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अलीगढ़ नगर निगम न लगाया संपत्ति कर, इसमें अभी बढ़ेगा सहूलियतों का भार

संपत्ति कर में यूजर चार्ज शामिल होने से हल्ला हो रहा है अभी तो और भार पडऩे वाला है। ये भार है सेप्टेज प्रबंधन नीति के तहत मिलने वाली सुविधाओं का है। इसके एवज में भी एकमुश्त राशि वसूली जाएगी।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:17 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:17 PM (IST)
अलीगढ़ नगर निगम न लगाया संपत्ति कर, इसमें अभी बढ़ेगा सहूलियतों का भार
अलीगढ़ नगर निगम नए कर बढ़ा रहा है, जिसको लेकर हल्ला मचा हुआ है

जेएनएन, अलीगढ़।  संपत्ति कर में यूजर चार्ज शामिल होने से हो-हल्ला हो रहा है, अभी तो और भार पडऩे वाला है। ये भार है सेप्टेज प्रबंधन नीति के तहत मिलने वाली सुविधाओं का है। इसके एवज में भी एकमुश्त राशि वसूली जाएगी। अभी स्पष्ट नहीं है कि नगर निगम इस मद में शुल्क किस तरह वसूलेगा। संभावना है कि संपत्ति कर में इसे शामिल किया जा सकता है। फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट भी तैयार हो रहा है, जिसके जरिए सेप्टिक टैंक से निकला मल शोधित हो सकेगा।

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यह है व्यवस्था 

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के एवज में एटूजेड कंपनी जो यूजर चार्ज प्रतिमाह वसूलती थी, वह अब संपत्ति कर में शामिल कर दिया गया है। सालाना एकमुश्त यूजर चार्ज देना ही होगा, चाहे घर से कूड़ा उठे या न उठे। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर 3000 रुपये तक यूजर चार्ज लगाया है। धार्मिक स्थलों को भी नहीं छोड़ा। इसको लेकर समाज का हर तबका विरोध कर रहा है। निगम की बोर्ड मीङ्क्षटग इसी के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गई। निष्कर्ष कुछ नहीं निकला। मेयर मोहम्मद फुरकान ने संपत्ति कर से यूजर चार्ज हटाने का प्रस्ताव पारित कर दिया, मगर निगम अधिकारी नहीं माने। स्पष्ट तो नहीं, लेकिन घुमा फिराकर कह दिया कि नियमानुसार कार्रवाई होगी। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अब सेप्टेज प्रबंधन नीति के तहत नया टैक्स लगाने की योजना तैयार हो रही है। इसके लिए जरूरी संसाधन जुटाए जा रहे हैं।

इनको  मिलेगा लाभ 

इस नीति का लाभ उन लोगों को मिलेगा, जिनके घर सीवर नेटवर्क में नहीं हैं। सेप्टिक टैंक के जरिये ही उनके यहां जल-मल का प्रबंधन हो रहा है। सेप्टिक टैंक की सफाई सामान्यत: उसके भर जाने पर होती है। इस नीति के तहत हर पांच वर्ष में इसकी निश्चित रूप से सफाई होगी। इसका उद्देश्य वर्ष 2023 तक शहरी क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता में सुधार और जन स्वास्थ्य को सुरक्षित करना है। प्रति परिवार को प्रति वर्ष 500 रुपये या पांच साल में 2500 रुपये देना पड़ सकता है।

नालों में बहा देते मल  

प्राइवेट सफाई कर्मचारियों द्वारा सेप्टिक टैंक खाली कर मल नाले, तालाब, खेत में डाल दिया जाता है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नई नीति से पर्यावरण दूषित होने से बचेगा। जमालपुर में निगम की दो हजार वर्गगज भूमि पर फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। इस प्लांट के जरिए घरों से निकला मल सीधे शोधित होगा। निगम के वाहन सेप्टिक टैंक खाली कर यहां मल का निस्तारण कराएंगे।


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