एएमयू के चिकित्सक बोले, '2030 तक दोगुने हो जाएंगे मधुमेह रोगी'
मधुमेह रोग पूरे विश्व में तेजी से फैल रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2013 में जहां मधुमेह के 381 मिलियन रोगी थे, वहीं 2016 में बढ़कर 422 मिलियन हो गए।
अलीगढ़ (विनोद भारती)। मधुमेह रोग पूरे विश्व में तेजी से फैल रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2013 में जहां मधुमेह के 381 मिलियन रोगी थे, वहीं 2016 में बढ़कर 422 मिलियन हो गए। यह जानकारी तिब्बिया कॉलेज हॉस्पिटल के जगहत विभागाध्यक्ष व उप चिकित्सा अधीक्षक प्रो. तफसीर अली ने दी। प्रो. तफसीर ने कहा कि मधुमेह अन्य रोगों का भी कारण बनता है। विश्व में 2012 में इससे 1.5 मिलियन रोगियों की मृत्यु हुई।
रोकी जा सकती है मृत्यु दर
डॉ. राहिदा हिलाल (जराहत विभाग) ने कहा कि भारत में 62 मिलियन लोग मधुमेह से पीडि़त हैं। 85-90 फीसद मरीज टाइप-2 के हैं, जिन्हें रोका जा सकता है, मगर जागरूकता के अभाव में यह संभव नहीं हो पाया है। डॉ. आजम ने बताया कि विश्व मधुमेह दिवस पर जराहत (सर्जरी) विभाग एवं अजमल खान तिब्बिया कॉलेज हॉस्पिटल के संयुक्त प्रयास से चिकित्सा शिविर लगाया था। इसमें मधुमेह समेत अन्य बीमारियों की जांच व परामर्श मुफ्त दिया गया था। एलोपैथिक व यूनानी चिकित्सक अपनी सेवाएं देंगे। पंजीकरण उसी दिन सुबह 8 से 11 बजे तक किया गया था।
मधुमेह का शरीर पर पड़ता है बुरा असर
डायबिटीज मेलिटस बेहद गंभीर मैटाबोलिक विकार है, जिसके चलते शरीर में शुगर यानी काबोर्हाइड्रेट का अपघटन सामान्य रूप से नहीं होता. इसका बुरा असर दिल, नसों, किडनी और न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर पड़ सकता है। अगर डायबिटीज लंबे समय से है तो मरीज की आंखों पर इसका असर हो सकता है और उसके देखने की क्षमता भी जा सकती है। डायबिटीज या मधुमेह दो तरह का होता है। एक टाईप 1 और दूसरा टाईप 2. दोनों तरह का मधुमेह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बच्चों में टाईप 1 मधुमेह की संभावना ज्यादा रहती है।
बच्चों में मधुमेह की समस्या के लक्षण
बच्चों को आमतौर पर थकान, सिर में दर्द, ज्यादा प्यास लगने, ज्यादा भूख लगने, व्यवहार में बदलाव, पेट में दर्द, बेवजह वजन कम होने, खासतौर पर रात के समय बार-बार पेशाब आने, यौन अंगों के आस-पास खुजली होने पर उनमें मधुमेह के लक्षणों को पहचाना जा सकता है। बच्चों में टाईप 1 डायबिटीज के लक्षण कुछ ही सप्ताहों में तेजी से बढ़ जाते हैं। टाईप 2 मधुमेह के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कई मामलों में महीनों या सालों तक इनका निदान नहीं हो पाता।