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आयुर्वेद का वरदान, 80 की उम्र में भी दिखते जवान Aligarh news

उम्र 80 साल मगर फुर्ती 20 साल के युवा जैसी। चार मंजिला इमारत की सीढिय़ां तेजी से चढ़ जाते हैं। कभी लिफ्ट का सहारा नहीं लिया। अधिकतर पैदल ही चलते हैं। डायबिटीज ब्लड प्रेशर की कभी शिकायत नहीं। ओमप्रकाश गुप्ता की सेहत को देखकर हर कोई ताज्जुब कर जाता है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 01:11 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 01:11 PM (IST)
आयुर्वेद का वरदान, 80 की उम्र में भी दिखते जवान Aligarh news
अब वह गांव से लेकर शहर तक आयुर्वेद के मूलमंत्र बताते हैं।

राजनारायण सिंह, अलीगढ़ : उम्र 80 साल, मगर फुर्ती 20 साल के युवा जैसी। चार मंजिला इमारत की सीढिय़ां तेजी से चढ़ जाते हैं। कभी लिफ्ट का सहारा नहीं लिया। अधिकतर पैदल ही चलते हैं। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की कभी शिकायत नहीं रही। ओमप्रकाश गुप्ता की सेहत को देखकर हर कोई ताज्जुब कर जाता है। आयुर्वेद से दोस्ती ने उनकी उम्र बढ़ा दी, वरना एक समय बीमारियों ने ऐसा तोड़ दिया था कि जीने की इच्छा तक खत्म हो गई थी। अब वह गांव से लेकर शहर तक आयुर्वेद के मूलमंत्र बताते हैं। 

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खत्‍म हो गयी थी जीने की इच्‍छा

वे मूलरूप से छर्रा के हैं। उनके बेटे डॉ. राजेश गुप्ता आर्थोपेडिक हैं। पुत्रवधू जया सिंघल स्त्री रोग विशेषज्ञ है। 1990 में ओम प्रकाश बीमारियों की चपेट में आ गए। शरीर दिन प्रतिदिन दुबला होता चला गया। बेटा और बहू ने अलीगढ़ से लेकर दिल्ली तक इलाज कराया, मगर स्वास्थ्य में गिरावट आती गई। उन्होंने चारपाई पकड़ ली। स्थिति यह हो गई कि उनके अंदर जीने की इच्छा खत्म हो गई। 

ऐसी बदली जिंदगी 

ओमप्रकाश ने बताया कि  एलोपैथिक का इलाज कराते करीब 10 साल हो गए थे। तब आयुर्वेद का विचार आया। एक वैद्य ने उन्हें हल्दी, गिलोय, पीपल आदि को पीसकर गुनगुने में काढ़ा की तरह पीने की सलाह दी। प्रतिदिन दूध में हल्दी डालकर पीने को कहा। ऐसा ही किया। इससे उनके शरीर में तेजी से सुधार होने लगा। 2002 में तो उनके शरीर में स्फूर्ति आने लगी। इसके बाद ओम प्रकाश ने आयुर्वेद के सिद्धांत को अपना लिया। नीम गिलोय, तुलसी, लौंग, अदरक, इलाइची, दाल, चीनी, पीपल, बड़ी इलाइची, अर्जुन की छाल, तेज पत्ता को पिसावा कर रख लिया है, जिसे सुबह पानी में उबालकर पीते हैं। इससे शरीर में जीतने भी खराब तत्व रहते हैं वो बाहर निकल आते हैं। 


अपनाया सिद्धांत 

ओम प्रकाश बताते हैं कि आयुर्वेद तीन सिद्धांतों पर है। आहार, ङ्क्षनद्रा और संयम। इन्हें अपने जीवन में उतारने वाला कभी बीमार नहीं पड़ सकता है। वे प्रतिदिन तड़के तीन बजे उठते हैं। योग-व्यायाम करते हैं। काढ़ा पीते हैं। सुबह 10 बजे दो चपाती खाते हैं। शाम चार बजे फल। छह बजे भोजन करते हैं। इसमें भी दो चपाती होती है। रात में नौ बजे हल्दी दूध पीकर सो जाते हैं। 30 साल में कभी बाहर भोजन नहीं किया। 


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