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Chhath Puja 2020 : नहाय-खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ, श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को किया जल अर्पित

लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय विधान के साथ बुधवार से शुरू हो गया। पहले दिन श्रद्धालुओं ने स्नान कर सूर्य को जल अर्पित किया। घरों में शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखकर अरवा चावल का भात और कद्दू की सब्जी बनाई जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 11:08 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 11:08 AM (IST)
Chhath Puja 2020 :  नहाय-खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ, श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को किया जल अर्पित
लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय विधान के साथ बुधवार से शुरू हो गया।

 अलीगढ़, जेएनएन। लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय विधान के साथ बुधवार से शुरू हो गया। पहले दिन श्रद्धालुओं ने स्नान कर सूर्य को जल अर्पित किया। घरों में शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखकर अरवा चावल का भात और कद्दू की सब्जी बनाई, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। बिहार व पूर्वांचल के इस प्रमुख पर्व की शहर के बदरबाग, रेलवे कॉलोनी, कुलदीप विहार, रामनगर, एटा चुंगी आदि इलाकों में धूम रही। यहां बिहार और पूर्वांचल से आए कई परिवार रहते हैं।

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विधि विधान से पूजन किया

छठ पूजन की तैयारी के लिए महिलाएं सुबह से ही जुटी रहीं। स्वजन फल व पूजा सामग्री की खरीदारी करने बाजार निकल गए। महिलाएं घर की साफ-सफाई में लग गईं। छठ के लिए उपयोग होने वाली पूजा सामग्री की जमकर खरीदारी हुई। महिलाओं ने स्नान कर विधि विधान से पूजन प्रारंभ किया। व्रती महिलाओं ने घरों में  सेंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी बनाई, जिसे प्रसाद के रूप ग्रहण किया। रात में श्रद्धालुओं ने छठ मइया के भजन गाए। पं. रंजन शर्मा बताते हैं कि चार दिवसीय इस पर्व पर पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाता है। विशेषकर महिलाएं छठ मइया का व्रत रखती हैं। गुरुवार को व्रत आरंभ हो जाएगा। रात को खीर बनेगी, जिसे व्रतधारी प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे। शुक्रवार को डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है।

कठिन होता है व्रत

छठ का व्रत कठिन तपस्या की तरह होता है। व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैया का भी त्याग किया जाता है। फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे रात बिताई जाती है। व्रती ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनमें किसी प्रकार की सिलाई नहीं होती। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनकर पूजन करते हैं।


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