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अलीगढ़ में चलती है बालाजी सरकार, भजन संध्या से मिली मंदिर स्‍थापना की प्रेरणा

मथुरा रोड पर स्थित बालाजी सरकार का मंदिर हजारों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। मंदिर में सालासर बालाजी सरकार विराजमान हैं । मंदिर की भव्य इमारत बनी हुई है। जिसपर राजस्थान के कारीगरों के बेहतरीन नक्काशी की है।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 06:34 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 06:34 AM (IST)
अलीगढ़ में चलती है बालाजी सरकार, भजन संध्या से मिली मंदिर स्‍थापना की प्रेरणा
मथुरा रोड पर स्थित बालाजी सरकार का मंदिर हजारों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है।

अलीगढ़, राजनारायण सिंह। मथुरा रोड पर स्थित बालाजी सरकार का मंदिर हजारों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। मंदिर में सालासर बालाजी सरकार विराजमान हैं । मंदिर की भव्य इमारत बनी हुई है। जिसपर राजस्थान के कारीगरों के बेहतरीन नक्काशी की है। मंदिर में राजस्थान के पुजारी हैं, जो पूरी परंपरा के अनुसार पूजन और भोग लगाते हैं। प्रत्येक वर्ष मंदिर के वार्षिकोत्स पर कोलकता और कानपुर के कलाकार आते हैं, जिससे पूरा शहर भक्तिमय हो जाता है। 

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ऐसे हुआ श्री सालासर बालाजी मंदिर स्थापित

मथुरा रोड स्थित खेड़िया गांव में श्री सालासर बालाजी मंदिर स्थापित है। मंदिर की स्थापना के पीछे रोचक कहानी है। मंदिर के वर्तमान अध्यक्ष अजय अग्रवाल और पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा सालासर बालाजी सरकार के परम भक्त हैं। वह बालाजी के दर्शन करने जाया करते थे। उनके मन में मंदिर स्थापना का विचार आया। 2009 में सालासर बालाजी भजन संध्या की शुरुआत की। सासनीगेट के निकट माहेश्वरी इंटर कॉलेज में विशाल भजन संध्या आयोजित की जाने लगी। यहां श्रद्धा का सैलाब उमड़ने लगा। श्रद्धालुओं के मन में भी विचार आया कि जब इतनी सुंदर भजन संध्या है तो बालाजी सरकार का मंदिर भी शहर में होना चाहिए। इसके बाद मंदिर की स्थापना के लिए जमीन तलाशी जाने लगी। सासनीगेट से चार किमी दूर मथुरा रोड पर खेड़िया गांव में चार एकड़ जमीन खरीद गई। 11 दिसंबर 2010 को मंदिर का भूमि पूजन किया गया और इसी के साथ मंदिर के निर्माण का सिलसिला शुरू हो गया।  धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण होता रहा। 

विधिवत हुई प्राण-प्रतिष्ठा

29 अक्टूबर 2018 को मंदिर में विधिवत सालासर बालाजी सरकार की प्रतिष्ठा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। इसी के साथ पूरे जिले में बालाजी सरकार के भव्य मंदिर की ख्याति फैल गई। मंदिर के दीवारों पर हनुमानजी, प्रभु श्रीराम-माता सीता, राधा-कृष्ण की आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित की गईं हैं। इनपर कारीगिरी देखते ही बनती है। राजस्थान के कारीगरों ने दिया मूर्त रुप 

अजय अग्रवाल और वीरेंद्र शर्मा बताते हैं कि मंदिर के निर्माण में राजस्थान के कारीगरों ने काम किया है। चूंकि पत्थरों पर काम करने का उनका अनुभव है, इसलिए उन्हें बुलाया गया। इसलिए मंदिर में घुसते ही आप पिलर, दीवार, छज्जा आदि जगहों पर नक्काशी देख सकते हैं। इतनी बेहतरीन नक्काशी है कि एक टक निहारते रहें।  

सालासर से हैं पुजारी 

मंदिर में सालासर बालाजी के पुजारी हैं। दो पुजारी पूजन के लिए हैं, जो सुबह और शाम पूजा करते हैं। भोग बनाने के लिए एक अलग से पुजारी हैं। वह बालाजी सरकार के लिए तो प्रसाद बनाते ही हैं, छप्पन भोग आदि चढ़ाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी प्रसाद तैयार करते हैं। बाहर से छप्पन भोग आदि नहीं चढ़ाया जाता है, जिससे शुद्धता और पवित्रता बनी रहे। 

मंदिर की व्यवस्था 

मंदिर में दो विशाल हाल हैं। सुंदरकांड पाठ, भजन-कीर्तन और सत्संग होता है। छप्पन भोग आदि भी तैयार किया जाता है। विशाल बरामदा है। गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था भी है। पुजारी के लिए अलग-अलग कमरे बने हुए हैं। बाबा की रसोई भी है। कार्यालय है, उसके ऊपर भी एक हाल है। बाहर से आने वाले अतिथियों की रुकने के लिए चार कमरे बने हुए हैं।  

ऐसे पहुंचे मंदिर  

मंदिर के निकट से ही बाइपास निकल रहा है। इसलिए शहर के किसी भी कोने से आप मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो बहुत ही आसानी से पहुंच सकते हैं। सासनीगेट चौराहे से मंदिर की दूरी मात्र चार किमी है। विक्रम कॉलोनी, रामबाग कॉलोनी, स्वर्णजयंती नगर, सरोज नगर, एटा चुंगी के लोग यदि मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो कमालपुर बाइपास से होते हुए जीटी रोड बाइपास होते हुए पहुंच सकते हैं। बाइपास होने से जाम नहीं मिलेगा। इसके अलावा नुमाइश, सारसौल, खैर रोड आदि क्षेत्र के लोग भी खेरेश्वरधाम बाइपास होते हुए मंदिर पहुंच सकते हैं। श्रद्धालुओं को मंदिर पहुंचने में कहीं कोई दिक्कत नहीं होगी। 

अथाह आस्था है 

पूर्व सालासर बालाजी समिति के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र शर्मा बताते हैं कि बालाजी सरकार की महिमा अपरंपार है। श्रद्धा-भाव के साथ जो भी बाबा के दरबार में आता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। 

भक्ति में रम जाते हैं 

कानपुर से प्रत्येक वार्षिकोत्सव में शामिल होने आ रहे बजरंग सोनी का कहना हैं कि बाबा के दरबार में आकर मन रम जाता है। भजन की शुरुआत करते हैं तो मानों लगता है कि बाबा की साक्षात कृपा बरसती है। मन निर्मल हो जाता है। इसलिए कितनी भी व्यवस्था हो बाबा के दरवबार में हर साल खींचा हुआ चला आता हूं।


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