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New Education policy: किसी को पसंद तो किसी को नापसंद, शिक्षा नीति पर द्वंद्व Aligarh News

शिक्षा के कुछ जानकार नई शिक्षा नीति को पसंद कर रहे हैं तो कुछ आलोचना भी। इस पसंद व नापसंद की खींचतान में नई शिक्षा नीति पर द्वंद्व शुरू हो गया है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 07:31 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 07:50 AM (IST)
New Education policy: किसी को पसंद तो किसी को नापसंद, शिक्षा नीति पर द्वंद्व Aligarh News
New Education policy: किसी को पसंद तो किसी को नापसंद, शिक्षा नीति पर द्वंद्व Aligarh News

अलीगढ़ जेएनएन: शिक्षा के कुछ जानकार नई शिक्षा नीति को पसंद कर रहे हैं तो कुछ आलोचना भी। इस पसंद व नापसंद की खींचतान में नई शिक्षा नीति पर द्वंद्व शुरू हो गया है। कुछ इसे समय के साथ नए भारत के निर्माण में सहायक बता रहे हैं तो कुछ बेरोजगारी व शोषण का द्योतक बता रहे हैं।

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युवा ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग कराएगी

एसजेडी मेमोरियल पब्लिक स्कूल के निदेशक व भाजपा नेता राजीव कुमार शर्मा का कहना है कि नई शिक्षा नीति युवाओं की ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग कराने में सहायक होगी। इससे छात्रों में उपयोगिता व गुणवत्ता के साथ स्वावलंबन व आजीविका का संचार होगा। नई शिक्षा नीति अध्ययन के साथ व्यावसायिक उपयोगिता की समझ विकसित करेगी। भारतीय भाषा, संस्कृति, संस्कार व विज्ञान के साथ विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार होगी। छात्र अपनी इच्छानुसार विषय चुनकर समय प्रबंधन के अनुरूप सर्टिफिकेट, डिग्री व मास्टर डिग्री कोर्स कर सकेंगे। 

बेरोजगारी व शोषण को मिलेगा बढ़ावा 

आगरा यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (औटा) सदस्य डॉ. एमपी ङ्क्षसह ने नई शिक्षा नीति को बेरोजगारी व शोषण को बढ़ावा देने वाला बताया। कहा है कि इसका फायदा आमजन को नहीं होगा। शिक्षा महंगी होगी, आमजन को मुहैया न होकर सीमित वर्ग के लिए उपलब्ध होगी। ये शिक्षा के निजीकरण का रास्ता खोलने का कदम है। मजदूर अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दिला पाएगा। शिक्षा की संवैधानिक आधारशिला खत्म होगी। नई शिक्षा नीति गुणात्मक साबित नहीं होगी।

 विद्यार्थी परिषद ने घेरा प्रबंधकों को

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रांतीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ. पुष्पेंद्र पचौरी ने कुछ स्कूल प्रबंधकों की टिप्पणी पर उनको घेरा है। कहा है कि कुछ स्कूल प्रबंधक शिक्षा नीति के नाम पर मातृभाषा के विरोध में आ गए हैं। प्रबंधकों को लग रहा है कि अंग्रेजी की प्राथमिकता खत्म होने से उनका व्यापार बंद हो जाएगा। मातृभाषा का विरोध देश की संस्कृति व सभ्यता का विरोध है। प्रबंधक पहले शिक्षा नीति को पढ़ें फिर आकलन करें। हर देश में वहां की मातृभाषा बोली जाती है व काम उसी भाषा में होता है।


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