जागरण विमर्श में एएमयू के प्रोफेसर बोले: शिक्षा व सामाजिक स्तर सुधरने से दूर होगा पिछड़ापनAligarh News
अनुसूचित जाति व जनजाति के समृद्ध लोगों यानी क्रीमी लेयर के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर बहस छिड़ी हुई है।
अलीगढ़ [जेएनएन]। अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी-एसटी) के समृद्ध लोगों यानी क्रीमी लेयर के प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर बहस छिड़ी हुई है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा था कि एससी-एसटी के समृद्ध लोगों को कॉलेज में दाखिले, नौकरी व प्रोन्नति में आरक्षण का लाभ न दिया जाए। सोमवार को दैनिक जागरण की एकेडमिक मीटिंग में एएमयू के समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर मोहम्मद अकरम ने राय रखी...
विदेशों में नहीं मिलता आरक्षण का लाभ
प्रो. अकरम ने कहा कि आरक्षण से आर्थिक स्तर तो सुधर सकता है, लेकिन सांस्कृतिक व सामाजिक पिछड़ापन दूर नहीं हो सकता। शिक्षा का स्तर सुधार कर इसे दूर किया जा सकता है। सरकारी स्कूलों के जो हालात हैं, उनसे यह कैसे सुधर सकता है? कमजोर वर्ग के बच्चे इन्हीं स्कूलों से शिक्षा लेते हैं, फिर आरक्षण पाकर नौकरी पा लेते हैं। विदेशों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता, वहां योग्यता ही काम आएगी। योग्यता के आधार पर प्रोन्नति भी होनी चाहिए। क्रीमी लेयर को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा तो इसी वर्ग के बाकी लोग पीछे रह जाएंगे। समानता के आधार पर सरकार को लाभ देना चाहिए, जिससे वंचित तबका भी आगे बढ़ सके। सरकार शिक्षा का स्तर सुधार कर पिछड़ापन दूर करना चाहती थी। लेकिन 70 साल में जो परिणाम आने चाहिए थे, वह नहीं आए। न शिक्षा में समानता आई, न सामाजिक स्तर ही सुधर सका। इसका असर समाज के हर वर्ग पर पड़ा। जो पीछे था, वह पीछे ही रह गया। आरक्षण से नौकरी तो मिल जाती है, लेकिन व्यक्ति योग्यता में पिछड़ जाता है, जो उच्च स्तर पर परखी जाती है। इसलिए जरूरी है कि सरकार शिक्षा व सामाजिक स्तर सुधारने की ऐसी नीतियां तय करे, जिससे कमजोर वर्ग को हर स्तर पर लाभ मिले।
एससी-एसटी के समृद्ध लोगों को आरक्षण क्यों?
- सरकार ऐसी नीति बनाए, जिसमें सभी को लाभ मिले। सामाजिक स्तर में सुधार के सवाल पर उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कृति ही सभ्य समाज की रचना करते हैं। इन्हें सुदृढ़ करना होगा। प्राइमरी स्तर से शिक्षा में सुधार की आवश्यकता है। शिक्षित और योग्य व्यक्ति ही अच्छे समाज का निर्माण करते हैं।
देश बंटवारे के समय सब कुछ बर्बाद होने के बाद भी सिख समाज ने कभी आरक्षण नहीं मांगा?
-सब कुछ बर्बाद होने के बाद भी सिख समाज के पास सांस्कृतिक पूंजी थी, जिसके बल पर वह संभल गया।