गजब...बाइक पर चार धाम की यात्रा कर लौटे नितिन घुट्टी
राहें दुर्गम थी और जोखिम भरी भीं। बाइक पर दो हजार किलोमीटर का सफर आसान भी तो नहीं था। कई बार ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर पैदल भी चलना पड़ा। जंगल में रात तक बितानी पड़ी मगर कहते हैं कि यदि जज्बा और जुनून हो तो हर राह आसान हो जाती है।
अलीगढ़, जेएनएन। यह आध्यात्मिक ही नहीं, रोमांच का भी सफर था। राहें दुर्गम थी और जोखिम भरी भीं। बाइक पर दो हजार किलोमीटर का सफर आसान भी तो नहीं था। कई बार ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर पैदल भी चलना पड़ा। जंगल में रात तक बितानी पड़ी, मगर कहते हैं कि यदि जज्बा और जुनून हो तो हर राह आसान हो जाती है। यह बात शहर के प्रमुख कारोबारी नितिन घुट्टी ने एक बार फिर साबित कर दिखाई। बाइक राइडर्स नितिन घुट्टी सोमवार की शाम 15 दिन बाद चारधाम की यात्रा कर सुरक्षित लौट आए। अलीगढ़ पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत भी हुआ।
पहला पड़ाव मेरठ रहा
'112 साल की बुढ़िया की घुट्टी' के निदेशक नितिन घुट्टी 12 अक्टूबर को अपने गुड़गांव के दोस्त ओम भारद्वाज के साथ मोटरसाइकिल से चारधाम की यात्रा के लिए रवाना हुए। अलीगढ़ से बिना किसी रुकावट के पहला पड़ाव 135 किलो मीटर के बाद मेरठ में किया। इसके बाद साढ़े तीन घंटे यह उत्तराखंड के देहरादून पहुंचे। यहां से मंसूरी में रात बताई। इसी तरह यह पहले उत्तराखंड के यमनोत्री पहुंचे। इस तीर्थ यात्रा के दौरान इन्होंने छह किलो मीटर दुर्गम रास्तों पर पैदल यात्रा की। इसके बाद यह गंगोत्री पहुंचे। यहां गौमुख पहुंचे। इस दौरान नितिन घुट्टी ने 22 किलो मीटर की जंगल में खतरनाक रास्तों से गुजरे।
टेंट लगाकर गुजारी रात
ढाई दिन की इस यात्रा में नितिन ने वाइल्ड लाइफ रिजर्व एरिया चीढ़ बासा में टेंट लगाकर रात गुजारी। सोलर टॉर्च की रोशनी में खुद खाना पकाया। इसके बाद यह केदानाथ पहुंचे। जहां दर्शन के बाद यह मोटरसाइकिल से ही वापस लौटे। नितिन घुट्टी पहले भी अनेक बार ऐसी यात्राएं कर चुके हैं। कहते हैं कि मनुष्य को अपने लिए भी समय निकालना चाहिए, वह किसी भी रूप में निकाल सकते हैं।