मुकदमे से अनजान अलीगढ़ पुलिस, ये कैसी थानेदारी, जानिए आप भी
विधायक-एसओ के बीच मारपीट के छह माह बाद गौंडा थाना फिर चर्चा में है। बिना अनुमति के सभा हो रही थी तो मुकदमा लिखना लाजिमी था। गलती आयोजक की थी। लेकिन राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता को नामजद करके चूक हुई।
अलीगढ़़, सुमित शर्मा। विधायक-एसओ के बीच मारपीट के छह माह बाद गौंडा थाना फिर चर्चा में है। बिना अनुमति के सभा हो रही थी तो मुकदमा लिखना लाजिमी था। गलती आयोजक की थी। लेकिन, राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता को नामजद करके चूक हुई। ये प्रकरण वैसा ही है, जैसा सासनीगेट थाने में बिना कंटेट देखे एक अफसर पर मुकदमा लिख दिया गया था। हैरानी इस बात की ज्यादा है कि मुकदमे की जानकारी खुद थाना प्रभारी को भी नहीं थी। देररात चारों तरफ से फोन आए तो यही जवाब देते रहे कि मेरी जानकारी के बिना मुकदमा कैसे हो जाएगा। लेकिन, कुछ ही मिनटों में मुकदमे की पुष्टि हुई तो गलत साबित हो गए। ये कैसी थानेदारी? खैर, अंदर की बात है कि पुलिस भी मान रही है कि कार्रवाई आयोजक पर होनी चाहिए थी। नेता का नाम नहीं आना चाहिए था। ऐसे में इसके समाधान की भी कवायद चल रही है।
हो रहीं लूट दर लूट
कोराना काल से उबरने के बाद पुलिस ने झपटमारी व लूट करने वाले बदमाशों पर शिकंजा कस दिया था। लेकिन, अब फिर से लुटेरों का गैंग सक्रिय हो गया है। मोबाइल व पर्स की लूट होना छोटी घटना हो सकती है, पर इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं। इस सप्ताह में बाइक सवार बदमाशों ने तीन जगह लूट-दर-लूट की हैं। पहले दो छात्राओं को निशाना बनाया। फिर एक दवा कारोबारी के साथ घटना की। तरीका समान ही था। थाना पुलिस तो जांच करेगी सो करेगी। यहां एसओजी व अंदर तक काम करने टीमों को सक्रिय होना पड़ेगा। ऐसी घटनाओं में अधिकतर पुराना गिरोह ही सक्रिय हो जाता है। तलाशना होगा कि कहीं कोई नया गैंग तो नहीं आ गया। इन दिनों नुमाइश में लोगों का देररात तक आना जाना लगा हुआ है तो पुलिस को भी सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लेनी होगी। प्रमुख प्वाइंट पर निगरानी कड़ी करनी होगी।
इगलास में कहीं कुछ गलत तो नहीं हुआ?
चार दिन पहले इगलास के एक गांव में दो युवतियों को मारकर जलाने की खबर फैली। पुलिस ने जांच की। बताया कि दोनों की बीमारी से मौत हुई? थी। इसलिए खेत में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन, गांव में तमाम तरह की चर्चाएं हैं। कहीं युवतियों के साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ? एक सज्जन कहने लगे कि घर के लोगों ने ही दोनों को मार दिया। चूंकि कोई ऐसी बात थी, जिससे बदनामी हो सकती थी। सबसे बड़ा सवाल है कि दोनों युवतियों की मौत एक साथ, एक ही समय पर कैसे हुई? गुपचुप तरीके से संस्कार करना कितना उचित था? खैर, ये भी हो सकता है कि स्वजन सच बोल रहे हों और ग्रामीणों ने ही कोई कहानी बना दी हो। जो भी हो, इन चर्चाओं पर विराम लगना जरूरी है। पुलिस को स्वजन के कथन पर भरोसा करने के साथ गंभीरता से जांच करनी होगी।
बुलंदशहर जेल भेजने तक की दिलचस्प कहानी
गैंगस्टर में जेल भेजे गए नेता को पकडऩे से लेकर बुलंदशहर जेल भेजने की कहानी दिलचस्प है। पुलिस ने उसे सलाखों में भेजने की ठान ली थी। तभी तो एक दिन पहले गैंगस्टर लगाया और जेल भेज दिया। लेकिन, कोर्ट ने सुरक्षा की जिम्मेदारी भी पुलिस को ही सौंप दी, जहां लापरवाही सामने आ गई। मुकदमे में वारंट बनवाने के लिए नेता को जब अस्थाई जेल से मुख्य जेल लाया गया तो पुलिस गायब थी। इंतजार के बाद नेता को अस्थाई जेल लौटाने की तैयारी हो गईं। पुलिस ने कोर्ट में ही पेशी करवाकर मामले को साध लिया। उसी रात कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने पर नेता को मुख्य जेल में दाखिल किया। लेकिन, तड़के चार बजे बुलंदशहर जेल भेज दिया। कारण प्रशासनिक बताया गया। लेकिन, नेता के दोनों बेटों का इसी जेल में होना भी एक वजह हैं। तीनों के साथ होने से कुछ गड़बड़ी की आशंका हो सकती थी।