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गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर चलना और होगा आसान, ऐसे रहेगी सुविधा

गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर कुछ वर्षो में चलना और आसान हो जाएगा। इसे सिक्सलेन किया जाना है। सर्वे का काम शुरू हो गया है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 06:46 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 07:20 AM (IST)
गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर चलना और होगा आसान, ऐसे रहेगी सुविधा
गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर चलना और होगा आसान, ऐसे रहेगी सुविधा

अलीगढ़ जेएनएन: गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर कुछ वर्षो में चलना और आसान हो जाएगा। इसे सिक्सलेन किया जाना है। सर्वे का काम शुरू हो गया है। चूंकि पुरानी कंपनी को ही काम करना है इसलिए दिसंबर से काम शुरू होने की संभावना है। हाइवे के सिक्सलेन बनने से कई जिलों के लोगों को सुविधा होगी। खासकर अलीगढ़ के लोग आसानी से दिल्ली पहुंच सकेंगे। उधर, कुछ वेर्षों में अलीगढ़-कानपुर हाइवे भी बनकर तैयार हो जाएगा, जिससे इस पर ट्रफिक बढ़ने की संभावना है।

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2ृ009 में शुरू हुआ था काम

गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे का निर्माण कार्य 2009 में शुरू हुआ था। पहले यह सात मीटर चौड़ा मार्ग था, जो जीटी रोड के अंतर्गत आता था। इससे इसपर वाहनों की लंबी कतार लगती थी। हमेशा यह जाम से जूझता रहता था। इसका निर्माण गाजियाबाद-अलीगढ़ एक्सप्रेस-वे प्रालि. (जीएइपीएल) ने किया था। वर्ष 2014 में यह हाइवे बनकर तैयार हुआ था। गाजियाबाद के लाल कुआं से लेकर अलीगढ़ के बौनेरे तक करीब 126 किमी मार्ग के निर्माण में 1450 करोड़ लागत आई थी। हाइवे के निर्माण के समय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) का कंपनी से सिक्सेलन का करार था। जिसमे शर्त रखी गई थी कि भले ही हाइवे को फोरलेन बनाया जा रहा है, मगर जमीन सिक्सलेन अधिग्रहित की जाएगी। क्योंकि यह हाइवे सीधे दिल्ली को जोड़ता है, आने वाले दिनों में इसपर वाहनों की संख्या जरूर बढ़ेगी। फिर किसानों से जमीन ले पाना मुश्किल होगा और लागत भी अधिक आएगी। सर्वे का काम शुरूसिक्सलेन के निर्माण को देखते हुए एनएचएआइ ने सर्वे का काम शुरू करा दिया है।

जमीन अधिग्रहित करने की जरूरत नहीं 

एनएचएआइ के पास पहले से ही जमीन है, इसलिए उसे अधिग्रहित करने की जरूरत नहीं है। हाइवे के दोनों ओर उसे संरक्षित किया गया है। हालांकि, कुछ एक जमीन की जरूरत पड़ सकती है। इसको लेकर किसानों से बात की जाएगी। फिलहाल किन जगहों पर पेड़ों की कटान होगा, किन जगहों पर अंडरपास आदि की जरूरत होगी यह सब देखा जा रहा है। सर्वे का काम नवंबर के अंत तक पूरा हो जाएगा। वाहनों की लगातार बढ़ रही संख्या जीटी रोड (हाइवे) पर वर्ष 2009 में वाहनों का लोड काफी कम था। धीरे-धीरे यह बढ़ता चला गया। वर्तमान में 35000 औसतन वाहन निकलते हैं, जिससे अलीगढ़ के गभाना से आगे निकलने के बाद से कई जगहों पर जाम की स्थिति बनने लगती है। वहीं, अलीगढ़ से कानपुर तक जीटी रोड के फोरलेन का काम चल रहा है। निर्माण कार्य के चलते फिलहाल इसपर ट्रफिक काफी कम है। मगर, फोरलेन होने के बाद कानपुर से सीधा ट्रफिक गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर आ जाएगा। यहां तक बनारस, इलाहाबाद, मिर्जापुर, फतेहपुर आदि का भी ट्रफिक हाइवे पर बढ़ेगा।

दो वर्ष के भीतर बनने की संभावना

गाजियाबाद-अलीगढ़ हाइवे पर अभी सर्वे का काम चल रहा है। इसे सिक्सलेन किया जाना है। हालांकि, फोरलेन के समय ही सिक्सलेन का एग्रीमेंट था, इसलिए इसके निर्माण में ज्यादा दिक्कत नहीं आने वाली है। दो वर्ष के भीतर बनने की संभावना है। पीपी सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचएआइ


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