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Sharadiya Navratri 2021: अष्टमी के अंतिम और नवमी के शुरुआती 24 मिनट दुर्गा पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय, ऐसे करें पूजा Aligarh News

वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 947 बजे से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर की रात 807 बजे तक रहेगी। जिन श्रद्धालुओं के घर में अष्टमी तिथि का पूजन होता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 07:01 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 07:01 AM (IST)
Sharadiya Navratri 2021: अष्टमी के अंतिम और नवमी के शुरुआती 24 मिनट दुर्गा पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय, ऐसे करें पूजा Aligarh News
स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताई अष्टमी तिथि व नवमी पूजा की विधि।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्रि देशभर में मनाया जा रहा है। देवी के आठवें और नवमें स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है। इन दो दिनों मे कन्याओं की पूजा होती है और उन्हें भोजन कराया जाता है। वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 9:47 बजे से प्रारंभ होकर 13 अक्टूबर की रात 8:07 बजे तक रहेगी। जिन श्रद्धालुओं के घर में अष्टमी तिथि का पूजन होता है। वह बुधवार के दिन व्रत रख कर सुकर्मा योग के शुभ योग में कन्या पूजन कर सकते हैं। नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8:07 बजे 14 अक्टूबर शाम 6:52 बजे तक रहेगी।

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ऐसे करें पूजा

स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि अष्टमी तिथि समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि क्षण या काल कहते हैं। संधि काल का ये समय दुर्गा पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि मान्यता के अनुसार संधि काल में ही देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था। संधि काल के समय 108 दीपक जलाए जाते हैं। मां दुर्गा का पूजन अष्टमी व नवमी को करने से कष्ट और हर तरह के दुख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में महिलाओं की हमेशा से ही इज्जत और पूजा की जाती है। परंतु आज के समय में महिलाओं और कन्याओं की दुर्दशा देखने को मिल रही है, जो न केवल समाज, बल्कि संपर्ण राष्ट्र के लिए अत्यंत निंदनीय है। आज के दौर में कन्याओं का सम्मान केवल नवरात्रि और राखी पर्व तक सीमित होकर रह गया है। इस वर्ष नवरात्रि से यदि प्रति व्यक्ति एक कन्या की रक्षा का संकल्प ले तो निश्चित ही देश में महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करने साथ प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश को नया आयाम देने की कोशिश करेंगी।

ऐसे करें पूजन

उन्होंने बताया कि महानवमी को समस्त सिद्धि प्रदान करने वाली मां का रवियोग में सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। कन्या पूजन से एक दिन पहले मां दुर्गा के नौ स्वरूप की प्रतीक दो से दस साल की नौं कन्याओं एवं बटुक भैरव के स्वरूप लांगुर को अपने घर बुलाकर कुमकुम की बिंदी लगाने के बाद विधि विधान से भोजन करवाने के बाद पीले चावल के साथ दक्षिणा भी देनी चाहिए। अगर देवी सरस्वती की स्थापना की हो तो उनका विसर्जन नवमी को किया जा सकता है


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