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Aligarh Panchayat Chunav 2021: तीसरे मोर्च की तैयारी, देखना है कौन पड़ेगा भारी

। जिला पंचायत का चुनाव इस बार काफी रोचक हो गया है। भाजपा सपा बसपा कांग्रेस सभी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। सभी दल कह रहे हैं कि अध्यक्ष पद उनकी ही पार्टी से होगा मगर जिले में तीसरे मोर्च की सुगबुगाहट तेजी होने लगी है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 03:06 PM (IST)
Aligarh Panchayat Chunav 2021:  तीसरे मोर्च की तैयारी, देखना है कौन पड़ेगा भारी
। जिला पंचायत का चुनाव इस बार काफी रोचक हो गया है।

अलीगढ़, जेएनएन। जिला पंचायत का चुनाव इस बार काफी रोचक हो गया है। भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस सभी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। सभी दल कह  रहे हैं कि अध्यक्ष पद उनकी ही पार्टी से होगा, मगर जिले में तीसरे मोर्च की सुगबुगाहट तेजी होने लगी है। यदि भाजपा के अधिक प्रत्याशी नहीं जीतते हैं तो फिर तीसरे मोर्चे की अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अधिक होगी। 

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अध्यक्ष पद की कुर्सी की लड़ाई 

 त्रिस्तीय पंचायत चुनाव के मतदान के बाद से ही जिले में अध्यक्ष पद को लेकर सियायत तेज हो गई। भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद के नेता सक्रिय हो गया। सभी दलों के अध्यक्षों का दावा है कि अध्यक्ष उनके दल से होगा या फिर अध्यक्ष बनवाने में उनके दल की अहम भूमिका होगी। वहीं, भाजपा दम ठोककर कह रही है कि अध्यक्ष भाजपा से ही होगा। ऐसे में अध्यक्ष पद की कुर्सी की लड़ाई काफी रोचक होने वाली है। यदि दावे से इतर जमीनी हकीकत देखी जाए तो तस्वीर कुछ और दिखाई देती है। पंचायत चुनाव से पहले जिस प्रकार से कृषि कानून के विरोध में किसानों ने हुंकार भरी थी, उससे भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं। क्योंकि खैर, इगलास और अतरौली तहसील क्षेत्रों से बड़ी संख्या में किसानों ने आंदोलन में भाग लिया था। इससे किसान भाजपा से नाराज चल रहे थे। उसके बाद कोरोना के कहर ने भी दिक्कत पैदा कर दी। जिस प्र्रकार से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई है, उससे लोगों में गुस्सा भी है।

प्रत्याशियों को मैदान में  उतारा

 यदि यही नाराजगी पंचायत चुनाव में दिख गई होगी तो भाजपा के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी। हालांकि, भाजपा के जिलाध्यक्ष चौधरी ऋषिपाल सिंह का दावा है कि 30 से अधिक सीटें भाजपा को मिलेंगी। यदि इन मुद्​दों के चलते भाजपा तनिक भी कमजोर पड़ती है तो तीसरे मोर्च की संभावना प्रबल हो जाएगी। तीसरे मोर्च में निर्दलीयों की बड़ी भूमिका होगी। यदि 10 से अधिक सीटें निर्दलयों की निकल जाती है तो वो तीसरे मोर्च का गठन करके अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने के लिए दावेदार खड़ा कर देंगे। साथ ही वह रालोद, कांग्रेस से भी मदद ले सकते हैं। बसपा की इसमें बड़ी भूमिका हो सकती है। क्योेंकि बसपा ने 44 प्रत्याशियों को उतारा है। भाजपा के बाद सबसे अधिक प्रत्याशियों को मैदान में बसपा ने ही उतारा है। 

यह है रणनीति 

भाजपा के नाम पर सभी दल एकत्र नहीं होंगे। मगर, भाजपा के खिलाफ सभी दल जरूर एकत्र हो जांएगे। सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद की कोशिश होगी कि भाजपा का अध्यक्ष न हो। इसके लिाए वह तीसरे मोर्च को समर्थन देने के लिए भी तैयार हो जाएंगे। वो यह किसी भी सूरत में नहीं चाहेंगे कि भाजपा का अध्यक्ष बने। ऐसे समय में भाजपा के लिए चुनौती बढ़ सकती है। हालांकेि, जिस प्रकार से भाजपा पिछले चुनावों में जीत हासिल करती चली आ रही है, उससे संभावना है कि अध्यक्ष भाजपा से होगा।


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