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सेना के लिए एथलीट पालेंद्र ने छोड़ा था ओलंपिक छल्लों का मोह

ओलंपिक में चयन व उसमें पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। यही सपना अंतरराष्ट्रीय एथलीट पालेंद्र चौधरी उर्फ पाली का भी था।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 08:25 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 09:14 AM (IST)
सेना  के लिए एथलीट पालेंद्र ने छोड़ा था ओलंपिक छल्लों का मोह
सेना के लिए एथलीट पालेंद्र ने छोड़ा था ओलंपिक छल्लों का मोह

गौरव दुबे, अलीगढ़ ।  ओलंपिक में चयन व उसमें पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। यही सपना अंतरराष्ट्रीय एथलीट पालेंद्र चौधरी उर्फ पाली का भी था। पिछले साल नवंबर में ओलंपिक कैंप में चयन से उसका ये सपना पूरा होने की कगार पर भी था। उसने इसके लिए अपने हाथ पर ओलंपिक के छल्ले भी गुदवा लिए थे, मगर सेना में भर्ती के लिए उसने इन छल्लों का मोह छोड़ दिया था और हाथ को चीरकर उस स्थान पर टांके लगवा दिए थे ताकि मेडिकल जांच में अनफिट न हो सके।

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पांच छल्ले गुदवाए थे

ओलंपिक कैंप में चयन के बाद पालेंद्र ने अपने बायें हाथ में ओलंपिक के प्रतीक पांच छल्ले गुदवाए थे। सेना में भर्ती के लिए ये छल्ले आड़े आ रहे थे। पालेंद्र ने हाथ में बड़ा चीरा लगवाकर टांके लगवाए और सेना में भर्ती हो गया था। इस स्टार एथलीट का चयन सूबेदार पद पर हुआ था और 25 नवंबर 2018 को ज्वॉइन करना था। पाली ने छल्ले खत्म कराने के प्रकरण का जिक्र अपने घर भी नहीं किया था। उसके करीबी मित्र ने यह वाकया बताया।

ये है नियम 

सी-3 डिफेंस अकादमी के संचालक व सेना से रिटायर कैप्टन आसिन खान ने बताया कि वे भी सेना भर्ती प्रक्रिया में रहे हैं। हाल ही में सेना में सर्कुलर आया है कि अगर हथेली के ऊपर व कोहनी के नीचे ईश नाम, चित्र या कोई नाम गुदवाया है तो मेडिकल में पास माना जाएगा। शरीर के बाकी किसी हिस्से में कुछ भी गुदवाया है तो डिसक्वालीफाई कर दिया जाएगा। कई त्वचा रोग होने के चलते ये रोक लगाई गई है। इसमें भी एक यह शर्त भी है कि अगर हाथ पर भी ज्यादा या बड़ा सा कुछ गुदवाया है तो आवेदक सीधे डिसक्वालीफाई माना जाएगा।

बेटा से कोई तकरार नहीं हुई : महेशपाल

पालेंद्र चौधरी की मौत से पिता महेशपाल सिंह व मां अमरवती टूट गए हैं। उनके आंसू थम नहीं रहे। गुरुवार को घर में मातम छाया रहा। बेसुध पड़ी मां को मुहल्ले की महिलाएं ही संभाल रही थीं। पिता को समझ नहीं आ रहा कि बेटा ने ऐसा कदम क्यों उठाया? उनका कहना था कि मंगलवार को पालेंद्र ने जब 40 हजार रुपये के लिए फोन किया था तो वह सामान्य दिनों तरह बातें कर रहा था। लग ही नहीं रहा था कि वह आत्मघाती कदम उठा लेगा। पैसे को लेकर उससे किसी तरह की तकरार नहीं हुर्ई। उसने भी किसी से विवाद होने की बात नहीं कही थी। इसलिए मैंने किसी पर संदेह तक नहीं किया है। पुलिस की जो भी जांच होगी, वह सबके सामने आएगी। मेरा तो इकलौता बेटा चला गया, मैं किस पर आरोप लगाऊं।

जिस ट्रैक पर दौड़ता था पालेंद्र, उसी पर निकाला कैंडिल मार्च
अंतरराष्ट्रीय एथलीट पालेंद्र चौधरी भले ही आज इस दुनिया में न हो, मगर लोगों खासकर खिलाडिय़ों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा। विदेशों में देश का तिरंगा फहराने वाले कभी मरते नहीं हैं। ये बातें गुरुवार को रामघाट रोड स्थित स्पोट्र्स स्टेडियम में दिवंगत पालेंद्र की शोकसभा में कार्यवाहक प्रभारी क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अश्विनी कुमार त्यागी ने कहीं। क्षेत्रीय खेल विभाग व जिला एथलेटिक्स संघ की ओर से आयोजित शोकसभा में विभिन्न खेलों के खिलाडिय़ों, संघ पदाधिकारियों व शूटिंग प्रतियोगिता में शामिल माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने दो मिनट का मौन रखकर पालेंद्र की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। विभिन्न खेल संघ पदाधिकारियों व खिलाडिय़ों ने पालेंद्र को श्रद्धांजलि देने के लिए सड़क का रास्ता नहीं चुना। स्टेडियम के जिस एथलेटिक्स ट्रैक पर दौड़कर पालेंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा, उसी पर चलकर सबने कैंडिल मार्च निकालकर श्रृद्धांजलि दी।


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