बरौली विधानसभा चुनाव 72 : अलीगढ़ के बरौली विधानसभा क्षेत्र को स्वतंत्रता सेनानी प. माेहनलाल गौतम ने दी अलग पहचान
स्वतंत्रता सेनानी रहे पंडित मोहनलाल गौतम ने इस विधानसभा क्षेत्र को एक अलग पहचान दी। वह संविधान सभा के सदस्य बने बाद में आजादी से पूर्व अंतरिम विधानसभा के भी सदस्य रहे। 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में सहकारिता मंत्री बने।
अलीगढ़़,विवेक शर्मा। अलीगढ़ की सात विधानसभा सीटों में बरौली सीट हमेशा बीआईपी सीट रही है। बरौली विधानसभा क्षेत्र का प्रदेश की सियासत में अपना महत्वपूर्ण स्थान है। इस सीट के ज्यादातर विधायक प्रदेश में मंत्री बने हैं। राजनीतिक दलों के महत्व से अलग वर्तमान में यह सीट वीरों की जंग का सियासी मैदान भी बनी हुई। स्वतंत्रता सेनानी रहे पंडित मोहनलाल गौतम ने इस विधानसभा क्षेत्र को एक अलग पहचान दी। वह संविधान सभा के सदस्य बने, बाद में आजादी से पूर्व अंतरिम विधानसभा के भी सदस्य रहे। 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में सहकारिता मंत्री बने। जिन्होंने प्रदेश पैकेज योजना शुरू की जो कि अलीगढ़ जनपद में लागू हुई। वह काग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री भी रहे।
1974 में बनी बरौली विधानसभा सीट
शुरू में बरौली सीट नहीं थी। आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में जिलेे में पांच विधानसभा क्षेत्र थे। इगलास, खैर, कोल, अतरौली नार्थ और अतरौली साउथ। बरौली क्षेत्र खैर विधानसभा क्षेत्र में शामिल था। मोहनलाल गौतम खैर से पहले विधायक चुने गए थे। ब्राह्मण -ठाकुर बहुल यह सीट खैर के नाम से जानी थी। 1957 में यह क्षेत्र कोल विधानसभा क्षेत्र में शामिल था। जीत मोहनलाल गौतम के नाम ही दर्ज रही। फिर 1962 में खैर में यह क्षेत्र शामिल कर दिया गया। उस चुनाव में राजा गभाना कुंवर चैतन्यराज सिंह मैदान में आए और उन्होंने पं. मोहनलाल गौतम को हराकर जीत दर्ज की। 1967 और 1969 के चुनाव में यह क्षेत्र चंडौस विधानसभा क्षेत्र में शामिल रहा। इसके बाद 1974 में हुए परसीमन में बरौली सीट बनी। कांग्रेस से कद्दवर नेता सुरेंद्र सिंह चौहान सियासत में आए और बाबू संग्राम को हराकर पहली जीत दर्ज की। फिर 1977 में बाबू संग्राम सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हलांकि 1980, 1985 व 1989 में उन्होंने लगतार जीत की हैट्रिक बनाई और वह प्रदेश में गृह मंत्री व जिला कारगार मंत्री बने। 1991 में चंडौस ब्लाक प्रमुख से सीधे विधायकी पर आए वर्तमान विधायक ठा. दलवीर सिंह ने सुरेंद्र सिंह चौहान के विजय रथ को रोका और वह पहली बार विधायक बने। 1993 में राम मंदिर की लहर में भाजपा के मनीष गौड़ ने दलवीर सिंह को हराया। 1996 में ठा. दलवीर सिंह ने कांग्रेस के बैनर तले वापसी करते हुए विजय प्राप्त की।
दो वीरों की सियासत का मैदान
2002 व 2007 में बसपा से आए ठा. जयवीर सिंह ने लगातार दो बार दलवीर सिंह को चुनाव हराया और वह दोनों बार कैबिनेट मंत्री के पद पर रहे। तभी से बरौली विधानसभा सीट किसी पार्टी की बजाय दो वीरों की सियासत का मैदान बन गया। 2012 में ठा. दलवीर सिंह ने रालोद के बैनर तले चुनाव मैदान उतरे और उन्होंने जयवीर सिंह को हराया। 2017 में वह भाजपा से चुनाव मैदान में आए और जीत का सिलसिला बरकरार रखा। इतना ही नहीं बरौली विधानसभा का एक विशेष रिकार्ड भी रहा है। विधानसभा क्षेत्र से एक समय में दो सांसद व एक विधायक रहे। जिसमें दौरऊ से हाथरस सांसद किशनलाल दिलेर, वीरपुरा से अलीगढ़ सांसद शीला गौतम, व वीरपुरा के माजरा हीरापुरा से ठा. दलवीर सिंह विधायक रहे।
- सीट के गठन की तारीख के साथ उसके इतिहास 1974
- विधानसभा सीट के प्रमुख ब्लाक : चंडौस, जवां
- विधानसभा क्षेत्र में विकास की स्थिति : मिली औद्योगिक आस्थान जवां, साथा चीनी मिल, दो सीमेंट फैक्ट्री भी इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं।
- विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख शिक्षण संस्थान तथा रोजगार के साधन: चीनी मिल, सीमेंट फैक्ट्री और राजकीय होम्योपैथिक कालेज विधानसभा क्षेत्र में ही है।
- विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक बार के विजेता : सुरेंद्र सिंह चौहान चार बार विधायक रहे। दलवीर सिंह तीन बार विधायक बने।
- विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक अंतर से जीत : 38763 (दलवीर सिंह 2017)
-विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक तथा सबसे कम अंतर से जीत : 1629 (दलवीर सिंह 1996)
- विधानसभा क्षेत्र की सीट कब-कब आरक्षित रही : कभी नहीं रही
चुनाव पर नजर 2017
कुल प्रत्याशी 10
कुल मतदाता--356744
मतदानः 234339
जीत--दलवीर सिंह, भाजपा, 125545
दूसरे नंबर पर जयवीर सिंह, बसपा -86782
चुनाव पर नजर -2012
कुल प्रत्याशी 21
कुल मतदाता--307350
मतदानः 203405
जीत--दलवीर सिंह, रालोद, 80199
दूसरे नंबर पर जयवीर सिंह, बसपा -68195