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अमृत महोत्‍सव : गौरवशाली इतिहास से जुड़ें सब,ये है खासियत

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर प्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में अमृत महोत्सव का आयोजन कर रही है। मेला हो बाजार हो या फिर कोई उत्सव हर तरफ अमृत महोत्सव की झलक और झांकी दिखाई दी जाएगी।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 02:33 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 02:33 PM (IST)
अमृत महोत्‍सव : गौरवशाली इतिहास से जुड़ें सब,ये है खासियत
आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर प्रदेश में अमृत महोत्सव का आयोजन हो रहा है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर प्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में अमृत महोत्सव का आयोजन कर रही है। मेला हो बाजार हो या फिर कोई उत्सव हर तरफ अमृत महोत्सव की झलक और झांकी दिखाई दी जाएगी। पूरे प्रदेश में देश के लिए मर मिटने वाले बहादुर जवानों की दास्तां समाज के सामने लाने की तैयारी की जा रही है। जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों में यह बताया जा रहा है कि देश के इन सपूतों को याद कीजिए जिन्होंने आजादी में तो अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया मगर वह इतिहास के पन्ने पर किसी तरह से अपना नाम अंकित नहीं करा पाए। सच्चे और बहादुर वीर यही हैं, जो गुमनाम हैं मगर देश को आजाद कराने के लिए उन्होंने वीरता और साहस का परिचय दिया। ऐसे वीर सपूतों की कहानियों को गांव में और कस्बों और शहरों में पता किया जा रहा है बुजुर्ग नेता गांव के लोगों से भी ऐसे वीर सपूतों की जानकारी की जा रही है।

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सरकार ने उठाया ऐतिहासिक कदम 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह विभाग संघचालक ललित कुमार का कहना है कि आजादी की लड़ाई में बहुत सारे सपूतों को हम भी नहीं जानते लेकिन सरकार ने जो कदम उठाया है वह सराहनीय है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। हमसे नई पीढ़ी को वीर सपूतों के बारे में बताया जा रहा है। बताया कि अलीगढ़ में भी तमाम ऐसे स्थान और स्थल हैं जो आजादी की याद दिलाते हैं। तमाम ऐसे किले हैं जिन किलो की दीवारों को कभी दुश्मन तोड़ नहीं पाएं। यह जानकारी भी लोगों तक नहीं पहुंची है उसे हम बताने का काम करेंगे। अलीगढ़ में सर्राफा बाजार में फांसी का कुआं है जहां यह बताया जाता है कि अंग्रेज जरा जरा सी बात पर फांसी के फंदे पर लटका दिया करते थे। ऐसे स्थानों पर जाकर वहां के बुजुर्गों से बात की जाएगी और उस पुराने इतिहास के बारे में जानकारी की जाएगी।

इंटरनेट मीडिया का सहारा

ललित ने बताया कि आजादी के समय तमाम लोग जिन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगा दी उन्हें आसपास की बुजुर्ग महिलाएं जानती हैं उन्होंने कहीं ना कहीं ऐसे वीरों की कहानियां सुन रखी हैं मगर उनसे कभी जानकारी नहीं की गई इसलिए यह कहानियां बाहर निकल कर नहीं आ पाए जिससे समाज को भी पता नहीं चल पाई है अब संघ के स्वयंसेवक ऐसे लोगों की कहानियों को लेकर सामने आ रहे हैं लोगों को बताने का काम कर रहे हैं। आजादी के 75 साल बाद ऐसा अवसर आया है जहां हर कोई वीर सपूतों के बारे में जानकारी करने को उत्सुक है इसके लिए हम इंटरनेट मीडिया का भी सहारा ले रहे हैं।


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