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Aligarh MSS : Lockdown में आवश्‍यक वस्‍तुओं की सप्‍लाई कर उभारा कारोबार,देश भर में दौड़े ट्रक

Aligarh MSS कारोबार को कोरोना काल में उभारा। हालात कैसे भी हो लेकिन सकारात्मक सोच और आगे बढऩे का जज्बा हो तो कोई रोक नहीं सकता। लॉकडाउन के मुश्किल समय में कई कारोबारियों ने इसी से सफलता पाई।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 06:30 AM (IST)
लॉकडाउन के मुश्किल समय में कई कारोबारियों ने इसी से सफलता पाई।

अलीगढ़, जेएनएन। कारोबार को कोरोना काल में उभारा। हालात कैसे भी हो, लेकिन सकारात्मक सोच और आगे बढऩे का जज्बा हो तो कोई रोक नहीं सकता। लॉकडाउन के मुश्किल समय में कई कारोबारियों ने इसी से सफलता पाई। इन्हीं में शामिल कैपिटल ट्रांसपोर्ट के मालिक आनंद गुप्ता व अरविंद गुप्ता ने आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई कराने के साथ जरूरत मंदों की मदद की।

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गोदामों में ताला लगे मिले

जनता कफ्र्यू के एलान के साथ ताला-हार्डवेयर, पीतल की मूर्ति, बिजली फिटिंग्‍स उत्पादन से लोड ट्रक रास्ते में ही रुक गए थे। शुरुआत के दो दिन तक किसी ने कल्पना नहीं की थी कि 24 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी इतना दिनों तक लॉकडाउन का एलान करेंगे। कैपिटल ट्रांसपोर्ट के मालिक आनंद गुप्ता व अरङ्क्षवद गुप्ता ने अपने सभी 60 ट्रकों के स्टाफ को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए व्यवस्था की। प्रशासन को लोकेशन बताने के लिए वर्चुअल मीटिंग की। पेड पार्किंग में ट्रकों को खड़ा कराया। जिन ट्रकों में फल व अन्य ग्रहउपयोगी वस्तुएं अलीगढ़ के लिए आ रही थीं, उन ट्रकों को ट्रेस कर उनकी रवानगी की व्यवस्था के लिए उसी शहर के प्रशासनिक अफसरों से संपर्क किया। ताकि फलों से लोड ट्रकों को प्रदेश व दिल्ली की फल मंडियों तक पहुंचाया जा सके। आनंद गुप्ता बताते हैं कि इस व्यवस्था में कई मुश्किलें थीं। मंडियां भी बंद थीं। फल करोबारियों को अपने निजी वेयर हाउसों में फलों को उतरवाना पड़ा। लॉकडाउन से पहले अलीगढ़ से रवाना हुए कैपीटल ट्रांसपोर्ट के ट्रक दो माह तक फंसे रहे। इस बीच जो ट्रक पहुंच भी गए थे, उन्हें उतारने के लिए लेबर नहीं मिली। गोदामों में ताला लगे मिले। विभिन्न राज्यों के शहरों के अंदर भी ट्रकों को प्रवेश नहीं दिया गया। संकट के बादल अभी भी नहीं छटे हैं।

 

 लॉकडाउन के समय जिन कारोबारियों का माल ट्रकों में लोड था, वे अपने सुरक्षित माल की चिंता कर रहे थे। उनके माल की सुरक्षा के लिए ट्रकों के वीडियों बनाकर दिए। साथ ही  चालक परिचालक के साथ वर्चुअल मीङ्क्षटग भी कराई।

- अरविंद गुप्ता, मालिक कैपिटल ट्रांसपोर्ट

स्टाफ का परिवार की तरह रखा ध्यान

लॉकडाउन में जब चालक परिचालक फंस गए तो उनके खाने का इंतजाम भी किया गया। होटल-ढावा बंद होने पर चालक परिचालकों के लिए रसोई उपयोगी सामान व राशन की व्यवस्था की गई। बैंक जब खुले तो उनके खातों में पैसा डाला गया। अलीगढ़ में स्टाफ के परिजनों को नकद पैसा व राशन भेजने की व्यवस्था भी की। कुछ स्टाफ के परिवारीजनों को वीडियो कांन्फ्रेङ्क्षसग करने के लिए स्मार्ट मोबाइल भी उपलब्ध कराए।

 लॉकडाउन के बीच इन खाद्य वस्तुओं की हुई आपूर्ति

अलीगढ़ व प्रदेश की वापसी के दौरान तेलांगना से पपीता, कर्नाटक बॉर्डर स्थित कड़प्पा व हसनपुर से अदरक, अनंतपुर से नारियल, महाराष्ट्र नागपुर से संतरा व अंगूर, काशीफल पेठा वाला, हल्दी सहित अन्य खाद्य वस्तुएं आती हैं। इन खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में कैपिटल ट्रांसपोर्ट के 35 ट्रक जुटे। प्रशासन के सहयोग के लिए दिन रात काम किया।

 देशभर के विभन्न राज्यों में हैं 12 ब्रांच

कैपिटल ट्रांसपोर्ट कारोबार क्षेत्र में रसूख रखती है। इसकी ब्रांच नागपुर, रायपुर, हैदराबाद, विजयवाड़ा, राजहमुंदरी, गुंटूर, चेन्नई, भदुरई, कोइमवेटूर, बंगुलुरु,  बिलासपुर, भिलाई हैं।

शहर की सबसे पहली स्वयं की कंपनी का है ट्रांसपोर्ट

प्रमुख कारोबारी रामकुमार गुप्ता ने वर्ष 1988 में कैपिटल ट्रांसपोर्ट की स्थापना की। यह पहली  निजी ट्रांसपोर्ट थी। गुप्ता ताला, हार्डवेयर, पीतल की मूर्ति व अन्य सामान की बुङ्क्षकग करते थे। वे अपने ट्रकों से प्रदेश के गाजियाबाद स्थित बॉर्डर मोहन नगर तक माल बुक कर भेजते थे। यहां से माल ट्रकों से अनलोड होकर देशभर के तमाम देशों के लिए पल्टी कर भेजे जाते थे। इससे मुनाफा कम होता था। एक तरह बिचौलिया की तरह गुप्ता काम करते थे। वर्ष 1992 में रामकुमार गुप्ता के बड़े बेटा भी ट्रांसपोर्ट का काम संभालने में मदद करने लगे। कारोबार उड़ान पर था, तभी वर्ष 2000 में रामकुमार गुप्ता का निधन हो गया। तब तक आधा दर्जन शहरों के लिए माल बुक कर ब्रांच ऑफिस में उतरने लगा था। इसके बाद आनंद गुप्ता ने पिछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2005 से छोटे भाई अरङ्क्षवद गुप्ता ने भी काम संभालने में हाथ बांटना शुरु कर दिया। आनंद गुप्ता  ने बंगुलुरु में अपना कारोबार संभाल लिया है।


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