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ज्ञान की लौ जला जीवन में भरा स्वावलंबन का प्रकाश, ऐसा है दयाल की 'दया' का भाव

अलीगढ़ जागरण संवाददाता। दयाल शर्मा ने खुद विद्यार्थियों की आर्थिक मदद कर उनको इस कदर मांझा कि उनके पढ़ाए विद्यार्थी पुलिस सेना व शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। ये काम वे 1992 से कर रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 11:54 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 11:54 AM (IST)
ज्ञान की लौ जला जीवन में भरा स्वावलंबन का प्रकाश, ऐसा है दयाल की 'दया' का भाव
100 से ज्यादा बच्‍चों में ज्ञान की लौ जलायी दयाल शर्मा ने ।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पढ़ाकर, बेहतर शिक्षा देकर अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होने लायक बनाने और विद्यार्थियों में संस्कार के बीज बोने का काम शिक्षक करते हैं। मगर विद्यार्थियों में प्रतिभा की पहचान कर उनको खुद के प्रयासों से आगे पढ़ाने-बढ़ाने से लेकर उनको अपने पैरों पर खड़ा करने का जज्बा कुछ विरले ही दिखा पाते हैं। ऐसा ही जज्बा प्राथमिक विद्यालय मालव टप्पल के प्रधानाध्यापक दयाल शर्मा ने भी दिखाया है। 100 से ज्यादा ऐसे बच्चों में उन्होंने ज्ञान की लौ जलाकर स्वावलंबन का प्रकाश भरा है, जिनके बचपन में ही अशिक्षा का अंधकार भरने वाला था।

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1992 से बने हैं युवाओं के प्रेरणास्रोत

दयाल शर्मा ने खुद विद्यार्थियों की आर्थिक मदद कर उनको इस कदर मांझा कि उनके पढ़ाए विद्यार्थी पुलिस, सेना व शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। ये काम वे 1992 से कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1992 में बीएड कर 1995 तक मथुरा श्री कृष्ण वनस्थली इंटर कालेज में पढ़ाया। 1995 से 1999 तक अग्रवाल कालेज वल्लभगढ़ हरियाणा में शिक्षण कार्य किया। 1999 से 2022 तक प्राथमिक विद्यालय में सेवाएं दे रहे हैं। 1992 में इंटर कालेज मानागढ़ी मथुरा के छात्र भूदेव सिंह हाईस्कूल के बाद आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण पढ़ने की स्थिति में नहीं थे। मगर वे टापर लिस्ट में रहते थे। उनको दाखिले से लेकर स्टेशनरी तक सब उपलब्ध कराई और मुफ्त पढ़ाते हुए बीएससी, एमएससी व बीएड सब कराया। अब वे आगरा में सभी बोर्ड की कक्षा नौवीं से 12वीं, नीट व जेईई की तैयारी कराने के लिए कोचिंग संस्थान चलाकर अपना परिवार पाल रहे हैं। इनके अलावा दयाल शर्मा ने 1993 में इंटर पास करने वाले छात्र राम कुमार की स्नातक की पढ़ाई कराई। आर्थिक समस्याओं के चलते उनके पिता पढ़ाना नहीं चाहते थे, बेटा भी पढ़ना नहीं चाहता था। इस पर गुरुजी ने खुर्जा के कालेज में खुद दाखिला कराया और पढ़ाया। अब राजकुमार वल्लभगढ़ फरीदाबाद में बतौर पीजीटी केमिस्ट्री के शिक्षक बनकर रावल एजुकेशन सोसाइटी के स्कूल में पढ़ाकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं।

इनके सपनों को दिए पंख

दयाल शर्मा ने खुद राशि लगाकर व मुफ्त पढ़ाई कराकर क्षेत्र के शमसुद्दीन खान और रामभक्त छात्रों को सेना तक में भर्ती कराया। चंद्रभान शर्मा, शमशाद खान, गजेंद्र सिंह व रामअवतार सिंह शिक्षक बन गए हैं। इनमें से रामअवतार पखोदना के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं।

सफलता की कहानी शिष्यों की जुबानी

दयाल शर्मा गुरुजी ने सिर पर हाथ न रखा होता तो जीवन न संवरता। उनके ही अथक प्रयासों से आज कोचिंग संस्थान का मालिक हूं। मुझे मुफ्त पढ़ाया, हर स्तर से सपोर्ट किया। आज जो भी हूं गुरुजी की बदौलत ही हूं। जीवनभर उनका ऋण नहीं उतार सकता।

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भूदेव सिंह

मेरे पिता जी को दयाल शर्मा गुरुजी ने मनाया था। खुद खुर्जा के कालेज में दाखिला दिलाया। स्नातक की पढ़ाई पूरी कराई। जो विद्यार्थी राम कुमार उस समय खुद गुमनाम हो जाता वो आज गुरुजी की बदौलत विद्यार्थियों को पढ़ा रहा है। गुरुजी की बदौलत ही सम्मानपूर्वक जीवनयापन कर पा रहा हूं।

राम कुमार


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