अलीगढ़ नुमाइश हुई गुलजार, कई सालों बाद दिख रही है रौनक
देशभर में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल अलीगढ़ की नुमाइश इस बार शुरुआत से ही गुलजार हो गई है। दिन के साथ ही यहां देर रात तक रौनक रहती है। शहर के साथ ही देहात के तक लोग परिवार समेत यहां मनोरंजन के लिए आ रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। देशभर में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल अलीगढ़ की नुमाइश इस बार शुरुआत से ही गुलजार हो गई है। दिन के साथ ही यहां देर रात तक रौनक रहती है। शहर के साथ ही देहात के तक लोग परिवार समेत यहां मनोरंजन के लिए आ रहे हैं। कई सालों बाद ऐसा मौका है, जब नुमाइश में इतनी भीड़-भाड़ दिखाई दे रही है। इससे दुकानदारों के साथ ही झूले व सर्कस वालों के भी चेहरे चमक रहे हैं। हालांकि, पिछले बार सीएए-एनआरसी के विरोध व धरना प्रदर्शन के चलते नुमाइश में कम ही भीड़-भाड़ रही थी।
नुमाइश का इतिहास स्वर्णिम
अलीगढ़ की नुमाइश का इतिहास स्वर्णिम है। यहां के दरबार हाल में 1880 में नुमाइश अलीगढ़ डिस्ट्रिक्ट फेयर के नाम से शुरू हुई थी। शुरुआत में सिर्फ घोड़ों की प्रदर्शनी लगती थी। आजादी के बाद नुमाइश का रूप भव्य होता गया। तमाम नए अध्याय जुड़ते गए। हर साल नए अंदाज के साथ नुमाइश लोगों को आनंदित करती रही, लेकिन पिछले कुछ सालों से नुमाइश में वह रौनक नजर नहीं आती थी, जिसके लिए इसकी पहचान थी। काफी कम संख्या में ही लोग यहां परिवार समेत जश्न मनाने आते थे।
सीएए-एनआरसी से फीकी रही चमक
पिछले बार जनवरी-फरवरी में नुमाइश के दौरान सीएए-एनआरसी को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। अलीगढ़ में भी लोग धरना प्रदर्शन में शामिल हो रहे थे। ऐसे में पूरे सीजन में नुमाइश की चमक फीकी रही। बीच में तो रौनक सी गायब हो गई। शुरुआत में तो दुकानदारों को भी ऐसा लग रहा था कि इस बार पैसा भी नहीं निकलेगा। हालांकि बाद में सब कुछ ठीक ठाक रहा।
शुरुआत से ही गुलजार
अब पांच फरवरी से नुमाइश का शुभारंभ हो गया है, लेकिन पहली बार शुरुआत से ही नुमाइश गुलजार हो गई है। रात के साथ ही इस बार दिन में भीड़-भाड़ है। इससे चलते दुकानदारों के चेहरे खिल हुए हैं। कुछ लोग इस भीड़ को कोरोना से भी जोड़ कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना के चलते अधिकांश लोगों को पूरा साल घर में बीता है। इसके चलते लोग बाहर घूमने भी नहीं जा सके। इसी कारण लोग अपने यह समय बिताने के लिए मनोरंजन के तौर पर नुमाइश आ रहे हैं।