एएमयू कुलपति बोले, टीबी उन्मूलन के लिए रोकथाम के नए तरीके अपनाएं, विदेशों में उठाए इस तरह के कदम
मडीआर टीबी का शीघ्र पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है। मेडिसिन संकाय के डीन प्रो. राकेश भार्गव ने कहा कि टीबी के स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के बारे में जन जागरूकता और इसे रोकने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
अलीगढ़, जेएनएन। एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज के क्षय रोग तथा श्वांस रोग विभाग द्वारा विश्व क्षय रोग दिवस पर सीएमई तथा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि चूंकि टीबी को आमतौर पर तीसरी दुनिया की समस्या माना जाता है, इसलिए विकसित देशों ने इसे जड़ से खत्म करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। तपेदिक के उपचार के अन्तर्गत संक्रमण की रोकथाम के नए तरीकों को अपनाने और रोग के शीघ्र निदान और उपचार में तेजी लाने की आवश्यकता है। तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम को महामारी के कारण बदल दिया गया था, लेकिन अब इसे फिर से गति मिली है।
स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के बारे में दी जानकारी
मडीआर टीबी का शीघ्र पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है। मेडिसिन संकाय के डीन प्रो. राकेश भार्गव ने कहा कि टीबी के स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के बारे में जन जागरूकता और इसे रोकने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। एमडीआर टीबी की नई दवा के बारे में जानकारी दी। प्रिंसिपल प्रो. शाहिद अली सिद्दीकी ने कहा कि टीबी एक उपचार योग्य बीमारी है और समय पर इलाज से इसे सही किया जा सकता है। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर जुबैर अहमद ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के 26 फीसद टीबी के मामले भारत में पाए गए। आयोजन सचिव डा. इमराना मसूद, डा. उम्मुल-बनीन, डा. आरुशी, प्रोफेसर मोहम्मद शमीम, जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनुपम भास्कर, डा. नफीस अहमद खान, डा. इमराना मसूद आदि ने विचार रखे।-