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अलीगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिलाध्‍यक्ष पद के लिए ठोकी ताल, दो पद के लिए 58 दावेदारAligarh News

भाजपा में भले ही जिला और महानगर अध्यक्ष के लिए बमुश्किल एक दर्जन दावेदार हों मगर बुधवार को 58 कार्यकर्ताओं ने नामांकन किया।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 12:00 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 08:49 AM (IST)
अलीगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिलाध्‍यक्ष पद के लिए  ठोकी ताल,  दो पद के लिए 58 दावेदारAligarh News
अलीगढ़ में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिलाध्‍यक्ष पद के लिए ठोकी ताल, दो पद के लिए 58 दावेदारAligarh News

 अलीगढ़ (जेएनएन): भाजपा में भले ही जिला और महानगर अध्यक्ष के लिए बमुश्किल एक दर्जन दावेदार हों, मगर बुधवार को 58 कार्यकर्ताओं ने नामांकन किया। जिले में 30 और महानगर में भी 28 कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की। खुला नामांकन होने के चलते कई तो मंडल स्तर के पदाधिकारियों ने भी दावेदारी कर दी। कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि यह तो मजाक बनाया जा रहा है। कम से कम जो जिले में सक्रिय रहा हो और निष्ठापूर्वक जिसने काम किया हो, उसे नामांकन करना चाहिए था। हालांकि, 58 की सूची प्रदेश कार्यालय लखनऊ भेज दी गई है। संभावना जताई जा रही है कि एक हफ्ते के अंदर जिले और महानगर के अध्यक्षों के नाम की घोषणा हो जाएगी। 

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बदली गई रणनीति

भाजपा के जिला और महानगर के अध्यक्ष के चुनाव के लिए पहले मतदान की योजना थी। नामांकन के बाद मंडल अध्यक्ष और प्रतिनिधियों को मतदान करना था। मगर, मंगलवार को रणनीति बदल गई। सिर्फ नामांकन की प्रक्रिया अपनाई गई। जापान हाउस स्थित जिला कार्यालय में बुधवार सुबह 11 बजे से नामांकन शुरू हो गया। सभी 25 मंडल अध्यक्ष एवं 27 जिला प्रतिनिधि मौजूद थे। चुनाव अधिकारी अमित अग्रवाल और सह चुनाव अधिकारी रविंद्र राजोरा ने चुनावी प्रक्रिया के बारे में बताया। 30 कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की। प्रदेश परिषद के लिए 31 कार्यकर्ताओं ने नामांकन किया। जिला चुनाव अधिकारी अमित अग्रवाल ने बताया कि चुनाव प्रक्रिया में सभी ने बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से भाग लिया। चुनाव सहायक भूपेश बघेल ने कहा कि एक सितंबर से बूथ अध्यक्षों का चुनाव हुआ, एक अक्टूबर से मंडल अध्यक्ष और अब जिलाध्यक्ष का चुनाव संपन्न हुआ। सभी कार्यकर्ताओं ने इसे संगठन पर्व के रूप में मनाया। 

जिले के प्रमुख दावेदार 

जिले में 30 कार्यकर्ताओं ने दावेदारी की है। मगर, प्रमुख पांच से छह कार्यकर्ता ही हैं, जिनमें से एक नाम तय होना है। ठा. गोपाल सिंह, गौरव शर्मा, शशि सिंह, ऋषिपाल सिंह, ठा. कुशलपाल सिंह, चौधरी देवराज सिंह, कृष्ण पाल लाला, शल्यराज सिंह, शेर सिंह, भूपेंद्र सिंह, अन्नू आजाद, सुनील पांडेय, नागेंद्र प्रताप सिंह, जसवीर सिंह, सतेंद्र पाल सिंह, हरेंद्र सिंह कालू, सत्या सिंह आदि ने नामांकन किया। 

महानगर में 28 की दावेदारी  

महानगर अध्यक्ष के लिए भी सुबह से ही बारहद्वारी स्थित महानगर कार्यालय पर कार्यकर्ताओं का हुजूम था। सुबह 11 बजे यहां चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई। चुनाव अधिकारी गोपाल अंजान और सह चुनाव अधिकारी डॉ. तरुणकांत त्रिपाठी की देखरेख में चुनाव संपन्न हुआ। चुनाव अधिकारियों ने कहा कि भाजपा में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। यहां कार्यकर्ताओं को सामान्य दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए सरल तरीके से चुनाव प्रक्रिया में सभी को अवसर दिया गया। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य केलिए चार फार्म भरे गए। महानगर अध्यक्ष पद के लिए 28 कार्यकर्ताओं ने दावेदारी की है। प्रमुख रूप से डॉ. विवेक सारस्वत, मानव महाजन, संजय गोयल, संदीप चाणक्य, इं. राजीव शर्मा, पवन खंडेलवाल, मनोज अग्रवाल भट्ठे वाले, शैलेंद्र गुप्ता, मनोज शर्मा, संगीता वाष्र्णेय, पूनम बजाज, गुनीत मित्तल, कुलदीप पांडेय, सुशील मित्तल, अनीता जैन आदि ने नामांकन किया है। 

पल-पल बदले रहे नियम, सभी रहे असमंजस में 

भाजपा जिला और महानगर अध्यक्ष के चुनाव में पल-पल नियम बदलते रहें। इससे कार्यकर्ता की बात छोड़ दें, पदाधिकारी तक असमंजस में रहे। जिले और महानगर के पदाधिकारी भी कहते नजर आए कि क्या हो रहा है उन्हें भी समझ में आ रहा है? दरअसल, पहले नियम बताया गया कि मंडल अध्यक्ष और प्रतिनिधि मतदान करेंगे। इसलिए सभी मंडल अध्यक्ष जिला और महानगर कार्यालयों पर समय से पहुंच गए। इसके बाद पता चला कि मतदान नहीं होगा। सिर्फ नामांकन पत्र ही जमा किए जाएंगे। यही नाम प्रदेश कार्यालय भेजे जाएंगे और वहीं से नाम तय होंगे। इसपर कई मंडल अध्यक्ष नाराज हो गए। उनका कहना था कि ऐसे में चुनाव की निष्पक्षता क्या रह जाएगी? पार्टी को ही जब तय करना है तो उन्हें क्यों बुलाया गया? कम से कम वह मतदान करते तो सक्रिय और कर्मठ कार्यकर्ता को अध्यक्ष के लिए मौका मिलता। जिला और महानगर दोनों कार्यालयों पर यह नाराजगी देखी गई।

बांट रही है पार्टी

 अध्यक्षों के लिए पहले तय किया गया था कि मंडल अध्यक्ष जिले और महानगर अध्यक्षों के प्रस्ताव बनेंगे। इसपर मंडल अध्यक्षों और कुछ दावेदारों में नाराज हो गए। उनका कहना था कि यह तो बांटने का काम किया जा रहा है। महानगर में 28 दावेदार हैं। मंडल अध्यक्ष सात हैं। ऐसे में मंडल अध्यक्ष किन-किन के प्रस्तावक बनेंगे। यदि किसी भी पदाधिकारी के प्रस्तावक बनने से उन्होंने इन्कार कर दिया तो वरिष्ठ नेता नाराज हो जाएंगे। जबकि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ ही उन्हें काम करना है। कई दावेदारों ने प्रस्तावक के बिना ही नामांकन कर दिया। उनका कहना था कि प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने साफ कहा था कि बिना प्रस्तावक के ही नामांकन करने हैं। 

पहले ही करा लिए थे हस्ताक्षर 

चुनाव के नियमों की भी धज्जियां उड़ाई गईं। कुछ दावेदारों ने तो पहले से ही मंडल अध्यक्षों से प्रस्तावक के हस्ताक्षर करा लिए थे। आरोप है कि उनसे कहा गया था कि हमारे नीचे रहकर काम करना है इसलिए हस्ताक्षर पहले कर दो। 

दो नेताओं के बीच फंसा पद 

वैसे तो अध्यक्ष पद की घोषणा प्रदेश स्तर से होगी। मगर, जिले के दो बड़े नेताओं का भी दखल कम नहीं है। दोनों नेता जिले में वर्चस्व कायम करने के लिए अपना-अपना जिलाध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। इसलिए कई कर्मठ कार्यकर्ताओं के मंसूबे पर पानी फिर सकता है। सूत्र बताते हैं कि एक नेता महानगर और दूसरे नेता जिला अध्यक्ष पर राजी हो गए हैं। उनका कहना है कि यदि उनके गुट के कार्यकर्ता को अध्यक्ष बनाया जाता है तो वह दखल नहीं देंगे। वहीं, कुछ दावेदारों ने आरएसएस से भी पैरवी कराई है। संघ के बड़े नेता भी उनके पक्ष में नजर आ रहे हैं।  


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