हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी एएमयू Aligarh news
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। एएमयू प्रवक्ता प्रो. साफे किदवई ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की जाएगी।
अलीगढ़, जेएनएन : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बृजभूषण सिंह सहित 12 प्राक्टोरियल व फैकल्टी स्टाफ के खिलाफ सीजेएम की अदालत में चल रहे आपराधिक मुकदमे को रद करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। एएमयू प्रवक्ता प्रो. साफे किदवई ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की जाएगी। यूनिवर्सिटी नियमावली के अनुसार किसी भी राजनीतिक दल के झंडे बैनर लगी गाड़ी कैंपस में प्रवेश नहीं करेगी, इसी का यूनिवर्सिटी की प्रोक्टोरियल टीम ने पालन किया था। हम हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
ये था मामला
इन पर खरौली के भाजपा विधायक की पार्टी झंडा लगी कार विश्वविद्यालय परिसर में लाने पर ड्राइवर को बंधक बनाने, झंडा उतारने को बाध्य करने व गालीगलौज करने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि गाली दी या नहीं, यह केस के विचारण के समय पेश होने वाले साक्ष्यों पर तय होगा। निचली अदालत ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं किया है। ऐसे में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायूमूूूर्ति जेजे मुनीर ने प्रोफेसर बृजभूषण सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है।
बीते वर्ष अक्टूबर की घटना
मालूम हो कि 22 अक्टूबर, 2019 को शाम चार बजे विधायक दलवीर सिंह के पोते विजय कुमार सिंह को लेने उनका ड्राइवर गुड्डू सिंह विश्वविद्यालय परिसर में कार लेकर गया। विधायक का पोता विदेशी भाषा पढ़ रहा है। कार पर बीजेपी का झंडा लगा था। विश्वविद्यालय कैंपस में किसी पार्टी का झंडा लगाकर वाहन लाने पर रोक है। इसकी वजह से याचियों ने कार रोक ली और उन्हें झंडा उतारने को विवश किया। गालीगलौज की, जिसकी एफआइआर सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई है। पुलिस ने याचियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। 23 जनवरी, 2020 को दाखिल चार्जशीट व आपराधिक मुकदमे को रद करने की मांग में यह याचिका दायर की गई थी। याचियों का कहना था कि उन्होंने गाली नहीं दी थी और झंडा लगाकर वाहन परिसर में लाने पर रोक का पालन करा रहे थे। कोई अपराध नहीं किया है, किंतु कोर्ट ने कहा कि ट्रायल के अधिकार को रोका नहीं जा सकता और याचिका खारिज कर दी है।