Aligarh Panchayat Chunav Result 2021: बसपा को अपना तिलस्म बचाने की होगी चुनौती
बसपा की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। जिला पंचायत सदस्य के लिए इस पार्टी ने 44 समर्थित प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतारा है। पिछले लगातार तीन बार से जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यह किंग मेकर की भूमिका में रही है।
अलीगढ़, जेएनएन। पंचायत चुनाव में इस बार बसपा की प्रतिष्ठा दांव पर होगी। जिला पंचायत सदस्य के लिए इस पार्टी ने 44 समर्थित प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतारा है। पिछले लगातार तीन बार से जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यह किंग मेकर की भूमिका में रही है। तीनों बार अध्यक्ष इस पार्टी के समर्थन से ही बने हैं। इस बार बसपा को अपना सियासी तिल्सम बचाने के लिए बड़ी चुनौती का समाना करना पड़ेगा।
यह है रणनीति
वर्ष 2005 में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ था। मुलायम सरकार में हुए इस चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष की यह सटी एससी महिला के लिए आरक्षित हुई थी। उस समय बाहुबली व उस समय के निर्वतमान जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू ने इस चुनाव में अपनी निकटस्थ घरेलू काम काज करने वाली विश्वसनीय महिला को चुनावी समर में उतारा था। उस समय तेजवीर गुड्डू के विरोध में सभी सियासी दल एक जुट हुए। इन सभी दलों ने पूर्व विधायक रामसखी कठेरिया को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में सफलता हांसिल कर ली। इस चुनाव की रंजिश में तत्कालीन रालोद जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक चौ. मलखान सिंह की मय गनर के गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसका आरोप भी तेजवीर गुड्ड व अन्य स्वजनों पर लगा था। अध्यक्ष बनाने में उस दौर के बसपा के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री ठा. जयवीर सिंह की अहम भूमिका थी। यह वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हो गए हैं।
इसके बाद मायावती शासनकाल में चुनाव हुए। बसपा के सुधीर चौधरी अध्यक्ष निर्वाचित हुए। आमने सामने की टक्कर में सुधरी चौधरी के विरोधी चौधरी कल्याण सिंह को मात्र दो अपने ही वोट मिले थे। यह एक तरफा जीत थी।
उपेंद्र सिंह नीटू को चुनावी समर में उतारा
इसके बाद अखिलेश शासनकाल में चुनाव हुए। इस बार ठा. जयवीर सिंह ने अपने भतीजे उपेंद्र सिंह नीटू को चुनावी समर में उतारा था। तत्कालीन सपा विधायक राकेश सिंह की पत्नी बुरी तरह से इस चुनाव को हारीं।
इस बार बसपा अपने बूते पर चुनावी समर में उतरी है। 47 में से 44 वार्ड पर पार्टी ने अपने समर्थित प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें पूर्व जिलाध्यक्ष गजराज सिंह विमल की पन्ती , भाजपा छोड़कर वापस आए संजय प्रधान सहित कई मजबूत प्रत्याशी भाजपा व रालोद को टक्कर दे रहे हैं।