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अलीगढ़ जिला पंचायत अध्‍यक्ष चुनाव 2021: बढ़ रहीं हैं धड़कनें..दांव चल रहे हैं दल

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है धड़कने तेज बढ़ती जा रही हैं। भाजपा भले ही 40 सदस्यों का दावा कर रही हो और अपनी जीत सुनिश्चित मान रही हो मगर जबतक चुनाव हो नहीं जाता तबतक कुछ कहना संभव नहीं है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sat, 26 Jun 2021 05:43 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jun 2021 05:43 PM (IST)
अलीगढ़ जिला पंचायत अध्‍यक्ष चुनाव 2021: बढ़ रहीं हैं धड़कनें..दांव चल रहे हैं दल
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है।

अलीगढ़, जेएनएन। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की तिथि ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है धड़कने तेज बढ़ती जा रही हैं। भाजपा भले ही 40 सदस्यों का दावा कर रही हो और अपनी जीत सुनिश्चित मान रही हो, मगर जबतक चुनाव हो नहीं जाता तबतक कुछ कहना संभव नहीं है। सपा और रालोद की एकजुटता से भाजपा के नेताओं के माथे पर शिकन है। इसलिए भाजपा पूरे दमखम के साथ लगी हुई है।

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नेताओं में चल रहेे दावपैंच  

जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए अब भाजपा और सपा दो दल ही आमने सामने है। भाजपा की चाल से इस बार विपक्ष फेल हो गया। अध्यक्ष पद की दौड़ में जाट समाज की दावेदारी मानी जा रही थी। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की पत्नी व निर्दलीय प्रत्याशी को लेकर विपक्ष एकजुट हो रहा था। 16 निर्दलीय और सपा-बसपा को मिलाकर कुल 30 के करीब सदस्य एकजुट हुए थे। इससे यह लगने लगा था कि जाट समाज से अध्यक्ष की जीत पक्की है। मगर, भाजपा की अचूक रणनीति से विपक्ष के सारे मंसूबे धरे के धरे रह गए। भाजपा ने एनवक्त पर चाल चल दी। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी सुधीर सिंह को अपने साथ में ले लिया। उनके साथ निर्दलीय सदस्य भी आ गए। कुछ सपा और बसपा के भी सदस्य बताए जा रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष शुरू से दावा कर रहे हैं कि उनके पास 40 सदस्य ह्रैं। अध्यक्ष के लिए 24 सदस्यों की जरूरत होगी। इस हिसाब से भाजपा का अध्यक्ष बनाना तय माना जा रहा है।

नेताओं की धड़कनें बढ़ीं

बावजूद इसके भाजपा नेताओं की धड़कने बढ़ी हुई हैं। तीन जुलाई को चुनाव है। ऐसे में सभी सदस्यों को एकजुट रखना बड़ी जिम्मेदारी है। पार्टी सभी सदस्यों के संपर्क में लगातार है। मगर, चुनाव के दिन यदि सदस्यों ने कोई खेल खेला तो भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगाी। हाालांकि, विपक्ष के एकजुट न होने से भाजपा को लाभ मिल रहा है। इसलिए विजय सिंह का अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। मगर, राजनीति में जबतक कुर्सी मिल न जाए तबतक कुछ कहना संभव नहीं होता है। उधर, सपा और रालोद एकजुट हो गए हैं। सपा ने अर्चना यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। रालोद ने साथ देने का वादा किया है। मगर, सदस्यों के एकजुट न होने से अध्यक्ष की राह आसान नहीं है।


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