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एएमयू के प्रोफेसर प्रो.एम वसीम राजा बोले, स्वतंत्रता संघर्ष एक दिन का संघर्ष नहीं, वर्षों का बलिदान था Aligarh News

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. एम वसीम राजा ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष कोई एक दिन का संघर्ष नहीं था बल्कि वर्षों का संघर्ष व बलिदान था। आज़ादी का महत्व सर्वाधिक है। यह सभी सुख सुविधाओं से ऊपर है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 10:22 AM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 10:22 AM (IST)
एएमयू के प्रोफेसर प्रो.एम वसीम राजा बोले, स्वतंत्रता संघर्ष एक दिन का संघर्ष नहीं, वर्षों का बलिदान था Aligarh News
स्वतंत्रता संघर्ष कोई एक दिन का संघर्ष नहीं था बल्कि वर्षों का संघर्ष व बलिदान था।

अलीगढ़़, जेएनएन। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. एम वसीम राजा ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष कोई एक दिन का संघर्ष नहीं था बल्कि वर्षों का संघर्ष व बलिदान था। आज़ादी का महत्व सर्वाधिक है। यह सभी  सुख सुविधाओं से ऊपर है। पहले हमारे देश में राष्ट्रीयता का अभाव था, इसलिए अग्रेज़ों ने “ फूट डालो व राज करो ” की नीति अपनाई तथा वर्षों तक हमारे ऊपर शासन किया। भारत अनेकता में एकता का देश हैै।

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गांधी जी ने इसी अनेकता में एकता पर बल दिया

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विधि संकाय की ओर से आज़ादी अमृत महोत्सव के तहत “भारत का स्वतंत्रता संघर्ष” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में प्रो. एम वसीम राजा ने कहा कि यहां कई भाषाऐं, संस्कृति व सभ्यता हैं। फिर भी हम एक है। प्रोफेसर राजा ने कहा कि गांधी जी ने इसी अनेकता में एकता पर बल दिया। अध्यक्षता करते हुए विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. शकील समदानी ने कहा कि आज के दिन गांधी जी द्वारा दांडी मार्च प्रारंम्भ किया गया था। इसी दिन आज़ादी के अमृत महोत्सव का प्रारम्भ करना भारत सरकार की एक अत्यंत सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम वास्तव में बहुत पहले ही शुरू हो गया था जब टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के साथ संघर्ष शुरू किया था। प्रो.  समदानी ने कहा कि 1857 से पहले हिन्दुओं और मुसलमानों में साम्प्रदायिक भेदभाव भी नहीं था और यह उस बात का प्रमाण है कि सभी भारतीयों में एक मत से 1857 में बहादुर शाह ज़फर को अपना नेता घोषित किया था। गांधी जी ने हिन्दु मुस्लिम एकता पर बहुत बल दिया और खिलाफत आंदोलन के द्वारा हिन्दु-मुस्लिम एकजुटता लाने का काम किया।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमुवि का विशेष योगदान

प्रो. समदानी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमुवि का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी आज़ादी को बचाना है और स्वतंत्रता सेनानियों के विचारों को जीवन में ढालना है। अस्सिटेंट प्रोफेसर मोहम्मद नासिर ने स्वागत भाषण में कहा कि एएमयू की गणना राष्ट्रीय महत्व के शिक्षा संस्थानों में होती है जो कि हमारे संविधान में दर्ज है। संचालन ला सोसाइटी की सचिव आयशा अल्वी ने और धन्यवाद प्रस्ताव प्रो. मोहम्मद अशरफ ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में हिबा जहीर, पूर्व सचिव अब्दुल्ला समदानी, महालका अबरार, शेल्जा सिंह, फौज़िया कैफ सिद्दीकी आदि का योगदान रहा।


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