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Web talk : हिंदी व उर्दू भाषा की ओर बढ़ रहा बिहार के युवकों का रूझान Aligarh news

भाषा विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रो. मोहम्मद जहांगीर वारसी ने स्वागत संबोधन में वक्ता का परिचय देते हुए बताया कि प्रो. राजेन्द मेस्त्री अन्य शैक्षणिक और प्रशासनिक भार को संभालने के अतिरिक्त दक्षिणी अफ्रीका भाषा वैज्ञानिक सोसायटी और भाषाविज्ञान की अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 11:55 AM (IST)
Web talk : हिंदी व उर्दू भाषा की ओर बढ़ रहा बिहार के युवकों का रूझान Aligarh news
एएमयू में भाषा विज्ञान विभाग की ओर से कराए गए वेबटॉक में विचार रखते अतिथिगण व प्रोफेसर्स

अलीगढ़, जेएनएन : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के भाषा-विज्ञान विभाग में प्रो. राजेन्द मेस्त्री, केपटाउन यनिवर्सिटी द्वारा वेब टाॅक का आयोजन विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने के उत्सव के मौके पर किया गया। भाषा विज्ञान विभाग के प्रभारी, प्रो. मोहम्मद जहांगीर वारसी ने स्वागत संबोधन में वक्ता का परिचय देते हुए बताया कि प्रो. राजेन्द मेस्त्री अन्य शैक्षणिक और प्रशासनिक भार को संभालने के अतिरिक्त दक्षिणी अफ्रीका भाषा वैज्ञानिक सोसायटी और भाषाविज्ञान की अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं। उनकी भाषा विज्ञान के महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। 

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बिहार में भोजपुरी के बताये हालात

भारत से लोगों का प्रवास, प्रवास के प्रकार और कारण और उनसे संबंधित सामाजिक भाषा विज्ञान पर प्रकाश डालते हुए प्रो. राजेन्द मेस्त्री ने व्याख्यान का आरंभ किया। बिहार में भोजपुरी के हालात पर भी रोशनी डाली। उन्होंने इससे संबंधित विभिन्न शोध का हवाला देते हुए बताया कि किस प्रकार भोजपुरी बोलने वाले बिहार के युवकों का रुझान हिंदी व उर्दू भाषाओं की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने भारत से होने वाले प्रवास के चार प्रकारों की चर्चा की, जिसमें औपनिवेशिक युग दक्षिणी भारत और उत्तर-पूर्व भारत से अनुबंधित मजदूरों और गुलामों का प्रवास चर्चा का मुख्य विषय था। प्रो. मेस्त्री ने दक्षिणी अफ्रीका में होने वाले भाषा के स्थानांतरण और बदलाव के अतिरिक्त सूरीनाम, माॅरिशस, गुयाना, त्रिनिदाद, जैसे देशों में बोली जाने वाली हिंदुस्तानी भाषाओं में होने वाले बदलाव को भी सामने रखा । प्रोफेसर ने भोजपुरी, अवधी, हिंदी और उर्दू भाषाओं के मेल से जन्मी कोइनी बोलियों की भी चर्चा की। कोइनी बोलियां वह बोलियां हैं जिनका जन्म समान भाषा परिवार की बोलियों के मेल से होता है। भाषा विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एस इम्तियाज हसनैन ने प्रो. मेस्त्री को उनके शानदार व्याख्यान के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के श्रोतागणों को अपने प्रश्न पूछने का भी मौका प्रदान किया। भाषा विज्ञान विभाग के रीडर और कार्यक्रम के आयोजक मसूद अली बेग ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया।


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