अलीगढ़ के इस बाजार में विकास से ज्यादा परंपराएं हैं जिंदाबाद Aligarh news
शहर के अति व्यस्ततम बाजारों में शुमार जयगंज को विकास के इस दौर ने भले ही बदल दिया हो मगर इस बाजार ने अपनी पहचान नहीं खोयी। कभी अनाज की मंडी से चर्चित रहे इस बाजार में अब भी अनाज की मंडी सजती है।
लोकेश शर्मा, अलीगढ़ : शहर के अति व्यस्ततम बाजारों में शुमार जयगंज को विकास के इस दौर ने भले ही बदल दिया हो, मगर इस बाजार ने अपनी पहचान नहीं खोयी। कभी अनाज की मंडी से चर्चित रहे इस बाजार में अब भी अनाज की मंडी सजती है। दुकानें जरूर कम हो गईं, लेकिन मंडी बंद नहीं हुई। दूर-दराज से किसान यहां अपना अनाज बेचने आते थे। तब आसपास कोई और मंडी भी नहीं थी। वर्तमान में जयगंज पूरी तरह से बदल चुका है। ऐसा कोई सामान नहीं है, जो यहां न मिलता हो। वो भी किफायती दामों में। सैंकड़ों ग्राहक प्रतिदिन कुछ न कुछ खरीदने जरूर आते हैं। छोटे से बड़ा हर सामान यहां उपलब्ध है।
सारे घरेलू सामान उपलब्ध है यहां
किसी व्यक्ति को सब्जी से लेकर सोना-चांदी तक कुछ भी खरीदना हो तो जयगंज में प्रवेश कर जाए। एक ही मार्ग पर सब उपलब्ध है। सासनीगेट चौराहे से यह बाजार शुरू हो जाता है। शुरुआत में सब्जियाें की मंडी दिखाई देगी, इसके बाद जूते-चप्पल और बर्तन की दुकानें हैं। रेडिमेड कपड़े लेने हों, या अन्य कपड़ें, सब यहां उपलब्ध हैं। अब तो शोरुम भी बन गए हैं। इलेक्ट्रोनिक सामान भी उपलब्ध हैं। दीपावली के दीये हों या मिट्टी के बर्तन, सब यहीं बनते हैं। रास्ते में मिल जाएंगे। पीतल की मूर्तियां भी यहां बनाई जाती हैं। मूर्तियों के शोरूम भी हैं यहां। दूध, दही के पुराने कारोबारी अब भी यहीं दुकानें जमाए हुए हैं। इसी मार्ग के दूसरे छोर पर सर्राफा बाजार है। यहां से फूल चौक होते हुए रेलवे रोड बाजार के लिए रास्ता निकल रहा है। बाजार के मध्य में अनाज मंडी है, जिससे कभी इस बाजार की पहचान हुआ करती थी। ये मंडी अंग्रेजी हुकूमत के समय की है। उसी दौर की सब्जी मंडी भी यहीं है।
कभी कहते थे रानी का दगड़ा
जयगंज के पुराने निवासी वयोवृद्ध छोटेलाल यादव बताते हैं कि जयगंज को कभी रानी का दगड़ा भी कहते थे। 1950 के दशक में यहां चार-पांच फुट गहरा कच्चा मार्ग था। आज जहां स्कूल नंबर 35 है, वहां कभी अंसारियाें का कब्रिस्तान हुआ करता था। इसके बाद सासनीगेट चौराहे तक काेई भवन नहीं था, सिर्फ खाली मैदान था। तब कब्रिस्तान के पास पुलिस चौकी हुआ करती थी। वे बताते हैं कि शहर की एक मात्र अनाज मंडी जयगंज में थी, तब धनीपुर मंडी नहीं थी। आसपास के शहरों के किसान भी यहीं अनाज बेचने आते थे। तब 30 से अधिक दुकानें थीं, जो अब 10-12 रह गई हैं। पास ही सब्जी मंडी थी। आज भी अनाज मंडी के पास ही सब्जियां बिकती हैं। समय बदला तो अनाज और सब्जी से जुड़े व्यापारियों ने काम-धंधे भी बदल लिए। कुछ हैं, जो पुश्तैनी काम संभाले हुए हैं। 1965 में पुलिस चौकी के स्थान पर स्कूल नंबर 35 की स्थापना हुई थी। जहां आज थाना है, वहां चौकी शिफ्ट कर दी गई। जब थाना बना तो चौकी डाकखाने के सामने बना दी गई। अब तो काफी विकास हो गया है।
इनका कहना है
जयगंज शहर का काफी पुराना बाजार है। पहले तो अनाज, सब्जी और मिट्टी बर्तन ही यहां मिलते थे। लेकिन, अब हर सामान यहां उपलब्ध है। शोरूम तक बन चुके हैं। ग्राहकों की भीड़ के चलते जाम की समस्या रहती है।
- गवर्नर सिंह लोधी, सराय गढ़ी
हमारा बचपन, जवानी जयगंज में ही बीती, और अब बुढ़ापा यहीं कट रहा है। बच्चों ने दूसरी जगहों पर अपने-अपने मकान बना लिए, लेकिन जयगंज को छोड़कर जाने का हमारा मन नहीं किया। शहर में पहले गिने चुने ही बाजार थे। इनमें जयगंज प्रमुख था। यहीं होकर अन्य बाजारों में पहुंचा जा सकता है। फूल चौक, रेलवे रोड, महावीरगंज, बारहद्वारी के अलावा कहीं भी जाना हो तो यहां से होकर निकल सकते हैं। अब तो काफी विकास हो चुका है।
- छोटेलाल यादव, जयगंज