Aligarh Panchayat Chunav Results 2021: बागियों ने भाजपा की हिला दी नींव, छह ने ऐसे जीता चुनाव जानिए विस्तार से
जिस तरह से भाजपा ने करीब एक साल से जिला पंचायत के लिए जमीन तैयार की थी उससे पार्टी की स्थिति मजबूत दिख रही थी मगर पार्टी से नाराज होकर बागी बने कार्यकर्ताओं ने ही भाजपा की मजबूत नींव को हिलाकर रख दिया।
अलीगढ़, जेएनएन। जिस तरह से भाजपा ने करीब एक साल से जिला पंचायत के लिए जमीन तैयार की थी, उससे पार्टी की स्थिति मजबूत दिख रही थी, मगर पार्टी से नाराज होकर बागी बने कार्यकर्ताओं ने ही भाजपा की मजबूत नींव को हिलाकर रख दिया। टिकट न मिलने से नाराज 22 कार्यकर्ताओं ने बगावत कर दी। उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतरने का निर्णय ले लिया। हालांकि, उससे पहले ही भाजपा ने सख्त कार्रवाई कर दी। पार्टी ने 16 बागियों को छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। साथ ही अन्य को चेतावनी दे दी कि पार्टी के साथ दगा करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा, मगर बागी पार्टी की सख्त कार्रवाई से तनिक भी विचलित नहीं हुए। वार्ड नंबर आठ से तो डा. पुष्पेंद्र लोधी और गौंडा से मदन शर्मा ने पहले ही इस्तीफा दे दिया और चुनाव मैदान में उतर आए थे। पार्टी ने इन बागियों को काफी मानने की कोशिश की मगर ये नहीं माने। इनकी ताकत इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 16 बागी में से छह बागी चुनाव जीत गए। भाजपा से बगावत करके निर्दलीय जीत हासिल करने वालों में अतरौली वार्ड आठ से पुष्पेंद्र ङ्क्षसह, वार्ड नौ से लाल सिंह, वार्ड 10 से प्रेमपाल सिंह, वार्ड 15 से ङ्क्षरकी चौधरी, वार्ड 21 से ङ्क्षपकी देवी, वार्ड 32 से मीना देवी हैं। यदि इन्होंने भाजपा से बगावत करके चुनाव नहीं लड़ा होता तो भाजपा 15 से भी अधिक सीटें जीतती।
बसपा का थाम लिया दामन
सोमना के संजय सिंह ने भाजपा से आवेदन किया था, मगर टिकट न मिलने से उन्होंने भाजपा दामन छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। वार्ड नंबर 13 से चुनाव मैदान में पत्नी को उतार दिया और जीत हासिल की। ङ्क्षपटू सूर्यवंशी ने भी बसपा का दामन थाम लिया था। वो भी भाजपा से टिकट मांग रहे थे। इसके बाद वार्ड नंबर नौ से बसपा से ङ्क्षपटू मैदान में आ गए। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा, मगर उनके चलते भाजपा प्रत्याशी भी हार गए। यहां से निर्दनीय प्रत्याशी लाल सिंह ने जीत हासिल की है। इससे भी भाजपा को दो सीटों का नुकसान होगा।
भाजपा कार्यकर्ताओं की रणनीति हुई फेल
भाजपा की हार का एक कारण कार्यकर्ताओं को अधिक टिकट दिया जाना भी बताया जाता है। चर्चा है कि पार्टी के कद्दावर नेताओं को तरजीह नहीं दी गई। पार्टी ने साफ कह दिया था कि किसी भी जनप्रतिनिधि के परिवार से टिकट नहीं दिया जाएगा। कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाएगा। इससे चर्चा है कि पार्टी के बड़े नेताओं ने अधिक जोर नहीं लगाया, जिसके चलते पार्टी दहाई का भी आंकड़ा नहीं पार कर पाई।