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गांधी आई हास्पिटल अलीगढ़: 100 रुपये में आंखों का हर तरह इलाज, श्रीदेवी, पृथ्‍वीराज कपूर ने भी दिखाईं थीं आंखें

उत्‍तर प्रदेश ही नहीं बल्‍कि देशभर में अलीगढ़ के गांधी नेत्र चिकित्‍सालय की अलग पहचान है। यहां अभिनेत्री श्रीदेवी व पृथ्‍वी राजकपूर व पूर्व राष्‍ट्रपति राजेंद्र प्रसाद आदि नामचीत तक आ चुके हैं। आधुनिक दौर में आज भी पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मरीजों का विश्वास अटूट है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 06:41 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 06:41 AM (IST)
गांधी आई हास्पिटल अलीगढ़: 100 रुपये में आंखों का हर तरह इलाज, श्रीदेवी, पृथ्‍वीराज कपूर ने भी दिखाईं थीं आंखें
अलीगढ़ में रामघाट रोड पर मौजूद है गांधी आई हास्पिटल। यहां नामचीनों ने कराया इलाज।

अलीगढ़, संतोष शर्मा। आंखों में जरा सी दिक्कत होने पर गांधी आई हास्पिटल की याद जरूर आती है। इसके प्रति अलीगढ़ ही नहीं, पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मरीजों का विश्वास अटूट है। इसी के दम पर 94 साल पहले क्लीनिक के रूप में सफर शुरू वाला हास्पिटल अब नेत्र रोगों के इलाज का दरख्त बन गया है। राजस्थान, दिल्ली के मरीज भी इलाज को आते हैं। सस्ते और अच्छे इलाज की पहचान बने इस हास्पिटल की नींव डा. मोहनलाल अग्रवाल ने रखी थी। जिन्हें भारत सरकार से पदमश्री से सम्मानित किया था। फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी के भी यहां इलाज कराने बात कही जाती है, हालांकि अस्पताल के पास इसका कोई रिकार्ड नहीं है।

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ऐसे बना क्‍लीनिक से हास्‍पीटल

ऑस्ट्रिया से पढ़ाई करने वाले डा. मोहनलाल अग्रवाल ने 1928 में रसलगंज में मोहन आई क्लीनिक खोली थी। इसके बाद इसे छतारी कंपाउंड में बड़े स्तर पर खोला गया। अलीगढ़ में उस समय नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में यह बड़ा अस्पताल होता था। मरीजों को अच्छा इलाज मिला तो अस्पताल की पहचान बनती गई। इसे देखते हुए डा. मोहनलाल अग्रवाल ने 1943 में ट्रस्ट बनाने पर काम शुरू किया। 24 जनवरी 1951 में ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन हुआ। इसके बाद डा. मोहनलाल ने 1936 में शहर में बड़ा अस्पताल खोलने के लिए रामघाट-कल्याण मार्ग पर ट्रस्ट के नाम 28 बीघा जमीन लीज पर ली और फिर 22 नवंबर 1943 को अस्पताल शिफ्ट किया। गांधी जी की हत्या के बाद 24 जनवरी 1951 को गांधी आई हास्पिटल के नाम से ट्रस्ट बनाया। जिसके अध्यक्ष डा. मोहनलाल थे। इसके बाद तो गांधी आई हास्पिटल देश में छा गया। चिकित्सा में बेहतर काम करने के लिए डा. मोहनलाल अग्रवाल को 6 अक्टूबर 1956 को तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने पदमश्री से सम्मानित किया।

चंदा व दान से आगे बढ़ाया अस्पताल

गांधी आई हास्पिटल चंदा व दान के पैसा से लगातार प्रगति की राह पर चलता रहा। 1942, 1943, 1944 व 1946 में जनरल व प्राइवेट वार्ड बने। 1980 में ही एक हजार बेड का अस्पताल बन गया। पहले एक सप्ताह तक मरीजों को आपरेशन के बाद रुकना पड़ता था। राजस्थान, मध्य प्रदेश तक मरीज आपरेशन कराने आते थे। तीन जनवरी 1952 को सरोजनी नायडू आपरेशन थियेटर का शुभारंभ हुआ।

मरीजों को सस्ता इलाज

- 06 से 07 हजार मरीज हर माह आते हैं इलाज कराने।

- 400 से 500 मरीजों के आपरेशन होते हैं हर माह, कोरोना के चलते संख्या कम हो गई है।

- 100 रुपये के पर्चा पर ही डाक्टर को दिखाने के अलावा आंख चेक कराने ही सुविधा है।

600 रुपये में जनरल वार्ड में 15 दिन रहकर इलाज कराने की है सुविधा।

01 हजार रुपये रोज है प्राइवेट वार्ड का खर्च।

80 लाख रुपये खर्च कर प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत किए गए हैं मरीजों के आपरेशन।

एएमयू का नेत्र रोग विभाग भी रहा यहां

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज का नेत्र रोग विभाग सबसे पहले 1951-52 में गांधी आई हास्पिटल में खोला गया। इसका शुभारंभ 12 नवंबर 1955 में पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने किया। बाद में इस विभाग को मेडिकल कालेज में शिफ्ट कर दिया गया।

गांधी नेत्र अस्‍पताल के अधीक्षक ने बताया कि चिकित्सालय का प्रबंधन प्रमुख समाजसेवी एवं उद्योगपति वी के बजाज संभाले हुए हैं। वह गांधी आई हॉस्पिटल ट्रस्ट के सचिव भी हैं। आधुनिकता के दौर में नेत्र रोगोंं से संबंधित हो रही नई तकनीकि शिक्षा को सचिव की टीम द्वारा गहन मंथन किया जाता है। ट्रस्‍ट की अध्‍यक्ष डीएम सेल्‍वा कुमारी जे का सहयोग एवं मार्गदर्शन निरंतर लिया जा रहा है।

पहले थीं हास्पिटल की शाखाएं

गांधी आई हास्पिटल से संबद्ध कई शाखाएं भी देश में संचालित थीं। इनमें मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, मथुरा, बिजनौर, रामपुर, हमीरपुर महोबा, एटा, झांसी, बांदा, बदायूं, बुलंदशहर, मसूरी, चंदौसी, इटावा, उत्तरकाशी शामिल थीं। वर्तमान में शाखाएं संचालित  नहीं है। 

इन दिग्गजों ने किया दौरा

पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू यहां दो बार आए। 1949 में पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद, 1939 में पं. मदन मोहन मालवीय, 1946 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह, 1937 में सुभाष चंद्र बोस, 1952 में पृथ्वीराज कपूर आए। देशबंधु चितरंजन दास, पूर्व मुख्यमंत्री जेपी कृपवानी, सुजेता कृपलानी समेत कई दिग्गज यहां आ चुके हैं।

गरीब मरीजों के लिए यह अस्पताल बहुत मुफीद है। जिसके पास पैसे नहीं होते हैैं, उनका इलाज ट्रस्ट को दान करने वाले लोगों के पैसे से मुफ्त कराया जाता है। डीएम इस ट्रस्ट की अध्यक्ष व उद्योगपति विजय बजाज सचिव। हमारा मकसद मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराना है।

मधुप लहरी, अधीक्षक, गांधी आई हास्पिटल

आंख के पर्दे में भी दिक्कत आ गई थी। गांधी आई हास्पिटल में इलाज कराया। यहां बढिय़ा सुविधाएं हैं। स्टाफ भी अच्छा है। अलीगढ़ में ऐसा अस्पताल होना गर्व की बात है।

कुल प्रताप सिंह, एटा चुंगी

पत्थर का काम करने के दौरान ग्राइंडर की पत्ती टूटकर आंख में चली गई थी। काफी जगह डाक्टरों को दिखाया। गांधी आई हास्पिटल आपरेशन कर पत्ती निकाली गई है।

प्रशांत, शिकोहाबाद


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