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अलीगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के कृष्‍ण कुमार नवमान ने बनाई थी हैट्रिक, ये थी रणनीति

सपा ने भी इस सीट पर तीन बार कब्जा किया है। एक बार आरईपी प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी। भाजपा के कृष्ण कुमार नवमान ने जीत की हैट्रिक बनाई। यह रिकार्ड अभी तक टूट नहीं सका है। बसपा ने हर बार इस सीट पर मात खाई है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 07:35 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 07:43 PM (IST)
अलीगढ़  विधानसभा सीट से भाजपा के  कृष्‍ण कुमार नवमान ने बनाई थी हैट्रिक, ये थी रणनीति
आजादी से पहले से भी अलीगढ़ की दूर देशों तक भले पहचान रही।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आजादी से पहले से भी अलीगढ़ की दूर देशों तक भले पहचान रही, लेकिन शायद जानकर हैरान होंगे कि पहले विधानसभा चुनाव में अलीगढ़ विधानसभा सीट ही नहीं थी। अतरौली व कोल विधानसभा क्षेत्रों में शामिल इस शहर को विधानसभा क्षेत्र का दर्जा दूसरे चुनाव में मिला तो यहां के मतदाताओं ने निराश किसी को नहीं किया। कांग्रेस का विजय रथ भले शुरू हुआ, पर भाजपा और सपा की झोली में यह सीट रही। अब तक 16 बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छह बार, भारतीय जन संघ (बीजेएस) के साथ भाजपा ने भी इतनी बार जीत हासिल की। सपा ने भी इस सीट पर तीन बार कब्जा किया है। एक बार आरईपी प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी। भाजपा के कृष्ण कुमार नवमान ने जीत की हैट्रिक बनाई। यह रिकार्ड अभी तक टूट नहीं सका है। बसपा ने हर बार इस सीट पर मात खाई है।

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यह थी पहले चुनाव की रणनीति

अलीगढ़ को ताला-तालीम का शहर कहा जाता है। यहां की गंगा-जमुनी संस्कृति दुनियाभर में जानी जाती है। देश की आजादी के बाद संवैधानिक व्यवस्था पर अमल करते हुए जब वर्ष 1952 में प्रदेश की विधानसभा के लिए चुनाव हुए, तब पहली बार अतरौली साउथ के नाम से गठित विधानसभा क्षेत्र के लिए शहर के मतदाताओं ने वोट डाले। उस समय जिले में चार ही विधानसभा क्षेत्र थे। जिनमें इगलास, खैर, कोल-अतरौली, व साउथ अतरौली क्षेत्र शामिल थे। सात प्रत्याशी मैदान में थे। कांग्रेस की लहर थी। इस पार्टी के नफीस सुल हसन ने 22 हजार 576 वोट लेकर निर्दलीय प्रत्याशी अमर सिंह को मात दी। सिंह को 55 हजार 94 वोट मिले थे। कुल 81 हजार 635 वोट में से 37989 वोट पड़े थे। उस समय एक भी वोट निरस्त नहीं हुआ था। न ही किसी प्रत्याशी ने वोट को लेकर चुनौती दी। नए परसीमन के साथ दूसरी बार विधानसभा चुनाव वर्ष 1957 में हुआ। तब अलीगढ़ शहर विधानसभा क्षेत्र का उदय हुआ। पांच प्रत्याशी मैदान में थे।

हर चुनाव में रहा मुकाबला

71 हजार 225 कुल मतदाताओं में से 41 हजार 231 वोट पड़े। कांग्रेस के अनंतराम वर्मा ने जीत दर्ज की थी। इन्हें निर्दलीय प्रत्याशी एनएल माथुर ने टक्कर दी। 1962 में हुए चुनाव में आरईपी के अब्दुल बसीर खान ने कांग्रेस से यह सीट झटक ली। बसीर खान को 21 हजार 909 वोट मिले। वर्मा को 16 हजार 164 वोट मिले। जन संघ के तोता राम विद्यार्थी को तीन हजार 270 मत मिले। इसके बाद हर चुनाव मुकाबले का ही रहा।


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