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एएमयू कुलपति प्रो.तारिक मंसूर बोले, घडिय़ाली आंसू नहीं, वाकई अफसोस है Aligarh News

एएमयू में एक माह पहले हुए बवाल के बाद से बाबे सैयद पर चल रहे धरने पर गुरुवार को कुलपति प्रो. तारिक मंसूर पहली बार पहुंचे। वे कुछ कागज भी लेकर गए।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 07:48 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 07:48 AM (IST)
एएमयू कुलपति प्रो.तारिक मंसूर बोले, घडिय़ाली आंसू नहीं, वाकई अफसोस है Aligarh News
एएमयू कुलपति प्रो.तारिक मंसूर बोले, घडिय़ाली आंसू नहीं, वाकई अफसोस है Aligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]: एएमयू में एक माह पहले हुए बवाल के बाद से बाबे सैयद पर चल रहे धरने पर गुरुवार को कुलपति प्रो. तारिक मंसूर पहली बार पहुंचे। वे कुछ कागज भी लेकर गए। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ टिप्पणी को उन्होंने छात्रों को पढ़कर सुनाया। छात्र नेता फैजुल हसन व अन्य ने भी अपनी बात रखी। दोनों के बीच क्या बातचीत हुई। आप भी जानिए-

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कुलपति : पेपर पढ़ते हुए, कैंपस खुलने के बाद जनरल डायर के जनाजे की नमाज पढ़ी जाएगी। किसका फोटो है?

छात्र : बीच में रोकते हुए। पढ़ी जाएगी नहीं, पढ़ी जाए क्या? ये लिखा है।

कुलपति : इसका क्या मतलब है?

छात्र : सर, ये दो चीजों में अटक रही है। हां या न। फेसबुक पोस्ट की वजह से 32 हजार छात्रों को हम क्यों कठघरे में खड़ा कर रहे हैं?

कुलपति : देखिए, एसएसपी को मैंने सीक्रेट पत्र लिखा था। किसी को बदनाम करने के लिए नहीं। ताकि वो सचेत रहें। ये सरकारी संस्थान है। सरकार 1100 करोड़ रुपये हर साल देती है। अगर कोई हादसा हो गया तो पूछेंगे क्या हो गया? पत्र लिखकर हमने गेंद उनके पाले में डाली है। वो जिम्मेदार होंगे। अखबारों पर मत जाइए, जिसमें एसएसपी ने कहा था कि वीसी लॉज पर पुलिस पिकेट लगाई जाएगी। देखिए कहीं पिकेट है। मैं रोज अकेला कैंपस में घूमता हूं। धरने के सामने से ही चार बार जाता हूं।

छात्र : सर, फिर भी पुलिस अनधिकृत रूप से कैंपस में रह रही है। रात में ही सिपाहियों को पकड़ा है। सिक्योरिटी वाला वीसी लॉज से जुड़ा है।

कुलपति : वो मैं देख लूंगा। सिक्योरिटी वाला जो मामला है। जो हुआ उसका हमें बहुत अफसोस है। इतना अफसोस है तुम यकीन नहीं कर सकते। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा। वाकई अफसोस है। मगरमच्छ आंसू नहीं बहा रहा। मुझे अफसोस है, मेरी बीवी को अफसोस है। मेरे पूरे परिवार को अफसोस है। मुझे तो पता भी नहीं कब पुलिस मॉरिसन कोर्ट गई, कब गेस्ट हाउस गई। न किसी ने मुझे बताया।

छात्र : सर, छह घंटे तक हंगामा चला फिर नहीं पता चला। निहत्थे थे लड़के, अपने आपको बचा रहे थे। प्रशासन को पुलिस बुलाने के लिए लिखकर दिया। घायलों को लेने आए एंबुलेंस चालक व डॉक्टर तक को तो पीटा गया। आपने एफआइआर की कापी दी, उन्होंने वापस कर दिया।

कुलपति : ठीक है, हाईकोर्ट में हमारा वकील इस पर अपना पक्ष रखेगा।

छात्र : सर, जिन छात्रों के चोट लगी उन्हें हॉस्पिटल से भगाया गया। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

कुलपति : देखिए, भगाया नहीं गया? कुछ लड़कों ने अपना ट्रीटमेंट कार्ड नहीं बनवाया। हर लड़के की मैंने खुद मॉनीटङ्क्षरग की, जो लड़का सर गंगाराम गया था कि उसके लिए वहां के डायरेक्टर निमेष मेहता से बात की। दो लाख रुपये फोरन ट्रांसफर कराए। 50 हजार रुपये यहां दिए गए। अब आप कह रहे हैं कि हम पिट गए कैसे पढ़ेंगे। जेएनयू में अभी असामाजिक तत्व नहीं घुस गए। उन्होंने नहीं मारा? वो लड़के क्या बंदकर देंगे पढऩा?

सोशल मीडिया पर भ्रामक बातों पर ध्यान न दें छात्र

एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा है कि कैंपस में बेहतर माहौल व छात्रों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के प्रति कटिबद्ध हैं। किसी निर्दोष छात्र को निशाना नहीं बनाया जाएगा। छात्र शांतिपूर्वक किसी ऐसे कानून के विरुद्ध प्रदर्शन करें जिसे वह आपत्तिजनक समझते हैं तो हमें कोई आपत्ति नहीं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दल के व न्यायमूर्ति वीके गुप्ता द्वारा की जा रहीं जांच में छात्र सहयोग करें। सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक बातों पर ध्यान न दें।  पुलिस को केवल स्थिति को सामान्य बनाने व शांति व्यवस्था बनाने की अनुमति दी थी, पुलिस को किसी हॉस्टल में प्रवेश नहीं करना चाहिए था।


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