकिन छोटू की मां ने इंकार कर दिया है। पीड़ित परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गांव में सीआरपीएफ का पहरा बरकरार है।
सीबीआइ के लिए अहम है छोटू
बूलगढ़ी मामले की जांच कर रही सीबीआइ को हाइकोर्ट ने 25 नवंबर को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद से ही सीबीआइ ने जांच और तेज की है। मृतका, आरोपितों के स्वजन के अलावा घटना से जुड़े अन्य लोगों से सीबीआइ कई बार पूछताछ कर चुकी है। सीबीआइ के लिए छोटू का दावा अहम साबित हो सकता है। जिस खेत में युवती के साथ घटना हुई, वह खेत छोटू का ही है। छोटू ने दावा किया था कि पीड़िता की चीख सुनकर सबसे पहले घटनास्थल पर पहुुुंचा था। तब पीड़िता जमीन पर पड़ी हुई थी, और उसके मां और बड़ा भाई पास में खड़ा था। वह घटना के संबंध में पास के खेत में काम कर रही नाबालिग आरोपित की मां को जानकारी देने गया । वहां से लौटा तो पीड़िता का भाई वहां नहीं था। छोटू ने एसआइटी को भी बयान दर्ज कराए थे। सीबीआइ भी उससे छह-सात बार पूछताछ कर चुकी है। बताया जा रहा है कि छोटू समेत केस से जुड़े अन्य लोगों का नारको और पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जा सकता है। इसकी तैयारी सीबीआइ कर रही है।
क्या होता है नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट ?
इस टेस्ट को अपराधी या आरोपित व्यक्ति या घटना से जुड़े व्यक्ति से सच उगलवाने के लिए किया जाता है। टेस्ट को फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि की मौजूदगी में किया जाता है, जिसका टेस्ट होता है, उसे कुछ दवाइयां दी जाती है, जिससे उसका सचेत दिमाग सुस्त अवस्था में चला जाता है और अर्थात व्यक्ति को लॉजिकल स्किल थोड़ी कम पड़ जाती है। माना जाता है कि कोई व्यक्ति झूठ तेजी के साथ बोलता है, जबकि सच सामान्य तरीके से बोलता है। नार्को टेस्ट करने से पहले उसका शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जिसमें यह चेक किया जाता है कि क्या व्यक्ति की हालात इस टेस्ट के लायक है या नहीं है। यदि व्यक्ति, बीमार, अधिक उम्र या शारीरिक और दिमागी रूप से कमजोर होता है तो इस टेस्ट का परीक्षण नहीं किया जाता है। इसके लिए जांच करने वाली संस्था को संबंधित व्यक्ति के अलावा कोर्ट से भी अनुमति लेनी पड़ती है।