Move to Jagran APP

चार दिन से बंद हैं बैंक, डोल गई अर्थ व्यवस्था, परेशान हो रहे लोग, जानिए कैसे Aligarh news

पहले माह का दूसरा शनिवार व साप्ताहिक अवकाश रविवार के चलते व्यापारी उद्यमियों व आम उपभोक्ताओं को खासी परेशानी हुई। चार दिन से बंद बैंक से अर्थ व्यवस्था डोल गई है। नकदी के संकट के चलते बैंक उपभोक्ता खास तौर पर उद्यमी परेशान है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 09:51 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 09:51 AM (IST)
चार दिन से बंद हैं बैंक, डोल गई अर्थ व्यवस्था, परेशान हो रहे लोग, जानिए कैसे  Aligarh news
बैंकों को निजीकरण के विरोध में सोमवार व मंगलवार को बैंकों में हड़ताल रही।

अलीगढ़, जेएनएन : बैंकों को निजीकरण के विरोध में सोमवार व मंगलवार को बैंकों में हड़ताल रही। यूनाइटिड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आव्हान पर बैंकों के अफसर व कर्मचारियों के नौ संगठनों ने प्रदर्शन कर एकजुटता दिखाई। इससे पहले माह का दूसरा शनिवार व साप्ताहिक अवकाश रविवार के चलते व्यापारी, उद्यमियों व आम उपभोक्ताओं को खासी परेशानी हुई। चार दिन से बंद बैंक से अर्थ व्यवस्था डोल गई है। नकदी के संकट के चलते बैंक उपभोक्ता खास तौर पर उद्यमी परेशान है। जिले की 25 राष्ट्रीयकृत बैंकों की 250 से अधिक शाखाओं के दूसरे दिन भी शटर डाउन हैं। आल इंडिया नेशनालाइज्ड बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (एआईएनबीओएफ) ने धनीपुर स्थित केनरा बैंक की शाखा पर धरना शुरू कर दिया है। फेडरेशन की राज्य समिति के सदस्य अतुल सिंह ने व यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस अलीगढ इकाई क्षेत्रीय सचिव प्रदीप सचान ने कहा कि अलीगढ जिले के सभी बैंक अधिकारी व कर्मचारियों ने एकजुटता पर जोर दिया है। स्टेट बैंक आफ इंडिया की घंटाघर शाखा पर प्रदर्शन किया। 

loksabha election banner

ये हैं मांगें 

- सार्वजानिक क्षेत्रों का निजीकरण रोका जाये । 
- बड़े ख़राब ऋणों की बसूली के लिए कठोर कानून बनाये जाये। 
- निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाये। 
- बैंक लोन की जानबूझकर चूक को अपराधिक अपराध घोषित किया जाए। 
देश हित में नहीं है बैंकों का निजीकरण 
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल बैंक अफसर व कर्मचारियों के पक्ष में उतर आए हैं। रेलवे रोड स्थित समर्पण कांप्लेक्स में बैठक बैंकों की हड़ताल को लेकर चर्चा की गई। महानगर अध्यक्ष सतीश माहेश्वरी कहा कि बैंकों का निजीकरण देश हित में नहीं है। इससे व्यापारी, उद्यमी व उपभोक्ता को काफी परेशानी होगी। इतिहास गवाह है कि सन 1969 से पहले अधिकतर बैंको का निजीकरण था। इनके प्रबंधन घाटा दर्शाकर उपभोक्ताओं के पैसा डकारते थे। सन 1969 में केंद्र सरकार ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकृत किया। तब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। अब केंद्र सरकार फिर से बैंकों का निजीकरण करने पर आमदा है। 
व्‍यापारी बैंक के भरोसे
महानगर मंत्री दिनेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि आज भी व्यापारी समाज का विश्वास सरकारी बैंकों पर है। पिछले वर्षों में कई प्राइवेट बैंक बंद हुए हैं और इससे उसके ग्राहक आज भी मोनेटोरियंम की समस्या से जूझ रहे हैं। बांड धारक अभी तक अपनी बचत का पैसा लेने में असमर्थ रहे हैं। महानगर चेयरमैन ओपी राठी देश व व्यापारियों के हितों पर जोर दिया। जिलाध्यक्ष कमल गुप्ता ने सरकार से बैंकों की बेहतर सुविधा पर जोर दिया है। बैठक में महामंत्री कृष्ण गुप्ता, युवा महानगर अध्यक्ष विवेक शर्मा, सासनीगेअ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता, बृजमोहन अग्रवाल, घनश्याम दास जैन, गर्वित माहेश्वरी ने भी बैंकों का निजीकरण का विरोध किया है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.